दलालों पर कार्रवाई हो, अस्पतालों में नियुक्त किए जाएं दंत चिकित्सक
बेतिया में सरकारी अस्पतालों में दंत चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हो रही है, जिससे उन्हें निजी प्रैक्टिस पर निर्भर होना पड़ रहा है। क्वैक दंत चिकित्सक बिना डिग्री के इलाज कर रहे हैं, जिससे मरीजों को...
डेंटल मेडिकल कॉलेज से पास करने वाले जिले के दंत चिकित्सकों की सरकारी अस्पतालों में पदस्थापना नहीं हो रही है। निजी प्रैक्टिस के अलावा इनके पास कोई विकल्प नहीं है। इनका कहना है कि उन्हें क्वैक से कड़ी चुनौती मिल रही है। बिना मेडिकल डिग्री के ही बेतिया के अलग-अलग चौक-चौराहों पर क्वैक दांत का इलाज कर रहे हैं। कम पैसों में ये किसी तरह इलाज कर दे रहे हैं। इस काम में दलाल भी उन्हें सहयोग कर रहे हैं। दंत चिकित्सकों का कहना है कि क्वैक के गलत इलाज के कारण कई बार मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। इसके विपरीत डेंटल डॉक्टरों के पास कम मरीज पहुंच रहे हैं। दलालों के नेटवर्क की वजह से क्वैक का धंधा फल-फूल रहा है। रियल डॉक्टर मंदी की मार झेलने को विवश हैं। इनका कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर दलालों पर कार्रवाई के साथ सरकारी अस्पतालों में नियुक्ति शुरू हो तो उनकी परेशानी कुछ हद तक कम हो सकती है।
जिले के दंत चिकित्सकों डॉ संकेत, डॉ. राहुल जायसवाल, डॉ. राजदीप, डॉ. मोहसिन अख्तर, डॉ. आदित्य स्वरुप, डॉ कुंदन मौर्य, डॉ. राहुल वर्णवाल आदि ने बताया कि बेतिया में चिकित्सकों के लिए गवर्नमेंट मेडिकल अस्पताल व कॉलेज में कोई पोस्ट स्वीकृत नहीं हो रहा है। इस वजह से डेंटल डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। अधिकांश डेंटल डॉक्टर अपना निजी क्लीनिक चलाते हैं। इनके लिए सरकार की ओर से कोई विशेष नियमावली भी तैयार नहीं की गयी है। बिहार टेक्निकल सर्विस कमीशन की ओर से परीक्षा लेकर डेंटर डॉक्टरों का प्लेसमेंट होना चाहिए। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया में कहने के लिए डेंटल डिपार्टमेंट है लेकिन वहां पर चिकित्सकों की पदस्थापना नहीं हो रही है। इस विभाग में सीनियर रेजिडेंट, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर का पद अभी भी रिक्त पड़ा हुआ है। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के अनुसार फिलहाल 50 से अधिक दंत चिकित्सक बेतिया में हैं जो अपना निजी क्लीनिक चलाते हैं। अनुमंडल, प्रखंड या पंचायतों से अपनी दांत से जुड़ी समस्या का इलाज करवाने के लिए बेतिया आने वाले रोगियों को दलाल गलत जानकारी देकर क्वैक के यहां पहुंचा देते हैं।
दंत चिकित्सकों को डिग्री लेने के लिए पहले 5 साल की पढ़ाई करनी पड़ती है। इंटर्नशिप के बाद ही करियर बनाने का अवसर मिलता है। इन दंत चिकित्सकों का कहना है कि सौ दो सौ की राशि फीस के रूप में देने पर रोगियों को परेशानी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विगत कई साल से बेतिया में बिना डिग्री वाले क्वैक दंत चिकित्सकों द्वारा बिना तय फीस लिए दांत उखाड़ने या नकली दांत बनवाने की जिम्मेवारी ले ली जाती है। इसके लिए निश्चित राशि लेने की परंपरा बनी हुई है। बेतिया के मीना बाजार सहित कई मोहल्ले में ऐसे क्वैक दंत चिकित्सक की भरमार है। ये बिना लैब, ऑटो क्लीन मशीन, डेंटल मशीन के टूल्स तथा अन्य उपस्करों के ही रोगियों के दांतों की चिकित्सा करते रहते हैं। कई बार मरीजों को इनके द्वारा किए गए इलाज के कारण भयंकर बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है।
प्रस्तुति-मनोज कुमार राव
खान-पान में बदलाव से बच्चों के दांत हो रहे खराब
चिकित्सकों ने बताया कि कई बार आईडीए अर्थात इंडियन डेंटल एसोसिएशन की तरफ से जिले के इन क्वैक चिकित्सकों के खिलाफ सिविल सर्जन को ज्ञापन दिया गया है, लेकिन इस मामले में कहीं कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया। इन लोगों ने बताया कि आजकल लोगों के बदलते खान-पान के कारण कम उम्र में ही बच्चों के दांत खराब होने लगते हैं। ऐसे में बेहतर दंत चिकित्सकों से इलाज करवाने के लिए लोग परेशान रहते हैं। क्वैक दंत चिकित्सक कई बार केस खराब कर देते हैं। उसके बाद मरीज इन दंत चिकित्सकों से संपर्क करते है ऐसे में बेवजह की परेशानी झेलने की मजबूरी बनी रहती है। रोग का जिक्र करते हुए इन चिकित्सकों ने बताया कि यहां के पुश्तैनी दंत चिकित्सक कई बार दांत का नाप लेने वाले सैंपल को ही रोगी के दांत में फिक्स कर देते हैं। इससे आगे चलकर रोगियों के मसूड़े सड़ने व गलने लगते हैं और कई बार कैंसर टिश्यू भी विकसित होने का खतरा बना रहता है। नियमावली के अनुसार, आरसीटी करने के लिए निर्धारित उपकरण को एक बार इस्तेमाल करने के बाद उसे दोबार इस्तेमाल नहीं करना है। लेकिन इन क्वैक दंत चिकित्सकों द्वारा एक ही टूल से कई रोगियों का इलाज किया जाता है। कुल मिलाकर पदस्थापना की कमी, दलालों के नेटवर्क, फीस मिलने में परेशानी, निजी क्लीनिक चलाने की मजबूरी आदि से जूझने को ये दंत चिकित्सक परेशान हैं। इसका समाधान होना जरूरी है।
