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प्रशिक्षण और मदद मिले तो बेतिया से भी चमकेगा शतरंज का सितारा

भारत में शतरंज के खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण और सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग में सुधार के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन स्थानीय खेल विभाग से समर्थन...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाSat, 10 May 2025 09:59 PM
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प्रशिक्षण और मदद मिले तो बेतिया से भी चमकेगा शतरंज का सितारा

शतरंज खेलने वाले खिलाड़ियों को अनगिनत बाधाएं पार करनी पड़ रही है। शतरंज के 64 खानों में तो शह और मात देने के लिए वे हमेशा तैयार हैं। मेहनत भी करते हैं लेकिन बेहतर प्रशिक्षण और सुविधाएं नहीं मिलने से वे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। जिला और राज्यस्तर तक वे अपनी बदौलत शतरंज में विपक्षी खिलाड़ियों को शह और मात दोनों दे रहे हैं, लेकिन इससे आगे बढ़ने के लिए उन्हें कई तरह की मदद की दरकार है। भारत में सबसे पुराने खेलों में गिनती होने वाले शतरंज से नये खिलाड़ियों का मोह भंग हो रहा है। कमलेंद्र नाथ बताते हैं कि प्रोफेशनल शतरंज को खेल के रूप में खेलने और ग्रैंड मास्टर से लेकर अन्य खिताब को जीतने के लिए बेहतर ट्रेनिंग और प्रशिक्षक की जरूरत है।

लेकिन नगर में खेल विभाग द्वारा ऐसा कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है, न ही कोई जगह दिया गया है। जहां पर खिलाड़ी छोटी उम्र से ही बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अभ्यास कर सकें। देश में कई छोटे बच्चे ग्रैंड मास्टर तक बन चुके हैं। लेकिन हमारे यहां के छोटे बच्चे जो बेहतर प्रदर्शन तो करते हैं लेकिन ग्रैंड मास्टर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। नगर में शतरंज संघ द्वारा मान्यता प्राप्त शतरंज एकेडमी चलने वाले शाहिद हुसैन बताते हैं कि जिले में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो अंतरराष्ट्रीय रेटेड हैं। इसमें छोटे उम्र के खिलाड़ी से लेकर बुजुर्ग खिलाड़ी भी शामिल हैं। लेकिन उनकी रैंकिंग अधिक है। इसी महीने जिले के शिवांश बरनवाल और दिनेश राम अंतरराष्ट्रीय रेटेड खिलाड़ी बने हैं। शिवांश की उम्र कम है। शतरंज प्रशिक्षक शाहिद ने बताया कि 50 वर्ष की आयु से ऊपर में पश्चिमी चंपारण में अब तक कुल तीन अंतरराष्ट्रीय रेटेड खिलाड़ी बन चुके हैं। जिसमें रमेश पासवान (1541), नवीन जायसवाल (1506) और दिनेश राम (1456) शामिल हैं। सबसे कम उम्र में 10 वर्ष के शिवांश बरनवाल (1571) अंतरराष्ट्रीय रेटेड खिलाड़ी बने हैं। उनके अलावा कम उम्र के खिलाड़ियों की बात करें तो मुकेश कुमार (1777), आदित्य राज (1571), शाहिद हुसैन (1707) को अंतरराष्ट्रीय रेटिंग है। शतरंज में खिलाड़ी को 2200 रेटिंग पर कैंडिडेट मास्टर, 2300 रेटिंग पर फ़ीडे मास्टर, 2400 रेटिंग पर इंटरनेशनल मास्टर, 2500 रेटिंग पर ग्रैंडमास्टर का उपाधि दी जाती है। उन्होंने कहा कि जिले में किसी भी प्रकार की कोई वित्तीय या अन्य सपोर्ट नहीं मिल रहा, जिससे हमारे शतरंज खिलाडियों का मनोबल टूट रहा है और उनको शतरंज में आगे बढ़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शिवांश बताते है कि मैं कई ऑनलाइन प्रतियोगिता में जिले का प्रतिनिधित्व कर चुका हूं। विभिन्न जिलों के दिग्गजों खिलाड़ियों को अपनी चाल से मात दी है। लेकिन बेहतर प्रशिक्षण मिल जाए तो इंटरनेशनल मास्टर और ग्रैंडमास्टर के लिए आगे बढ़ सकता हूं। शतरंज के खिलाड़ी अर्श कुमार और प्रबल ने बताया कि हमें शतरंज खेलने के लिए शांत जगह की आवश्यकता होती है ऐसे में हमारा खेल विभाग से आग्रह है कि हमें शांत जगह मुहैया कराया जाए। जहां एकाग्रचित होकर हम प्रैक्टिस कर सकें और बेहतर से बेहतर चाल चल सके। इससे हमारे खेल में सुधार होगा और हम बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। 

