नेपाल से आए हाथियों ने फसलों को किया तबाह
वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट के समीप बसे गांवों व सरेहों में इन दिनों जंगली जानवरों कीचहलकदमी बढ़ गयी है। गौनाहा के गांवों में बाघ से लोग दहशत में हैं तो उधर सहोदरा थाना क्षेत्र में नेपाल से हाथियों की...
वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट के समीप बसे गांवों व सरेहों में इन दिनों जंगली जानवरों कीचहलकदमी बढ़ गयी है। गौनाहा के गांवों में बाघ से लोग दहशत में हैं तो उधर सहोदरा थाना क्षेत्र में नेपाल से हाथियों की झूंड पहुंचकर तबाही मचा रहा है। सोमवार की रात्रि में मंगुराहा वन क्षेत्र के परसौनी सरेह में जंगल से नेपाली हाथियों का समूह निकलकर भारी पैमाने पर तांडव मचाया है। खासकर गन्ने की फसल को भारी क्षति पहुंची है। हाथियों ने परसौनी निवासी इशमोहम्मद मियां व आबीद हुसैन के गन्ने की फसल तो नथु चौधरी की धान की फसल को क्षति पहुंचायी है। घटना की सूचना पर फारेस्ट गार्ड सिंटु पासवान ने वहां पहुंचकर मामले की सूचना वन विभाग के वरीय अधिकारियों को दी है। उन्होंने बताया कि जंगल होते हुए नेपाली हाथी। उन्होंने बताया कि समूह में दस के आसपास हाथी होते हैं। हाथी के समूह ने धान व गन्ने के फसल बर्बाद किया हैं। इसकी रिपोर्ट बना कर विभाग को भेजा जा रहा है। ताकि पीड़ित परिवार को मुआवजा मिल सकें। इसके पूर्व चारों ओर से जंगलों से घिरे भतुजला गांव में नेपाली हाथियों ने आतंक बरपाया था। करीब 10 से 15 हाथियों ने भतुजला सरेह में धान व गन्ने की फसल का नुकसान पहुंचाया था। किसानों में जंगली जानवरों से बारंबार हो रही परेशानी को लेकर आक्रोश देखा जा रहा है। उनका कहना है कि वन विभाग की ओर से जानवरों के रोकथाम के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। इससे आए दिनों किसानों व आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। फसल के साथ लोगों की जान भी सांसत में पड़ जा रही है। पिछले साल बाघ ने इसी क्षेत्र में आधा दर्जन लोगों को बुरी तरह से जख्मी कर दिया था। वहीं दर्जनभर मवेशियों का शिकार किया था।
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