दिव्यांगों को संवेदना संग ऋण व रोजगार की दरकार
दिव्यांगों की समस्याएं खत्म नहीं हो रही हैं। सरकार की योजनाएं उन्हें लाभ नहीं पहुंचा रही हैं। राशन, आवास और रोजगार की कमी से दिव्यांगजन परेशान हैं। बैट्री चालित ट्राईसाइकिल की खराबी और पेंशन की कम...
दिव्यांगों की समस्याएं कम नहीं हैं। कुदरत की मार और प्रशासन की उपेक्षा के शिकार दिव्यांगों की परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद योजनाओं का लाभ दिव्यांगों तक नहीं पहुंच रहा है। कोई राशन के लिए भटक रहा है तो कोई आवास के लिए बीडीओ कार्यालय का चक्कर लगा रहा है। बड़ी संख्या में दिव्यांग सरकार की ओर से मिलनेवाली ट्राईसाइकिल के लिए परेशान है तो कई लोग ट्राईसाइकिल की खराबी ठीक कराने में परेशान है। बसवरिया के दिव्यांग मो. एजाज ने बताया कि सरकार के लाख प्रयास के बावजूद दिव्यांगजनों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। सांसद कोटा से मिलने वाली बैट्री चालित ट्राई साइकिल बेकार हो गयी है। उसमें इतनी खराबी आ रही है कि उसे चला पाना संभव नहीं है। उसकी रिपेयरिंग की भी व्यवस्था शहर में नहीं है। बैट्री का बैकअप भी नहीं है, हर जगह चार्जिंग की सुविधा नहीं है। प्रशासन को बैट्री चालित ट्राई साइकिल की बजाय मोटर बाइक ट्राई साइकिल उपलब्ध करानी चाहिए। मझौलिया के दिव्यांगजन मोहम्मद कलीमुल्लाह ने बताया कि वृद्धजनों की तरह दिव्यांगजनों को भी मासिक 400 रुपये पेंशन मिलता है। इस महंगाई के समय में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। रोजगार के साधन नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। कई राज्यों में तीन से लेकर चार हजार प्रतिमाह दिव्यांगों को पेंशन मिलती है। सरकार को इस राशि को बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रतिमाह करनी चाहिए। जिले के निजी विद्यालयों के साथ केंद्रीय विद्यालय में भी दिव्यांगजनों को आरक्षण के अनुरूप बच्चों के नामांकन में छूट मिलनी चाहिए।
चनपटिया की दिव्यांग रेखा देवी ने बताया पीडीएस दुकान के आवंटन में पांच प्रतिशत आरक्षण दिव्यांग जनों के लिए था, बावजूद इसके चार प्रतिशत ही आरक्षण दिया गया। इसके कारण कई पात्र लाभुक इससे वंचित हो गए। लाख शिकायत के बावजूद जिला प्रशासन द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। दिव्यांग जोखू मियां, सनीफ मियां, खलिलुल्लाह ने बताया कि शिविर लगाकर दिव्यांगजनों को भी पात्रता के अनुसार निजी संस्थानों में या सरकारी संस्थानों में नौकरी की व्यवस्था होनी चाहिए। नगर निगम व नगर परिषद में वार्ड जमादार के नियोजन में दिव्यांग जनों की भी भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।
ग्रामीण आवास के चयन में धांधली हो रही है। नजराना नहीं देने पर तरह-तरह की बाधा लगाकर ग्रामीण आवास के चयन में दिव्यांग जनों को वंचित कर दिया जाता है। प्रशासन को प्रखंडवार विशेष कैंप लगाकर पात्रता के अनुसार जांच कर दिव्यांगजनों को ग्रामीण आवास मुहैया करानी चाहिए। आपूर्ति विभाग से मिलने वाले पीएचएच राशन कार्ड को अंत्योदय कार्ड में तब्दील कर दिया जाए। दिव्यांगजनों ने बताया कि जिले के कई अंचलों में 72 हजार रुपये का आय प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। इसके कारण दिव्यांग प्रमाण पत्र बनने में परेशानी हो रही है। 