-प्रस्तुति गौरव कुमार 

ऑनलाइन प्रतियोगिता के लिए मिले इंटरनेट की सुविधा, बेहतर स्कोर लाकर देंगे खिलाड़ी

 शतरंज के खिलाड़ी आजकल के प्रोफेशनल खेल में अपनी रैंकिंग को सुधारने और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए ऑनलाइन शतरंज प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। लेकिन उनका कहना है कि उन्हें इंटरनेट की सुविधा नहीं मिलने के कारण काफी परेशानी होती है। खेल विभाग द्वारा उचित जगह पर यदि इंटरनेट की सुविधा बहाल कर दी जाए, जिससे कि खिलाड़ियों को खेलने में परेशानी नहीं होगी। शतरंज के खिलाड़ी आयुष्मान कुमार और नैतिक कुमार ने बताया कि कैसे 15 मिनट के अंदर बेहतर से बेहतर स्कोर प्राप्त करना है इसके लिए 5 जी इंटरनेट की सुविधा रहनी चाहिए। जो काफी महंगा आता है। अगर खेल विभाग द्वारा भवन में ही वाईफाई की सुविधा दी जाए और एक कमरा खिलाड़ियों के लिए दे दिया जाए, जिसमें चारों तरफ शांति हो तो खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

 खिलाड़ी आकर विभाग में खेल सकते हैं। उसके लिए व्यवस्था कर दी जाएगी। खिलाड़ियों को अलग से कमरा दे दिया जाएगा, जिसमें पूरी शांति रहेगी। खिलाड़ियों के लिए शतरंज के समान मौजूद हैं। लेकिन अभी कोच की व्यवस्था नहीं हो पाई है। कोच की व्यवस्था के लिए विभाग को लिखा गया है। वहां से कोच मिलने के बाद ही खिलाड़ियों को शतरंज का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। 

-विजय कुमार पंडित, डीएसओ, बेतिया।

 सुझाव 

1. खेल विभाग द्वारा शतरंज के बेहतर प्रशिक्षकों से छोटे बच्चों को प्रशिक्षण दिलाना चाहिए। इससे इनका भविष्य बेहतर होगा। 

2. छोटे बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों को भी शतरंज खेलने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे वह भी प्रतियोगिता में भाग ले सकें।

 3. शतरंज के लिए खेल विभाग द्वारा एक जगह मुहैया कराई जाए जहां बच्चे प्रैक्टिस कर सकें। 

4. शतरंज को खेलने के लिए बोर्ड और स्टॉपवॉच की व्यवस्था की जाए। जिससे एक साथ कई लोग इस खेल में हिस्सा ले सके।

 5. नए प्रोफेशनल और आधुनिक तकनीक से शतरंज कैसे खेला जाता है इसके बारे में लोगों को जानकारी दी जाए 

शिकायतें 

1. बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा नहीं मिलने से खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। 

2. खिलाड़ियों के लिए स्टॉपवॉच तक की सुविधा नहीं है। इससे उन्हें अभ्यास करने में परेशानी होती है। 

3. ऑनलाइन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए इंटरनेट की सुविधा खेल विभाग द्वारा नहीं दी जाती है।

 4. छोटी उम्र में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा नहीं होने के कारण उम्र जब गुजर जाती है तब खिलाड़ी बेहतर नहीं कर पाते हैं। 

5. स्विस सिस्टम से ट्रेनिंग नहीं मिलने के कारण खिलाड़ी बड़ी प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

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