औरंगाबाद जिले में घटती जा रही है ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों की संख्या
आईडीटीआर के खुलने के बाद तेजी से संख्या घटी, महिलाओं की संख्या भी कम घटी है। वर्ष 2022 से इसमें तेजी से गिरावट आई है। कठिन प्रशिक्षण और तकनीकी त्रुटियों की वजह से यह संख्या घटती जा रही है। अब लोग गया,...

जिले में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों की संख्या तेजी से घटी है। वर्ष 2022 से इसमें तेजी से गिरावट आई है। कठिन प्रशिक्षण और तकनीकी त्रुटियों की वजह से यह संख्या घटती जा रही है। अब लोग गया, बक्सर, अरवल, जहानाबाद, सासाराम, भभुआ आदि जिलों से लाइसेंस बनवा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला परिवहन विभाग के द्वारा वर्ष 2020 में 6516 ड्राइविंग लाइसेंस बनाए गए थे। इसमें पुरुषों के 6377 जबकि महिलाओं के 139 ड्राइविंग लाइसेंस बने थे। वर्ष 2021 में 1824 ड्राइविंग लाइसेंस बने जिसमें पुरुषों के 18 सौ और महिलाओं के 24 ड्राइविंग लाइसेंस बने थे। वर्ष 2022 से इसमें गिरावट आई और मात्र 740 लाइसेंस बनाए गए। इसमें पुरुषों के 719 और महिलाओं के 21 ड्राइविंग लाइसेंस बने। वर्ष 2023 में कुल 511 ड्राइविंग लाइसेंस बने जिसमें 499 पुरुषों के और 12 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाए। वर्ष 2024 में यह संख्या और घट गई। कुल 399 ड्राइविंग लाइसेंस बने हैं जिसमें 396 पुरुषों ने जबकि मात्र तीन महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है। लगातार घटती संख्या के पीछे कठिन प्रशिक्षण और ड्राइविंग टेस्ट में फेल होने को कारण बताया जा रहा है। बताया गया कि औरंगाबाद के बियाडा परिसर में इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड रिसर्च सेंटर के खुलने के बाद से लाइसेंस बनवाने वाले लोगों की संख्या घट गई है। औरंगाबाद में लाइसेंस बनवाने के लिए लोगों को पहले प्रशिक्षण प्राप्त करना पड़ता है और आईडीटीआर में जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसी जांच प्रक्रिया में ज्यादातर लोग फेल हो जा रहे हैं जिसके कारण उनका लाइसेंस नहीं बन पा रहा है। लाइसेंस बनवाने के इच्छुक लोगों का कहना है कि तकनीकी त्रुटि की वजह से परेशानी हो रही है। सौ में सौ अंक प्राप्त करने के बावजूद उन्हें फेल दिखा दिया जाता है और लाइसेंस नहीं बनता है। जो लोग सालों से गाड़ी चला रहे हैं, उनका भी लाइसेंस नहीं बन पा रहा है। इसके कारण लोग ज्यादा पैसे खर्च कर दूसरे जिलों से लाइसेंस बनवा रहे हैं। इस संबंध में डीटीओ शैलेश कुमार दास ने बताया कि आईडीटीआर से उचित प्रशिक्षण के बाद ही लाइसेंस बन रहा है। जांच प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य है। तकनीकी त्रुटि के बारे में जानकारी लेकर पहल की जाएगी। ----------------------------------------------------------------------------------------- दोपहिया बाइक के लिए लाइसेंस बनाने पर लगता है 1720 रुपए दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए लाइसेंस बनाने पर लगता है 3040 रुपए
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