प्रवासी पक्षियों के संगीतमय शोर से गुलजार हो रहे नागी-नकटी जलाशय
झाझा का नागी-नकटी जलाशय सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श स्थल बन गया है। यहां विदेशी पक्षियों की लैंडिंग शुरू हो चुकी है, जिससे पूरा वातावरण पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है। विशेषज्ञों का...
झाझा । रामसर साइट्स के वैश्विक दर्जे वाली सूचि में शुमार नागी-नकटी जलाशय इन दिनों अपने दर्जे को पूरी तरह सार्थक करते दिख रहे हैं। मौसम में ठंडक गहराते ही न सिर्फ जमुई जिला,अपितु पूरे प्रदेश का गौरव नागी एवं नकटी पक्षी अभ्यारण्यों (बर्ड्स सेंच्यूरी) में प्रवासी पक्षियों की लैंडिंग शुरू हो गई है। और....झाझा की चौहद्दी में पसरे उक्त अभ्यारण्य विदेशी मेहमानों के कलरव के संगीतमय शोर से गूजने लगे हैं। नागी,नकटी के आंचल में विदेशी मेहमानों के कलरव व अठखेलियों से आसपास का पूरा माहौल भी बड़ा सुखद व खुशनुमा हो चूका है। बता दें कि दशकों से जारी रूटीन व रवायत के मुताबिक ही इस साल भी सर्दियों का मौसम शुरू होते ही झाझा प्रखंड के आंचल में पसरीं इन नामचीन पक्षी आश्रयणियों में विदेशी मेहमानों की लैंडिंग भी शुरू हो गई है। ठंड में इजाफे के साथ-साथ इनकी आवक में भी दिनोंदिन इजाफा होता देखा जा रहा है। दूर-दराज के मुल्कों से हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके आने वाले प्रवासी पक्षियों के झुंड के झुंड हर दिन यहां लैंड कर रहे हैं,ऐसा स्थानीय बर्ड्स गाइड भी बताते हैं। देसी-विदेशी मेहमानों की बेधड़क लैंडिंग से इलाके का पूरा वातावरण उनके कलरव की संगीतमय ध्वनि से मानों प्रतिध्वनित हो रहा है। अभी सर्दियों की शुरूआत है। किंतु इस शुरूआत में ही साइबेरियन पक्षियों की उधम मस्ती व अठखेलियां पूरे शवाब पर दिख रही है। अपनी इस चिर-परिचत आश्रयणी में आने के बाद इनका अंदाज-मिजाज भी मानों बिल्कुल बिंदास हो जाता है। पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा तो इन पक्षी आश्रयणियों के मामले में बड़े ही फख्र भरे अंदाज में कहते हैं कि विदेशी मेहमानों के लिए इस प्रदेश में यदि कोई स्वर्ग है तो वह इकलौता स्वर्ग झाझा के नागी-नकटी डैम ही हैं। श्री मिश्रा के उक्त कथन से बीते साल यहां आए पक्षी सह पर्यावरणविद् तथा एडब्लूसी के बिहार कॉर्डिनेटर दीपक कुमार व खास नागी,नकटी की कुदरती व प्राकृतिक छटाओं की खूबसूरती के दीदार व इसके आनंद की अनुभूति को आए पटना निवासी वन्यजीव प्रेमी डॉ.वरूण कुमार भी पूरी तरह इत्तेफाक रखते मिले थे। डॉ.कुमार का कहना था कि उन्हें अफसोस है कि प्रकृति व पक्षियों के इस खूबसूरत खजाने को वे अब तक ‘मिस किए हुए थे।
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