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ऑनलाइन मार्केट से बढ़ीं चुनौतियां भंडारण व लोन की सुविधा की दरकार

बेतिया शहर के जूते-चप्पल दुकानदारों को ऑनलाइन मार्केट और महंगे किराए के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्राहक अब ऑनलाइन खरीदारी करने लगे हैं, जिससे उनकी बिक्री में कमी आई है। दुकानदारों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाSat, 10 May 2025 09:57 PM
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ऑनलाइन मार्केट से बढ़ीं चुनौतियां भंडारण व लोन की सुविधा की दरकार

बेतिया शहर के चौक-चौराहों पर दो सौ से अधिक जूते-चप्पल दुकानदारों को कई स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दुकानदारों का कहना है कि ऑनलाइन मार्केट ने उनकी दुकानों का शटर गिराना शुरू कर दिया है। अधिकतर लोग अब जूते-चप्पल ऑनलाइन मंगवा ले रहे हैं। इससे ग्राहकों की संख्या में तेजी से कमी आई है। साथ ही, शहर में ब्रांडेड और बड़े शोरूम खुल गये हैं। उनकी टक्कर में डटे रहेने के लिए दुकानदारों के पास पूंजी का अभाव है। माल रखने के लिए गोदाम नहीं है। किराये के मकान व गोदाम में पूंजी की बड़ा राशि खर्च हो जाने के बावजूद भी इनके हाथ कुछ नहीं आ रहा है।

बेतिया शहर के शहीद पार्क के सामने,सोआ बाबू चौक,विश्वामित्र मार्केट,जंगी मस्जिद, समाहरणालय के सामने, छावनी चौक, बसवरिया, बंगाली कॉलनी व सुप्रिया रोड के दोनों किनारे दुकान चलाने वाले दुकानदार अनवर, अशरफ रजा, आबिद अली, रेहान अहमद, असलम अंसारी, नईबुल्लाह खान, बिलाल अहमद अंसारी आदि ने बताया कि आजकल अस्थायी दुकानें भी चलायी जा रही हैं। बिना जीएसटी नंबर लिये ये लोग सस्ती दरों पर जूते-चप्पल की ब्रिकी करते हैं। हम जीएसटी के साथ व्यवसाय करते हैं। ऐसे में थोड़ी महंगी होने के कारण ग्राहक हमारे यहां नहीं आते हैं। इससे आमदनी इतनी कम हो गयी है कि घर परिवार का गुजारा मुश्किल हो रहा है। दुकानदारों ने बताया कि कानपुर, आगरा व दिल्ली से गैर ब्रांडेड सस्ते जूते चप्पल की खेप मंगवाकर अस्थायी दुकानदार धड़ल्ले से बेच रहे हैं। इसकी जांच पड़ताल करने वाला कोई नहीं है। इन सबके अलावा जब भी त्योहार का समय आता है, ग्राहकों के लिए अधिक माल मंगवाना पड़ता है। उन दिनों बाहर से मंगाए गए माल के भंडारण की समस्या का सामना करना पड़ता है। किराए की दर ऊंची होने के कारण छोटी दुकानें लेने की मजबूरी है और इस कारण माल का भंडारण कई बार घर में करना पड़ता है। इससे रहने में भी परेशानी होती है। इनका कहना है कि अगर नगर निगम बेतिया राज की जमीन पर हमलोगों के लिए अगल से कोई शू बाजार बनवाकर कम किराए पर उपलब्ध कराये तो उन्हें काफी सहूलियत होगी। दुकानदारों ने बताया कि हमारा अपना कोई संगठन नहीं है जो हमारे हितों की चिंता कर सके। इसलिए हम अपनी समस्याओं के समाधान को कहां फरियाद करें, यह समझ के बाहर है। इनका कहना है कि छोटी दुकानों के लिए दो लाख से आठ लाख तक की पगड़ी की राशि देनी होती है। इससे हम हमेशा कर्ज में डूबे रहते हैं। हमारे समाज में शिक्षा की कमी है। नयी पीढ़ी के बच्चों को अगर रियायती दर पर बेतिया के निजी विद्यालयों में दाखिले की सुविधा मिल जाए तो हमारे समाज के बच्चे भी पढ़ लिखकर प्रतियोगिता परीक्षाओं को पास कर अपना जीवन संवार सकते हैं। ब्रांडेड और ऑनलाइन बाजार से निपटने के लिए हमें लोन की जरूरत है। ताकि बड़ी पूंजी लगाकर व्यवसाय को बढ़ा सकें। इसके लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता है, जबकि बैंक इतनी बड़ी राशि लोन के रूप में नहीं देता है। हमलोगों को सुविधा मिले तो बेहतर जूते-चप्पल यहां बनवा सकते हैं। लेकिन इसके लिए भी बड़ी पूंजी चाहिए।

