सात साल से ठप है सदर अस्पताल की अल्ट्रासाउंड सेवा, मरीज बेहाल
अररिया जिले के सदर अस्पताल में पिछले सात वर्षों से अल्ट्रासाउंड सेवा बंद है। निजी एजेंसी के करार खत्म होने के बाद अब तक नई व्यवस्था नहीं की गई। मरीजों को निजी जांच घरों में जाना पड़ता है जहां उन्हें...

अररिया , निज प्रतिनिधि । अररिया जिले के इकलौते सदर अस्पताल में पिछले सात वर्षों से अल्ट्रासाउंड सेवा पूरी तरह बंद है। वर्ष 2017 में निजी एजेंसी के साथ सरकार का करार समाप्त होने के बाद से यह सेवा ठप है। अब तक न कोई नई एजेंसी हायर की गई, न ही वैकल्पिक व्यवस्था की गई। नतीजा यह है कि इलाज के लिए सरकारी अस्पताल आने वाले गरीब और जरूरतमंद मरीजों को निजी जांच घरों की शरण में जाना पड़ रहा है। वहां न केवल उन्हें मनमाने पैसे देने पड़ते हैं, बल्कि कई बार आर्थिक तंगी के कारण जरूरी जांच तक नहीं करा पाते। सदर अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन दर्जनों मरीज पहुंचते हैं, जिनमें बड़ी संख्या गर्भवती महिलाओं की होती है। डॉक्टर की सलाह पर उन्हें अल्ट्रासाउंड जांच करानी होती है, लेकिन अस्पताल में सुविधा नहीं मिलने के कारण उन्हें निजी जांच घरों में भेज दिया जाता है। वहां एक सामान्य अल्ट्रासाउंड के लिए 400 से 800 रुपये तक वसूले जाते हैं, जो कि गरीब तबके के मरीजों के लिए बेहद मुश्किल होता है। सरकारी अस्पताल में सेवा बंद होने का सबसे बड़ा फायदा निजी जांच घरों और क्लीनिक संचालकों को मिला है। मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर ये मनमाना शुल्क वसूलते हैं। अररिया शहर और आसपास के इलाकों में ऐसे कई अल्ट्रासाउंड केंद्र चल रहे हैं, जहां रेगुलेशन का भी अभाव है। इन जगहों पर जांच की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी सवाल उठते रहे हैं।सामाजिक संगठनों की भी मांगपिछले सात वर्षों में कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने समय-समय पर अल्ट्रासाउंड सेवा बहाल करने की मांग की है।
क्या कहते हैं मरीज व परिजन
गर्भवती पत्नी के इलाज के लिए अस्पताल आए मोहम्मद आदिल बताते हैं कि डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड की सलाह दी लेकिन अस्पताल में सुविधा नहीं है। मजबूरी में निजी जांच घर जाना पड़ा जहां 600 रुपये वसूले गए। वहीं, रानी देवी, प्रमिला देवी और बीबी नुजहत जैसी कई महिलाएं बताती हैं कि उन्हें प्रसव पीड़ा के बीच अस्पताल से उठाकर निजी जांच घर ले जाना पड़ा, जो न केवल खर्चीला था बल्कि परेशानी भरा भी।
जल्द ही शुरू होगी अल्ट्रासाउंड की सुविधा : सीएस
सिविल सर्जन डॉ. केके कश्यप ने बताया कि प्रशिक्षित स्टाफ की कमी के कारण अल्ट्रासाउंड सेवा ठप थी। अब गाइनेकोलॉजिस्ट की तैनाती हो चुकी है और अल्ट्रासाउंड मशीन भी आ चुकी है। इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि अगले माह से सेवा शुरू हो जाएगी।
अस्पताल प्रशासन की सात वर्षों की लापरवाही
गौरतलब है कि वर्ष 2017 तक अस्पताल में एक निजी कंपनी के जरिए अल्ट्रासाउंड सेवा उपलब्ध थी। करार समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिला प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके बीच अस्पताल परिसर में कई नई इमारतें बन गईं, नई योजनाएं आईं, लेकिन अल्ट्रासाउंड जैसी महत्वपूर्ण सेवा शुरू नहीं हो सकी।
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