Hindi Newsबिहार न्यूज़अररियाPM Modi s Inauguration of AIIMS in Darbhanga A Lifeline for Araria Residents

बेहतर इलाज के लिए अब पटना और सिलीगुड़ी से मिलेगी निजात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दरभंगा में एम्स का शिलान्यास करेंगे, जो अररिया जिला वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सौगात है। इससे स्थानीय निवासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी, जिससे उन्हें पटना या...

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाTue, 12 Nov 2024 10:28 PM
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अररिया, संवाददाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जब दरभंगा में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स का शिलान्यास करेंगे तो ये कई मायनों में सीमांचल खासकर अररिया जिला वासियों के लिए एक बेहतरीन सौगात होगा। क्योंकि इस उच्च स्तरीय स्वास्थ्य संस्थान के चालू होने के बाद जिलेवासियों को बेहतर इलाज के लिए पटना स्थित एम्स या आईजीआईएमएस का चक्कर लगाना नहीं पड़ेगा। न ही सिलीगुड़ी सहित अन्य किसी शहर के कॉरपोरेट अस्पतालों में जा कर जेब ढीली करनी पड़ेगी। खास कर आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए तो ये एक बड़ी राहत होगी। बता दें कि पटना के बाद दरभंगा बिहार का दूसरा एम्स होगा।

एचएससीसी बनाएगा अस्पताल, 1261 करोड़ लागत:

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दरभंगा एम्स का निर्माण हॉस्पिटल सर्विसेज कंसल्टेंसी कॉरपोरेशन लिमिटेड करेगी। ये सरकारी उपक्रम एनबीसीसी की एक अनुषांगिक इकाई है। कुल लागत 1261 करोड़ है। बहुत मुमकिन है कि इस परियोजना में भवन निर्माण से लेकर डाक्टरों और स्टॉफ की पोस्टिंग और आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में चार से पांच साल या उस से भी अधिक का समय लग जाए। पर इतना तय है कि एम्स दरभंगा के फंक्शनल होने के बाद जिले वासी बहुत राहत महसूस करेंगे।

समय और पैसे की होगी बचत:

वर्तमान समय में गंभीर बीमारियों का इलाज करने के लिए जिलेवासी पटना स्थित एम्स या आईजीआईएमएस का रुख करते हैं। सड़क मार्ग से बस से पटना जाने में लगभग आठ घंटे का समय लगता है। जबकि निजी या किराए के चार चक्का वाहन से पटना तक की लगभग 325 किलोमीटर की दूरी तय करने में कम से कम छह घंटे का समय लगता है। जबकि दरभंगा की दूरी करीब 200 किलोमीटर है। फोरलेन सड़क के कारण ये दूरी ढाई घंटे में तय की जा सकती है। एक बड़ी राहत ये होगी कि लोग दरभंगा एम्स में डाक्टर को दिखा कर चाहें तो उसी दिन वापस घर लौट सकेंगे। जबकि पटना में दो तीन दिन ठहरना लाजिमी है। हालांकि सिलीगुड़ी भी अब दो से ढाई घंटे में पहुंचना मुमकिन है, लेकिन इलाज के लिए सिलीगुड़ी जाने का मतलब कॉरपोरेट अस्पतालों में जेब ढीली करना है। इस से भी जिले वासियों को निजात मिलेगी।

पटना एम्स का भी लोड घटेगा:

अगर पटना एम्स जैसे ही इलाज और सुविधा दरभंगा एम्स में मिलने लगेगी तो सीमांचल के अधिकांश रोगी दरभंगा को ही प्राथमिकता देंगे। इसका एक बड़ा फायदा ये भी होगा कि पटना एम्स और आईजीआईएमएस जैसे अस्पतालों के ओपीडी में पहुंचने वाले रोगियों की संख्या 25 से 30 प्रतिशत तक घट जाएगी।

सुबह पहुंच कर लगा सकेंगे नंबर:

दरभंगा एम्स खुलने से जिले वासियों को नंबर लगने के लिए एक दिन पहले अररिया से नहीं निकालना होगा। क्योंकि सुबह छह सात बजे भी अररिया से निकल कर 10 बजे तक दरभंगा पहुंच कर ओपीडी में नंबर लगा कर संबंधित डाक्टर से मिल सकेंगे और अपना इलाज शुरू करा सकेंगे। फॉलोअप के लिए भी दरभंगा में ठहरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रोगी और उनके परिजन अररिया से प्रतिदिन आना जाना कर सकेंगे। क्योंकि अररिया दरभंगा मार्ग पर कमोबेश दिन भर प्राइवेट बसें चलती रहती हैं।

केवल अस्पताल नहीं मेडिकल और नर्सिंग की पढ़ाई भी:

750 बेड वाला एम्स दरभंगा केवल एक अस्पताल ही नहीं होगा बल्कि वहां मेडिकल और नर्सिंग की पढ़ाई के लिए भी अलग ब्लॉक होगा। बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजन होगा। जानकारी के मुताबिक डाक्टरों, फैकल्टी और अन्य स्टॉफ को मिला कर लगभग तीन हजार लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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