पेपरलेस हुआ औरंगाबाद का सदर अस्पताल, पुर्जा कटाने के लिए नहीं लगना होगा कतार में
स्वास्थ्य विभाग के सॉफ्टवेयर में मरीजों की दर्ज होगी पूरी जानकारी, पहले दिन 753 मरीजों का हुआ इलाज क्टूबर एयूआर 9 कैप्शन- शुक्रवार को सदर अस्पताल में इलाज के लिए कतार में लगे मरीज औरंगाबाद,...
औरंगाबाद सदर अस्पताल मरीजों के इलाज के मामले में अब पेपरलेस हो गया है। शुक्रवार से यह नई व्यवस्था लागू हुई है। ओपीडी के हड्डी विभाग, ईएनटी, दंत विभाग, बच्चा वार्ड, एसएनसीयू सहित सभी विभाग इस नई व्यवस्था से जुड़ गए हैं। सदर अस्पताल के सभी विभागों में अब टोकन सिस्टम से इलाज किया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत मरीज निबंधन काउंटर पर आधार कार्ड से लिंक अपना मोबाइल नंबर देंगे। मोबाइल नंबर डालते ही आधार कार्ड में दर्ज सारी जानकारी उक्त सॉफ्टवेयर में आ जाएगी। इसके बाद उन्हें टोकन नंबर दिया जाएगा। उक्त टोकन नंबर लेकर मरीज ओपीडी में इलाज कराने चले जाएंगे। सभी डॉक्टरों को लैपटॉप दिया गया है और वह सॉफ्टवेयर में मरीज की जानकारी देखेंगे। सॉफ्टवेयर में मरीज का टोकन नंबर डाल कर मरीज की जानकारी देखकर इलाज किया जाएगा। मरीज से उसकी समस्या पूछकर सॉफ्टवेयर में सभी बातों को दर्ज किया जाएगा और फिर दवा लिख दी जाएगी। मरीज यहां से वापस दवा दुकान काउंटर पर चले जाएंगे और वहां से दवा ले लेंगे। यहां पर उन्हें पर्ची दी जाएगी, जिसमें उनकी जानकारी और किए गए इलाज की जानकारी दर्ज होगी। दूसरी बार पुनः इलाज कराने के लिए आने पर उन्हें केवल मोबाइल नंबर फिर से बताने पर उनकी सारी जानकारी सॉफ्टवेयर में आ जाएगी। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा. आशुतोष कुमार सिंह और अस्पताल प्रबंधक हेमंत राजन ने बताया कि मरीज अपने आधार से लिंक मोबाइल नंबर वहां बताएंगे ताकि उनके आधार से संबंधित जानकारी मिल जाए। वर्तमान में भव्या एप के माध्यम से इलाज किया जा रहा है। सॉफ्टवेयर डॉक्टर के साथ ही निबंधन काउंटर, दवा काउंटर आदि जगहों पर उपलब्ध है। जो मरीज मोबाइल चला सकते हैं, वह बारकोड स्कैन कर अपना निबंधन खुद से कर सकते हैं। जो लोग मोबाइल नहीं चला पा रहे हैं, वह निबंधन काउंटर पर प्रतिनियुक्त कर्मी को जानकारी देंगे और उनका निबंधन कर दिया जाएगा। गंभीर रूप से बीमार रहने वाले मरीज का डाटा सुरक्षित रहने से भविष्य में इलाज की सुविधा होगी। अल्ट्रासाउंड, खून जांच, सीटी स्कैन, एक्स रे आदि की जानकारी इस ऐप के माध्यम से मरीजों को ऑनलाइन मिल जाएगी। ---------------------------------------------------------------------------------------------------- सदर अस्पताल में पेपरलेस व्यवस्था को शुक्रवार से लागू किया गया। सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक 585 मरीजों का इलाज किया गया। दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक कुल 753 मरीज देखे गए। अस्पताल प्रबंधक ने बताया कि ओपीडी में मरीजों की काफी भीड़ थी। पूर्व में निबंधन के लिए भी कतार लगती थी, लेकिन अब कतार में लगने की जरूरत नहीं होगी। कोई भी मरीज आकर अपना निबंधन खुद से भी कर सकता है। पूरी व्यवस्था डिजिटल रूप में लागू हुई है। ---------------------------------------------------------------------------------------------------- कुछ ऐसे मरीज भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जिन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता है। कुछ लोगों का मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है। कुछ बुजुर्ग और निरक्षर लोग भी हैं। ऐसे लोगों के लिए वर्तमान में पूर्व की व्यवस्था लागू है। उनका पुर्जा बनाया जाएगा और इलाज होगा। वर्तमान में 90 प्रतिशत लोगों ने उक्त सॉफ्टवेयर के माध्यम से निबंधन कराया है। ---------------------------------------------------------------------------------------------------- किसी मरीज का सदर अस्पताल में कितनी बार इलाज हुआ और उसे कौन सी दवा दी गई, इसकी पूरी जानकारी सॉफ्टवेयर में रहेगी। किसी मरीज को कब क्या समस्या हुई थी और उस समय उनका क्या इलाज हुआ था, इसकी जानकारी भी उस सॉफ्टवेयर में दर्ज रहेगी। यदि मरीज पटना सरकारी अस्पताल में जाकर अपना इलाज कराता है तो वहां भी वही मोबाइल नंबर बताने से उसकी जानकारी वहां भी देखी जा सकेगी। ऐसी स्थिति में मरीजों का रिकॉर्ड सुरक्षित रहने से काफी सहूलियत होगी।
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