 प्रस्तुति: मनोज कुमार राव

 गोदाम के लिए जगह मिले तो होगी मदद 

माल के भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण हमें अपने छोटे घरों में भी एक कमरा माल के भंडारण के लिए रखना पड़ता है। नगर निगम प्रशासन अथवा जिला प्रशासन को हमारी चिंता करते हुए हमें भी कम दर पर भंडारण के लिए जगह उपलब्ध करानी चाहिए। बारिश के दिनों में हमें सबसे अधिक परेशानी होती है क्योंकि सड़कों पर जब जलजमाव की स्थिति होती है तो कई बार दुकानों के अंदर भी पानी भर जाता है जिससे जूते चप्पल तुरंत सड़ने गलने लगते हैं अथवा अधिक आद्रर्ता के कारण इनमें फंगस भी लग जाता है। इससे कई बार माल खराब होने से आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। छोटी-छोटी दुकान करने वाले दुकानदारों ने यह भी बताया कि हमारे समाज की महिलाओं को अगर सरकार की ओर से अनुदान अथवा ऋण की सुविधा मिल जाए तो वे भी अपना स्वयं का रोजगार कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है।सरकार को इन महिलाओं के कौशल विकास के लिए भी कारगर योजना बनानी चाहिए। इन लोगों ने यह भी बताया कि पहले की तुलना में अब दुकान पर आकर खरीदारी करने वाले ग्राहकों की संख्या में काफी कमी आ गयी है इस कारण हम सभी मंदी के शिकार हो रहे हैं। सरकार को हमारी चिंता करते हुए हमारे लिए भी कल्याणकारी योजनाएं बनानी चाहिए ताकि हमारे बच्चे उंची शिक्षा प्राप्त कर सकें और हमारे पेशे से जुड़े लोगों के घरों की महिलाओं को भी स्वावलंबन का साधन उपलब्ध हो सके।

 नगर निगम की ओर से मिले सस्ती दर पर दुकानें 

शहर के अंदर स्थायी रुप से संचालित होने वाले जूते चप्पलों की सैकड़ों दुकानें है जो किराये के दुकानों में चलायी जा रही है। मुख्य चौक चौराहों पर ऐसे दुकानों को किराए और पगड़ी की मोटी रकम भरनी पड़ रही है। इससे सभी दुकानदार परेशान है। बड़े ब्रांडेड दुकानदारों के पास पूंजी की कमी नहीं है इसलिए उनको शायद कोई खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन छोटे छोटे दुकान करने वाले लोग आर्थिक रुप से काफी परेशान हैं। इन दुकानदारों ने अपनी समस्या बताते हुए यह कहा कि अगर नगर निगम के द्वारा बेतिया राज अथवा जिला प्रशासन की जमीन पर हम सभी के लिए दुकान बनवाकर कम किराए पर आवंटित कर दिया जाए तो बेतिया के दो सौ से अधिक ऐसे दुकानदारों को राहत मिलेगी। उनका व्यवसाय आगे बढ़ेगा। 

आगामी बरसात को देखते हुए नगर निगम प्रशासन द्वारा जल्द ही नाले की सफाई शुरू कराई जाएगी। इसे लेकर सशक्त समिति की बैठक में मेयर द्वारा दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है। सभी नालियों की सफाई की जाएगी। जिससे की बरसात में पानी नहीं लगे। 

-विनोद कुमार सिंह, नगर आयुक्त, नगर निगम।

 महिला उद्यमी योजना के तहत अपना रोजगार खोलने व अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए उद्योग विभाग की ओर से ऋण व अनुदान की राशि प्रदान की जाती है। इच्छुक महिलाएं विभाग के पोर्टल से आवश्यक जानकारी हासिल कर सकते हैं। चयनित होने पर महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वे स्वावलंबी हो सके। 

-रोहित राज महाप्रबंधक उद्योग विभाग। 

 

सुझाव 

1. नगर निगम द्वारा बेतिया राज की जमीन पर जूते-चप्पलों की दुकानों के लिए शू बाजार की व्यवस्था करनी चाहिए। 

2. हमारे समाज की महिलाओं के स्वावलंबन के लिए सरकार की ओर से अनुदान अथवा ऋण की सुविधा मिलनी चाहिए।

 3. नयी पीढ़ी के बच्चों को रियायती दर पर निजी विद्यालयों में दाखिले की सुविधा मिलनी चाहिए।

 4. बिना जीएसटी की राशि भरे बेतिया की अस्थायी दुकानों में जूते चप्पल की बिक्री करने वालों की जांच होनी चाहिए। 

5. किराये की दुकान लेने के लिए पगड़ी की पॉलिसी तय होनी चाहिए, ताकि अनाप-शनाप पगड़ी की मांग नहीं हो। 

शिकायतें 

1. सबसे अधिक परेशानी ऑनलाइन मार्केटिंग सिस्टम से हो रही है। इस कारण ग्राहकों का आना कम हो गया है। 

2. छोटी दुकानों के लिए भी दो लाख से अधिक की पगड़ी देना कारोबारियों के लिए भारी पड़ जाता है। 

3. माल के भंडारण की सुविधा नहीं होने से हमें अपने घरों में माल का भंडारण करना पड़ता है। इससे दिक्कत होती है।

 4. जूता-चप्पल बेचने वाले दुकानदारों का बेतिया में अपना कोई संगठन नहीं है जो हमारे हितों की चिंता कर सके। 

5.अस्थायी दुकान वाले बिना जीएसटी अदायगी के ही अपने माल को सस्ती दरों पर बिक्री करते हैं।

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