मारवाड़ी समाज को प्रशासन से सुरक्षा-संवेदना की दरकार
बेतिया शहर में मारवाड़ी समाज के 5000 से अधिक लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अल्पसंख्यक होने के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। समाज के लोग सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की...
बेतिया शहर में रहने वाले मारवाड़ी समाज के 5000 से अधिक लोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शांतिप्रिय और मुख्य रूप से व्यावसायिक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाला यह समाज कई तरह की समस्याओं से घिर गया है। अल्पसंख्यक होने के कारण असामाजिक तत्वों का पहला निशाना इसी समाज के लोग बनते हैं। बावजूद इस समाज के लोगों को समुदाय या जाति के रूप में नहीं बल्कि शोषक वर्ग के रूप में जाना जाता है। इस समाज के लोगों को सबसे अधिक सुरक्षा की चिंता सताती है। अपराधी प्रवृत्ति के लोग अक्सर इस समाज के लोगों को टारगेट बनाते हैं। कभी जान से मारने अथवा अपहरण करने की धमकी तो कभी लेवी अथवा नजराना के रूप में मोटी रकम की मांग की जाती है। इस भय सेे समाज के कई लोग सूरत, कोलकाता, दिल्ली जयपुर अथवा अन्य बड़े शहर में पलायन कर गए हैं। इससे इस समाज के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है।
इस समाज के गरीब तबके के लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर खुद का व्यवसाय करने या उद्यम लगाने के लिए किसी तरह की विशेष योजना नहीं है। रवि गोयनका, सुरेश सिंघानिया, भरत सिकारिया, राजेश सिकारिया आदि बताते हैं कि मारवाड़ी वर्ग में भी हर तबके के लोग हैं। इनमें कुछ संपन्न लोग हैं तो कई ऐसे भी परिवार है जो मुफलिसी में जी रहे हैं। कुछ ऐसे हैं जो अपने और अपने परिवार की जीविका चलाने में बहुत बेबस हैं। किसी तरह कहीं नौकरी कर या बहुत छोटा व्यवसाय या फेरी लगाकर परिवार का पेट पालते हैं। मारवाड़ी समाज को सरकार की तरफ से कोई भी विशेष लाभ नहीं मिलता है। उनलोगों का कहना है कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद हम लोगों के लिए अपनी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए राज्य अथवा केंद्र सरकार की ओर से कोई विशेष पैकेज अथवा योजना नहीं है। इस समाज के गरीब लोगों के बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिल मिलती है। अस्पतालों में इलाज के लिए जाने पर भी अल्पसंख्यक होने के बावजूद हमें कोई विशेष सुविधा नहीं मिलती है।
विश्वनाथ झुनझुनवाला ने बताया कि देश के किसी कोने से मारवाड़ी भगाओ का नारा अगर मुखर होता है तो बेतिया में भी हमारे वजूद पर खतरा मंडराने लगता है। प्रेम सोमानी ने बताया कि अपने व्यापार के माध्यम से हमारे समाज के लोग बेतिया के हजारों लोगों को रोजगार देतेे हैं। ताकि उनके परिवार का गुजर बसर हो सके। अपने कार्यालय या प्रतिष्ठान में नौकरी देकर या अपने किसी फैक्ट्री में स्थानीय लोगों को रोजगार देकर वहां के अर्थव्यवस्था में हमेशा योगदान करते है। फिर भी हमें हमेशा गैर अथवा बाहरी होने का ही दर्जा मिलता है। आपदा के समय हमारे समाज के लोग प्रभावित लोगों की सहायता करने में सबसे आगे रहते हैं। फिर भी हमें आज तक यहां के समाज की मुख्य धारा में शामिल नहीं किया गया है। बाढ़ हो, सुखाड़ हो अथवा अगलगी की घटना हो, मारवाड़ी समाज के लोग अलग-अलग संगठनों के माध्यम से भी पीड़ित लोगों की सेवा करते हैं। हमारे समाज की महिलाएं भी अपनी दुकान अथवा प्रतिष्ठान के काउंटर पर बैठकर व्यवसाय करती हैं। ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से हमें विशेष सुरक्षा मिलनी चाहिए। कई लोगों ने यह भी बताया कि मारवाड़ी व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े हैं। उनके ऊपर आसामाजिक तत्वों की नजरें सबसे अधिक रहती है। इसलिए सुरक्षा के मद्देनजर जिला प्रशासन को इच्छुक व्यक्तियों को आर्म्स का लाइसेंस सुविधापूर्वक देने की व्यवस्था करनी चाहिए। शहर के मुख्य जगहों पर होने के कारण भू-माफियाओं की नजर उनकी जमीन पर होती है। मारवाड़ी समाज के कई लोगों की जमीन इस तरह से फंसी हुई है। कइयों का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। मारवाड़ी समाज के लोगों का कहना है कि प्रशासन को सुरक्षा के मद्देनजर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। ताकि हमलोग सुरक्षित महसूस कर सके।
प्रस्तुति- मनोज कुमार राव
परेशानी होने पर थानाध्यक्ष के साथ-साथ 112 पर करें फोन
शहर में नगर थाना की पुलिस के साथ-साथ डायल 112 की अलग-अलग टीमें तैनात हैं। इसके अलावे प्रतिदिन अलग से पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती बाजार व चौक-चौराहों पर की जाती है। अगर किसी भी व्यवसायी को किसी भी तरह की सुरक्षा की जरूरत महसूस होती है तो वे थानाध्यक्ष के साथ-साथ 112 पर फोन कर जानकारी दें। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं होगी।
विवेक दीप, एसडीपीओ-1
सुझाव
1. समाज की सेवा हो अथवा आपदा के समय में मारवाड़ी समाज के लोग हमेशा सेवा के लिए तत्पर रहते हंै। इसलिए उनको भी समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए।
2. व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर कार्यरत मारवाड़ी समाज के सदस्यों को अगर कोई ग्राहक अथवा असामाजिक तत्व परेशान करे तो जिला प्रशासन को अविलंब इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए।
3. मारवाड़ी समाज के गरीब तबके के लोगों के स्कूली बच्चों को निजी विद्यालयों में नामांकन के समय फीस की राशि में कटौती करते हुए रियायत मिलनी चाहिए। बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलनी चाहिए ।
4. व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर काम करने वाली मारवाड़ी समाज की महिलाओं की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन को विशेष योजना बनानी चाहिए। ताकि मानसिक रूप से ऐसी महिलाएं काम कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।
5. अपनी सुरक्षा के लिए अगर कोई मारवाड़ी जिला प्रशासन के पास आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन करता है तो प्रशासन की ओर से मदद मिलनी चाहिए, ताकि हमलोग सुरक्षित महसूस कर सकें।
शिकायतें
1. लंबे समय से समाज की लगातार सेवा करने के बाद भी बेतिया शहर में समाज की मुख्यधारा के बजाय मारवाड़ियों को हमेशा हाशिए पर रखा जाता है। हम यहां के होकर भी बाहरी का दंश झेल रहे हैं।
2. अधिकांश मारवाड़ी समाज के लोग व्यापारिक प्रतिष्ठानों से जुड़कर अपना कारोबार करते हैं लेकिन उनको हमेशा जान से मारने व अन्य प्रकार की धमकी मिलती रहती है। कई बार डर के चलते कारोबार समेटना पड़ता है।
3. अल्पसंख्यक होने के बावजूद मारवाड़ी समाज के गरीब तबके के स्कूली बच्चों के लिए निजी विद्यालयों में नामांकन के लिए कोई विशेष योजना नहीं है। इससे गरीब मारवाड़ी को भी मोटी फीस देनी पड़ती है।
4. अपनी और अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान अथवा दुकान की सुरक्षा के लिए कई बार मारवाड़ी समाज के लोग प्रशासन से आर्म्स लाइसेंस की मांग करते है। लेकिन नहीं मिलने पर असुरक्षित महसूस करते हैं।
5. मारवाड़ी समाज की महिलाएं भी कई बार अपने प्रतिष्ठान अथवा दुकान के काउंटर को संभालती है। कई बार ग्राहक अथवा असमाजिक तत्वों द्वारा उन्हें परेशान किया जाता है। प्रशासन को हमारी सहायता करनी चाहिए।
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