बोले औरंगाबाद: कंप्यूटर ऑपरेटर:समान वेतन मिले तो जीवन स्तर हो सकता है ऊंचा
आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे कंप्यूटर ऑपरेटर और डाटा एंट्री कर्मियों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग की है। उनका कहना है कि वे 20 वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें नियमित सरकारी कर्मियों...
बोले औरंगाबाद: कंप्यूटर ऑपरेटर:समान वेतन मिले तो जीवन स्तर हो सकता है ऊंचा विभिन्न विभागों में डाटा एंट्री ऑपरेटर, कंप्यूटर ऑपरेटर व आईटी कर्मी आउटसोर्सिंग के रूप में काम कर रहे हैं। सभी विभागों की महत्वपूर्ण सेवाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी इन पर है लेकिन इनकी समस्याओं पर प्रशासनिक रूप से ध्यान नहीं दिया जाता है। कंप्यूटर पर ये सरकारी कार्यों का निबटाते हैं, पर अपनी सेवाओं से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। हिन्दुस्तान ने संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी। समान कार्य के बदले समान वेतन उनकी सबसे बड़ी मांग है। कार्यालय में पदस्थापित अन्य नियमित कर्मी जितना कार्य निपटाते हैं, उससे कहीं अधिक कार्य ये निपटाते हैं, पर इन्हें उनके बराबर वेतन नहीं मिलता है। इसकी गुहार यह लंबे समय से सरकार से लगा रहे हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कई बार इन्होंने अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन भी किया, स्थिति जस की तस बनी है। उन्होंने बताया कि उनके मानदेय से 18 प्रतिशत जीएसटी के अलावा सेवा कर के रूप में पैसे की कटौती की जाती है। जीएसटी और सेवा कर मिलाकर प्रतिमाह उनके मानदेय से 10 से 12 हजार रुपए की कटौती होती है। वे बताते हैं कि पूरे बिहार में तकरीबन 20 हजार आउटसोर्सिंग कर्मी हैं और उनके मानदेय से तकरीबन 25 करोड़ रुपए से अधिक राशि केंद्र सरकार तथा वाह्य एजेंसी को भुगतान किया जाता है। उनका कहना है कि यदि आउटसोर्स व्यवस्था को समाप्त करते हुए उनकी सेवा का समायोजन सीधे विभाग में य संविदा नियोजन कर दिया जाए तो इससे सरकार को कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। दूसरी ओर उनके मानदेय से कटने वाली राशि सीधा उनके मानदेय में जुट जाएगी। इससे उनके आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। उन्होंने बताया कि उनके कार्य की प्रकृति निरंतर चलने वाली है। उनकी सेवाओं के बदौलत ही डिजिटल बिहार का निर्माण हो रहा है। पिछले तकरीबन 20 वर्षों से वे अपनी सेवाएं विभाग को दे रहे हैं। फिर भी उन्हें सरकारी कर्मी की भांति किसी भी तरह की सुविधा नहीं कराई जाती है। उन्होंने आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से इतने लंबे समय तक सेवा लेने पर आपत्ति जताई है। कहा है कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और उनकी सेवाओं की प्रकृति में परिवर्तन लानी चाहिए। बताया कि आउटसोर्स व्यवस्था पर कार्य करने से उनके वेतन का पुनरीक्षण भी नहीं किया गया है। सरकारी कर्मी को 10 वर्ष कार्य करने पर एसीपी का लाभ देने के बाद उनका वेतन 70 से 80 हजार रुपए प्रतिमाह होता है। इधर आउटसोर्सिंग से जुड़े कर्मियों की सेवा 20 वर्ष होने के बावजूद उनका मानदेय मात्र 45 हजार रुपए ही होता है। उन्होंने बताया कि समान कार्य के बदले समान वेतन उन्हें मिलना चाहिए पर ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि मानदेय की राशि कम होने के चलते उनके परिवार की गाड़ी ठीक से नहीं चल पा रही है। बच्चों को अच्छी पढ़ाई लिखाई नहीं दे पा रहे हैं। उनके जीवन स्तर में भी वंछित सुधार नहीं हो रहा है। कहा कि महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में सरकारी कर्मियों की भांति वेतन पुनरीक्षण के साथ-साथ उपार्जित अवकाश के बदले तीन सौ दिनों का नगद भुगतान, सभी प्रकार के आवास, सेवानिवृत के उपरांत सभी प्रकार के उपादान आदि की उन्हें जरूरत है। कर्मियों ने यह भी कहा कि उनकी बात को सुनने को कोई तैयार नहीं है। लंबे समय से वे अपनी समस्याओं को रख रहे हैं। किसी भी स्तर पर सकारात्मक पहल नहीं हो रही है। इस बात को लेकर उन्हें भारी निराशा है। उनकी सेवाओं का समायोजन बेहद जरूरी है। उन्होंने सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है और सरकारी कर्मियों की भांति उन्हें भी बेहतर मानदेव एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
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