Hindi Newsबिहार न्यूज़बगहाMillions Worth of Children s Medicines Found in Garbage in Chanpatia

कचरे के ढेर पर फेंकी मिलीं बच्चों की दवाएं

चनपटिया में बच्चों को खिलाने वाली लाखों रुपये की दवा कचरे में मिली है। ये दवाएं स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्कूलों के लिए उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन अब ये कूड़े में पाई गई हैं। इस मामले में स्वास्थ्य और...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाSat, 23 Nov 2024 09:15 PM
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चनपटिया/कुमारबाग। चनपटिया में बच्चों को खिलाने वाली एल्वेंडाजोल और फोलिक एसिड की दवा कचरे की ढेर पर मिली है। दवा लाखों रुपये की बतायी जा रही है। बच्चों को खिलाने वाली दवा को ऐसे कचरे में फेकने पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग पल्ला झाड़ रहा है। शनिवार को नगर के चिरान चौक से पकड़ीहार जानेवाले रास्ते में बांध के समीप कूड़े के ढेर पर बड़ी मात्रा में दवाइयां फेंकी मिली है। ये दवाइयां एक्सपायर भी नहीं है। इतनी बड़ी मात्रा में दवाइयों को देख लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। कूड़े पर मिली दवाइयों की बैच संख्या से यह खुलासा हुआ कि ये स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष-2023 के अलग-अलग महीने में सीएचसी, चनपटिया को उपलब्ध करायी है। लेकिन सीएचसी ने बैच संख्या-सीएचटी 3732 एवं एफएमटीए 101 की 5.04 लाख गोलियों को आईसीडीएस व बीआरसी को दी है। वहीं बैच संख्या आईएमटीए 77 की 1.92 लाख गोलियां शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई है। बता दें कि सरकार ने विद्यार्थियों में खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन एन्ड फोलिक एसिड की गोलियां स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराती है। अब सवाल उठता है कि बच्चों के कल्याण से जुड़ी योजना के तहत मिली दवाइयों को आखिर किसने कूड़े में फेंक दिया है। जबकि ये दवाइयां वर्ष-2023 एवं 2024 में निर्मित हुई हैं तो वहीं एक्सपायरी वर्ष-2025 एवं 2026 में होनी है। मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभागों ने पल्ला झाड़ लिया है। सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग एवं आईसीडीएस को उपलब्ध करायी दवाओं को किसने और क्यों फेंका इसकी जानकारी मुझे नहीं है। वहीं चनपटिया के बीईईओ सह डीपीओ मनीष कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राप्त दवा स्कूली बच्चों में वितरित कर दी गई है। कूड़े पर फेंकी गई दवा कैसी है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। अब सवाल यह है कि बच्चों की खिलाई गई तो ये दवा कहां से आई।

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