अधिवक्ता संशोधन विधेयक के विरोध में सड़क पर उतरे अधिवक्ता
अधिवक्ता संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग में एसडीओ को ज्ञापन सौंपते अधिवक्ता औरंगाबाद, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। औरंगाबाद जिला विधिज्ञ संघ और अ

औरंगाबाद जिला विधिज्ञ संघ और अधिवक्ता संघ के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को अधिवक्ताओं ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के समीप से रमेश चौक होते हुए वापस कलेक्ट्रेट पहुंचे और सरकार से अधिवक्ता संशोधन अधिनियम को वापस लेने की मांग की। जिला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष विजय कुमार पांडेय और अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने केंद्र सरकार के नाम से एक मांग पत्र एसडीओ को सौंपा। अध्यक्ष ने कहा कि अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के विरोध में समस्त अधिवक्ताओं ने अपने आप को न्यायिक कार्यों से अलग रखा है। अधिवक्ताओं के हितों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह, अधिवक्ता संघ के सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी, जिला विधिक संघ के उपाध्यक्ष उदय कुमार सिन्हा, क्षितिज रंजन, प्रमोद कुमार सिंह, सियाराम पांडेय, सतीश कुमार स्नेही, श्याम नंदन तिवारी, पवन कुमार सिंह, महेंद्र प्रसाद सिंह, अकमल हसन, अशोक सिंह टुनटुन, महेश प्रसाद सिंह, विनय कुमार मिश्रा, विनय कुमार द्विवेदी, जमुना प्रसाद सिंह, कृष्ण प्रताप सिंह, अनिल कुमार सिंह, इम्तेयाज अंसारी, चंद्रकांता कुमारी, मेराज खान, अवधेश पासवान, प्रज्ञा सिंह, अमित कुमार, अनिल कुमार चौबे, अमरेंद्र नारायण सिंह, पंकज तिवारी, ओंकार सिंह, नागेश शरण राय, सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, शमशेर जंग बहादुर सिंह, सुजीत कुमार सिंह, अवध किशोर पांडेय, रोशन कुमार, रजी अहमद, कमलेश कुमार उपस्थित रहे। अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन के खिलाफ दिया गया धरना दाउदनगर, संवाद सूत्र। केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के विरोध में दाउदनगर अनुमंडल परिसर में अधिवक्ताओं ने धरना दिया। अधिवक्ता अधिनियम 1961 में संशोधन का विरोध किया। वक्ताओं ने कहा कि यह विधेयक अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता, एकता और गरिमा के खिलाफ है और इसकी कई धाराएं तानाशाही प्रवृत्ति की हैं। धरने में शामिल वकीलों ने विधेयक की धारा 35ए को विवादास्पद बताया, जिसमें प्रावधान किया गया है कि कोई भी अधिवक्ता संघ अदालत के कामकाज को बाधित नहीं कर सकता और न ही हड़ताल कर सकता है। कोई वकील अदालत के कार्य में व्यवधान डालता है या बहिष्कार करता है, तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। वकीलों के हड़ताल करने के अधिकार पर रोक लगाई जा रही है। वकीलों पर अनुचित जुर्माने और दंड का प्रावधान रखा गयाहै। किसी भी शिकायत पर वकील का तुरंत निलंबन संभव होगा जिससे उनकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी। वकीलों ने विधेयक को वापस लेने या संशोधित करने की मांग की है। अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष निरंजन कुमार ने की एवं संचालन सचिव धर्मेंद्र सिंह ने किया। इससे पूर्व अपनी मांगों से संबंधित राष्ट्रपति को प्रेषित एक ज्ञापन एसडीओ मनोज कुमार को दिया। इस अवसर पर शशि कुमार, नंद कुमार, नरेन्द्र कुमार, अरविंद कुमार, महेश सोनी, अरुण कुमार, पवन वर्मा, कामेश्वर सिंह, महेंद्र पासवान आदि उपस्थित थे।
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