छूटे हुए बच्चों को लगाया जाएगा मिजिल्स रूबेला का टीका
राज्य स्वास्थ्य समिति और यूनिसेफ ने छूटे बच्चों का सर्वे शुरू किया है, जो 21 मार्च तक चलेगा। टीकाकरण 24 मार्च से 4 अप्रैल तक किया जाएगा। डॉक्टरों ने मीजिल्स और रुबेला को समाप्त करने के लिए सभी बच्चों...

राज्य स्वास्थ्य समिति और यूनिसेफ ने शुरू किया छूटे बच्चे का सर्वे 21 मार्च तक चलेगा सर्वे, 24 मार्च से चार अप्रैल तक होगा टीकाकरण
मिजिल्स रूबेला रोग एक जानलेवा बीमारी, लें टीका: डॉक्टर
सिकटी, एक संवाददाता
राज्य स्वास्थ्य समिति और यूनिसेफ के संयुक्त अभियान के तहत मीजल्स-रुबेला टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों का सर्वे का काम शुरू हुआ। यह 21 मार्च तक चलेगा। 24 मार्च से चार अप्रैल तक इन छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. अजमत राणा ने बताया कि सभी आशा कार्यकर्ताओ को निर्देश दिया गया है कि 21 मार्च से 23 मार्च तक टीकाकरण से वंचित बच्चों संख्या को ड्यू लिस्ट बनाकर सीएचसी सिकटी में देना है। उसके बाद 24 मार्च से चार अप्रैल तक इन छुटे हुए बच्चों को एमआर का टीकाकरण किया जायेगा। इस अभियान की सफलता के लिए सभी लोगों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि मिजिल्स और रुबेला को समाप्त करने के लिए टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों को टीका लगाना अनिवार्य है, तभी मिजिल्स व रूबेला संक्रमण से छुटकारा मिल सकता है। उन्होंने बताया कि मिजिल्स रूबेला रोग एक जानलेवा बीमारी है। यह बच्चों में अपंगता और मृत्यु के बड़े कारणों में से एक है। मिजिल्स खसरा एक संक्रामक रोग है और यह एक प्रभावित व्यक्ति द्वारा खांसने व छींकने से फैलता है। इसमें तेज बुखार के साथ त्वचा पर दिखाई पड़ने वाले चकत्ते, खांसी, बहती नाक और लाल आंखें एवं प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे बच्चों में निमोनिया, दस्त व दिमागी बुखार जैसी जीवन के लिए घातक जटिलताएं हो सकती है। इसमें कुछ बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि यदि स्त्री को गर्भावस्था के आरंभ में रूबेला संक्रमण होता है तो सीआरएस जन्मजात रूबेला सिंड्रोम विकसित हो सकता है, जो भ्रूण और नवजात शिशु के लिए घातक साबित हो सकता है।
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