अररिया : जीना सिखाती है श्रीराम कथा
फारबिसगंज में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के छठे दिन, बालसंत श्री हरिदास जी महाराज ने प्रेम के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रामकथा जीवन जीने की कला सिखाती है। कार्यक्रम में भारी भीड़...
फारबिसगंज, एक संवाददाता। सनातन सत्संग समिति द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के छठे दिन बुधवार को बालसंत श्री हरिदास जी महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा का मुख्य सार प्रेम पर आधारित है,चाहे वह प्रेम माता-पिता से,भाई-भाई से,पति- पत्नी से,चाहे राजा और प्रजा के बीच हो। प्रेम वह चीज है जिसके प्रयोग से आप दुर्लभ कार्य भी सहजता से करा सकते हैं। घर गृहस्थी में माताओं का रोल बहुत महत्वपूर्ण है। माता अगर संस्कारी होगी, तो घर में भी आध्यात्मिक वातावरण बन सकता है। उन्होंने कहा कि रामजी जब वनवास चले गए तो यह प्रेम का ही प्रभाव था, कि भरत जी श्रीराम जी के वियोग में उनकी खड़ाऊं की उपस्थिति से ही श्रीराम जी के आने की राह देखते रहे। कहा कि भागवत कथा मरना सिखाती है,जबकि श्रीराम कथा जीना सिखाती है।
इधर कथास्थल पर भीषण ठंड के बावजूद लोगों की भीड़ काफी नज़र आई। कथास्थल पर पुरुषों के बजाय महिला श्रद्धालुओं की उपस्थिति काफी नज़र आई। वहीं श्री राम कथा के दौरान भक्तों द्वारा प्रस्तुत झांकी आकर्षक का केंद्र बनी रही। वहीं आयोजन समिति के सदस्य हेमू बोथरा, पूनम पांडिया, पप्पू फिटकरीवाला, शिव फिटकरीवाला, आकाश कुमार, हर्ष कुमार, काव्या कुमारी, रक्षा कुमारी, विजय लखोटिया, मुख्य यजमान मोतीलाल गोल्यान आदि काफी सक्रिय नजर आये।
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