दांत की बीमारी गंभीर होने के बाद ही लोग पहुंचते हैं डॉक्टरों के पास
बाकी बीमारियों की तरह लोग दांत की बीमारी की गंभीरता को नहीं समझते हैं। दर्द होने पर लोग दवाखाना से दवा लेकर खा लेते हैं। आराम होने पर उसे भूल जाते हैं। लेकिन कई बार यह उपेक्षा लोगों को भारी पड़ती है। दांतों की सही देखभाल से यह मरने तक साथ निभा सकता है। वर्तमान में लोगों का खान-पान बदल रहा है। बच्चे चॉकलेट आदि अधिक खाते हैं। इससे उनके दांतों में कीड़े लग जाते हैं। कीड़े धीरे-धीरे दांतों को खा जाते हैं। कई बार इससे भयंकर दर्द होता है। तब लोग डेंटल डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। ऐसे में कई बार बीमारी गंभीर हो जाती है। ऐसे में डेंटल डॉक्टर चाहकर भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाते हैं। व्यस्क होने पर एक बाद दांत गिर जाय तो उगते नहीं हैं। नकली दांत तो नकली ही होते हैं। दांत के मर्ज का इलाज समय पर और सही डॉक्टर हो तो वह ठीक हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों को जागरूक होकर दांतों से संबंधित बीमारी के लिए डेंटल डॉक्टर के यहां जाएं। क्वैक से हर हाल में बचे, चाहे बीमारी और विभाग कोई भी क्यों न हो? क्वैक को पैसों से मतलब हाता है, जबकि डॉक्टर पूरी इलाज करते हैं। लोगों में जागरूकता की कमी से भी डेंटर डॉक्टरों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। दांतों की साफ-सफाई बेहद जरूरी है। समय-समय पर दांतों को लेकरडॉक्टर से मिलें। ताकि दांत से संबंधित बीमारी आपसे दूर रहे। कई बार गलत इलाज के कारण मसूड़ों में भी परेशानी शुरू हो जाती है। इससे लोगों को भयंकर दर्द का सामना करना पड़ता है।
जिले के सभी अनुमंडल और प्रखंड क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में दंत चिकित्सकों की पदस्थापना के लिए नियमावली बनाई गई है। अधिकांश जगहों पर दंत चिकित्सक की नियुक्ति कर दी गई है। जिन जगहों पर जगह खाली है उन पर शीघ्र नियुक्ति की जाएगी। बिहार सरकार द्वारा 808 सीट के लिए अगले माह परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है।
डॉ विजय कुमार, सिविल सर्जन
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के डेंटल विभाग में दंत चिकित्सकों के दो पद खाली है। खानपान में आए बदलाव के कारण हर उम्र के लोग दांत के रोग से परेशान हो रहे हैं। रोगियों की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है इसलिए चिकित्सक के पदस्थापन की नितांत आवश्यकता है। इस विभाग के खाली पदों को भरने के लिए बिहार सरकार के आदेश के बाद प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
डॉ सुधा भारती, सुपरिटेंडेंट जीएमसी
सुझाव
1. दंत चिकित्सकों को उनकी योग्यता व अनुभव के आधार पर बहाल कर दिया जाए।
2. आईडीए की तरफ से जिले के क्वैक के खिलाफ दिए गए ज्ञापन पर सीएस को संज्ञान लेना चाहिए।
3. बिना डिग्री के दंत चिकित्सक के रूप में सेवा देकर रोगियों से मोटी रकम वसूलने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
4. बिहार टेक्निकल सर्विस कमिशन द्वारा परीक्षाओं का आयोजन कर ऐसे दंत चिकित्सकों का प्लेसमेंट होना चाहिये।
5. राज्य व केंद्र सरकार को नियमावली तैयार कर डेंटल डाॅक्टरों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाए।
शिकायतें
1. दंत चिकित्सकों के रूप में काम करने वाले क्वैक की बढ़ती संख्या से डॉक्टरों काे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
2. बेतिया में गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में कोई पोस्ट सैंक्शन नहीं हो रहा है। इससे दिक्कत हो रही है।
3. क्वैक के खिलाफ सिविल सर्जन को ज्ञापन दिया गया। इसके बावजूद मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
4. टेक्निकल सर्विस कमिशन द्वारा परीक्षाओं का आयोजन नहीं होने से दंत चिकित्सकों को प्लेसमेंट की सुविधा नहीं मिल रही है।
5. क्वैक द्वारा कम पैसे में इलाज करने के लिए दलालों का बहुत बड़ा नेटवर्क सक्रिय है। इससे परेशानी होती है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।