सपना बना ट्रामा सेंटर, वर्षों बाद भी नींव तक नहीं पड़ी
अररिया। निज संवाददाता जिले में ट्रामा सेंटर बनाए जाने की स्वीकृत मिले कई वर्ष...
अररिया। निज संवाददाता
जिले में ट्रामा सेंटर बनाए जाने की स्वीकृत मिले कई वर्ष का समय बीत गया है। कई वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी अब तक ट्रामा सेंटर के नींव तक नहीं रखी जा सकी है। इससे ट्रामा सेंटर जिले वासियों के लिए सपना बनकर रह गया है। पिछले तीन साल पहले राज्य सरकार ने पीएडीपी योजना के तहत फारबिसगंज स्थित अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में ट्रामा सेंटर निर्माण को स्वीकृति दी गई थी। अस्पताल परिसर में ही ट्रामा सेंटर के भवन का निर्माण पृथक से किया जाना था। जिले में ट्रामा सेंटर को अनुमति मिलने के बाद जिले वासियों में हर्ष था कि ट्रामा सेंटर के निर्माण के साथ ही मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। लेकिन लोगों की यह उम्मीद अब सपना बनकर रह गई है।ट्रामा सेंटर निर्माण को स्वीकृति मिले तीन वर्ष का समय बीत गया है, लेकिन अब तक ट्रामा सेंटर की नींव भी नहीं पड़ी है। भविष्य में भी ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य शुरू होगा इसका इंतजार लोगों को है। बताया जा रहा है कि ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए स्वीकृति मिलने के बाद ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए जगह निर्धारित कर व नक्सा भी तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजा गया था।लेकिन अब तक ट्रामा सेंटर तैयार नहीं हो सका है।
दूसरे जिलों पर बनी हुई है निर्भरता: जिले में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण जिले के मरीजों की निर्भरता दूसरे जिलों पर बनी हुई है। सामान्य मरीजों को छोड़कर खासकर सड़क दुर्घटना में घायल हुए मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पूर्णिया, कटिहार,सिलीगुड़ी और नेपाल जैसे हायर सेंटर रेफर किया जाता है।सरकारी अस्पतालों में गंभीर रूप से घायल मरीजों को बेहतर सुविधा नहीं मिल पाने से अक्सर मरीज पूर्णिया, कटिहार, सिलीगुड़ी, नेपाल जाने के दौरान ही दम तोड़ देते हैं।यही नहीं इससे लोगों पर आर्थिक बोझ भी अधिक पड़ता है और परेशानी भी उठानी पड़ती है।
घायलों के इलाज का नही है इंतजाम: नेशनल हाइवे तथा स्टेट हाइवे के किनारे ट्रॉमा सेंटर खोलने की सरकारी योजना दूर दूर तक नजर नही आ रही है। जिले से गुजरने वाली एनएच 57 व एनएच 327 ई, एनएच 77 सहित कई सड़के हैं। हाईवे व राजकीय राजमार्ग पर आए दिन सड़क हादसे में लोग घायल होते हैं। जिले में समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं होने से सदर अस्पताल से घायलों को रेफर कर देना पड़ता है। समय से इलाज नहीं हो पाने के कारण कई घायलों की मौत हो जाती है। इसी के मद्देनजर जिले के फारबिसगंज में ट्रामा सेंटर खोला जाना था। जिले के अलग अलग सड़कों पर औसतन हर वर्ष 250 से अधिक लोगों की मौत व सैकड़ों लोग जख्मी होते हैं। बाइक सवार ज्यादा दुर्घटना की चपेट में आते हैं। ट्रॉमा सेंटर खुलने से सड़क हादसों में घायलों को तत्काल इलाज की सुविधा मिल सके। उनकी जान बच सके और घायलों को इलाज की सारी सुविधा मौके पर ही मिल सके।
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