चीन-भारत के बीच छह कॉरिडोर बनाने की तैयारी में नेपाल
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन यात्रा के दौरान, नेपाल सरकार ने भारत-चीन सीमा के पास छह कॉरिडोर राजमार्ग बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में अररिया जिले का जोगबनी पार...
अररिया, वरीय संवाददाता दो दिसंबर से नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन की प्रस्तावित यात्रा है। इस यात्रा दौरान नेपाल सरकार चीन और भारत बार्डर के समीप छह कॉरिडोर राजमार्ग बनाने के प्रस्ताव करने की तैयारी में जुटा है। खबर के मुताबिक नेपाली प्रधानमंत्री ओली के चीन भ्रमण की तैयारी में जुटे पीएम व विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने चीनी दूतावास के अधिकारियों के साथ इस प्रस्ताव को भी एजेंडा में शामिल किया है। खास बात ये कि इन छह कॉरिडोर में अररिया जिले के जोगबनी पार विराटनगर-किमाथांका मार्ग भी शामिल हैं। भारत सरकार इसे स्वीकार करेगा की नहीं फिलहाल कहना मुश्किल है। लेकिन नेपाल में छह कॉरिडोर की चर्चा खूब हो रही है।
खबर के मुताबिक 30 नवंबर से ही नेपाल के विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा देउवा की चीन की प्रस्तावित यात्रा है। चीन यात्रा के दौरान नेपाल की तरफ से चीन और भारत को जोड़ने वाले छह सीमा नाका को जोड़कर कॉरिडोर राजमार्ग बनाने का प्रस्ताव किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अमृत बहादुर राय ने बताया कि अभी विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के चीन भ्रमण के एजेंडा को अंतिम रूप देने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि चीन भ्रमण में पोखरा एयरपोर्ट और बीआरआई कार्यान्वयन सहित चीन के तरफ से भौतिक पूर्वधार निर्माण में सहयोग की सूची तैयार की जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि नेपाल की तरफ से चीन और भारत को जोड़ने वाले छह प्रमुख सीमा नाका तक राजमार्ग बनाने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने बताया कि भारतीय सीमा से सटे नेपाल के पांच प्रमुख व्यापारिक सीमा नाका बीरगंज, विराटनगर, भैरहवा, नेपालगंज और कंचनपुर को चीन के व्यापारिक नाका से जोड़ने के लिए इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। प्रवक्ता अमृत राय के मुताबिक चीन से जुड़े तातोपानी नाका से बीरगंज तक, किमाथांका नाका से विराटनगर तक, ओलांगचुंगगोला नाका से कांकडभिट्टा तक, रसुवागढी नाका से भैरहवा नाका तक, कोरला नाका से नेपालगंज नाका तक और हिलसा नाका से कंचनपुर नाका तक राजमार्ग बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
छह में से दो ही सीमा नाका हैं संचालित:
भारत से जुड़े सभी नाका इस समय संचालन में है, जबकि चीन से सहयोग मांगने वाले छह के से दो ही सीमा नाका संचालन में है। चीन से जुड़े तातोपानी और रसूवागढ़ी नाका ही सिर्फ संचालन में है। जबकि चीन ने कोरला और हिलसा नाका संचालन की अनुमति दे दी है। नेपाल की तरफ से बाकी रहे कीमनथंका और ओलंगचुंगगोला को भी खोलने का प्रस्ताव किया गया है।
क्या भारत स्वीकार करेगा छह कॉरिडोर के प्रस्ताव:
लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या चीन और भारत के बीच छह कॉरिडोर राजमार्ग बनाने के नेपाल के प्रस्ताव को
भारत स्वीकार करेगा, क्योंकि भारत और चीन के बीच तनाव जग जाहिर है। भारत को ड्रैगन पर भरोसा नहीं है। 1962 के युद्ध को वह भूला नहीं है। इसके साथ ही नेपाल का झुकाव चीन की ओर बढ़ने से भी भारत असहज महसूस कर रहा है। हालांकि भारत और चीन के बीच हाल ही में रिश्तों में सुधार हुआ है। इसे स्थायी कहा नहीं जा सकता।
क्या कहती हैं कॉ-ऑर्डिनेशन कमेटी:
इंडो-नेपाल जर्नलिस्टस कॉ-ऑर्डिनेशन कमेटी के प्रेसिडेंट वरिष्ठ पत्रकार पंकज रणजीत व जेनरल सेक्रेटरी सह वरिष्ठ पत्रकार कमल रिमाल ने बताया कि छह कॉरिडोर के बनने से नेपाल सहित तीनों देशों के आपसी संबंध मजबूत होने की उम्मीद है। व्यापारिक दृष्टिकोण से अच्छे परिणाम मिलने की संभावना है। बताया कि नेपाल और भारत के बीच औपचारिक संधि 1950 में हुई थी लेकिन उससे भी ज्यादा नेपाल और भारत के बीच रोटी बेटी का अटूट संबंध है। नेपाल सरकार ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे कि भारत के साथ उनके रिश्ते में खटास आए। भारत को परेशानी होगी तो नेपाल भी चैन से नहीं रहेगा। क्योंकि दोनो देश के बीच पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक संबंध है।
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