72 हजार रुपये आय वाले दिव्यांगों को ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र मिलता है। इसलिए प्रशासन को हमारी समस्या की ओर गंभीरता से विचार करना चाहिए। ताकि दिव्यांगजनों का प्रमाणपत्र बन सके। प्रशासन कैंप लगाकर मुख्यमंत्री लघु उद्योग के लिए दिव्यांग जनों का चयन कर रोजगार स्थापित करने में सहयोग करे, ताकि दिव्यांगजन भी स्वरोजगार कर अपनी बेरोजगारी दूर कर सकें। दिव्यांग पतासी देवी ने बताया की शहर के संस्थाओं या प्रतिष्ठानों में भी रैंप की व्यवस्था नहीं है। किसी मॉल में भी रैंप की सुविधा नहीं है। इससे कहीं भी खरीदारी में परेशानी होती है। कार्यालयों में जाने पर उन्हें परेशान किया जाता है। प्रमाण पत्र के लिए उन्हें कार्यालयों का कई बार चक्कर लगाना पड़ता है। जिला प्रशासन को दिव्यांगों की समस्या को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
प्रस्तुति- शत्रुध्न शर्मा
सुझाव
1. बैट्री चालित ट्राईसाइकिल की बजाय, मोटर बाइक ट्राईसाइकिल मिलनी चाहिए। दिव्यांगों को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए बैंक से लोन की सुविधा मिलनी चाहिए।
2. सरकार को विशेष कैम्प लगाकर दिव्यांगजनों को जॉब की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। इसके लिए प्रशासन को पहल करनी चाहिए।
3. प्रशासन को 72 हजार का आय प्रमाण पत्र निर्गत करने की व्यवस्था करनी चाहिए। शिविर लगा कर पात्रता के अनुसार दिव्यांगजनों को भी ग्रामीण आवास की सूची में जोड़ा जाए।
5. दिव्यांगजनों को जो पीएचएच राशन कार्ड मिला है, उसे अंत्योदय राशन कार्ड में बदल दिया जाए, ताकि समुचित लाभ मिल सके। अंत्योदय राशन कार्ड का लाभ सभी दिव्यांगों को मिलना चाहिए।
5. दिव्यांगों को हर माह मिलनेवाली 400 रुपये की पेंशन को बढ़ाकर कम से कम तीन हजार रुपये की जानी चाहिए।
शिकायतें
1.बैट्री चालित ट्राईसाइकिल की रिपेयरिंग नहीं हो पाती है, हर जगह उसकी चार्जिंग की सुविधा नहीं है। बैट्री का बैकअप भी बहुत कम है। जिला मुख्यालय पहुंचना मुश्किल हो जाता है। बहुत परेशानी होती है।
2.दिव्यांगजनों को मुख्यमंत्री लघु उद्यमी योजना का लाभ नहीं मिलता है। इससे हम सभी चाह कर भी पूंजी के अभाव में कोई रोजगार स्थापित नही कर पाते हैं।
3.जिले के कई प्रखंडों में 72 हजार तक वाला आय का प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है, इसके कारण दिव्यांगता प्रमाण पत्र नहीं बनता है। प्रशासन को प्राथमिकता के आधार पर आय प्रमाण पत्र बनवाना चाहिए।
4.महंगाई के दौर में 400 रुपये प्रति माह पेंशन से गुजारा करना मुश्किल है। प्रशासन को इसकी राशि बढ़ाने में सहयोग करना चाहिए। ताकि हम बेहतर तरीके से जीवन जी सकें।
5.प्रखंड के अधिकारी अंत्योदय राशन कार्ड को पीएचएच राशन कार्ड में तब्दील कर दिए हैं। इससे राशन कम मिलता है। शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं होती है।
मेरी जानकारी में जिले के लगभग सभी दिव्यांगों का अंत्योदय कार्ड निर्गत है। अगर किसी के पास अंत्योदय कार्ड नहीं है तो उनकी सूची उपलब्ध कराएं। जांचोंपरांत उन्हें अंत्योदय राशन कार्ड अविलम्ब दिया जायेगा। दिव्यांग, कुष्ठ रोगी समेत हर पात्रता पूरा करने वाले को अंत्योदय राशन कार्ड देने का प्रावधान है। दिव्यांगों के यूनियन से अपील है की वैसे लोगों की सूची बनाकर मुझे उपलब्ध कराएं, जिनके पास अंत्योदय कार्ड नहीं है, उन्हें लाभान्वित किया जायेगा।
कुमार रविन्द्र, जिला आपूर्ति पदाधिकारी
दिव्यांग छात्रों के लिए सरकारी और निजी विद्यालयों में रैम्प की व्यवस्था कराई गई है। गरीब छात्रों के लिए आरटीई के तहत निजी विद्यालय में नामांकन की व्यवस्था है। इसके अलावा कस्तूरबा बालिका विद्यालय में प्राथमिकता के आधार पर दिव्यांग छात्राओं का नामांकन किया जाता है। दिव्यांग छात्र-छात्राओं को आरक्षण के साथ सभी योजनाओं का लाभ दिया जाता है।
मनीष कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी
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