Hindi Newsबिहार न्यूज़अररियाMithilanchal Celebrates Sama Chakeva Festival with Joy and Tradition

परम्परागत हर्षोल्लास के साथ मनी मिथिलांचल का लोकपर्व ‘सामा चकेवा

अररिया, वरीय संवाददाता जिले में शुक्रवार की देर रात मिथिलांचल का लोकपर्व ‘सामा चकेवा

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाSat, 16 Nov 2024 11:13 PM
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अररिया, वरीय संवाददाता जिले में शुक्रवार की देर रात मिथिलांचल का लोकपर्व ‘सामा चकेवा परम्परागत रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शहर के खरहिया बस्ती, शिवपुरी, दरभंगिया टोला, काली बाजार वार्ड 14 और 22 में देर रात तक महिलाएं यह पर्व मनाई। साथ ही भाई के दीर्घायु की कामना की। इस दौरान पद्मश्री लोकगायिका शारदा सिंहा की सामा चकेवा की गीत गाती रही। सामा चकेवा खेल रही महिलाओ ने बताया कि इसकी शुरुआत छठ के पारण के दिन से हो जाती है। सभी अपने अपने घर में इस दिन से सामा चकेवा बनाना शुरु कर देती हैं। जो भी इस दिन बना नहीं पाती हैं वो देवउठान एकादशी के दिन बनाती हैं। इसमें सामा, चकेवा, वृंदावन, चुगला, सतभैया, पेटी, पेटार आदि मिट्टी से बनाया जाता है। उस दिन से नियमित रात्रि के समय आंगन में बैठ कर खूब खेलती हैं, नियमित गीत गाती हैं। इसमें भगवती गीत, ब्राम्हण गीत और अंत में बेटी विदाई का समदाउन गाती हैं। इसके बाद सामा का विसर्जन किया गया है। ऐसा मान्यता है कि सामा भगवान श्री कृष्ण की पुत्री थी जो कि प्रत्येक दिन वृंदावन के जंगल में खेलने जाया करती थी। एक दिन चुगला नाम का एक व्यक्ति श्री कृष्ण को झूठा बोल दिए कि आपकी बेटी कोई साधु से मिलने जाती है। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बेटी यानी सामा को श्राप दे देते हैं पक्षी बनने का। अब वो सामा रूपी पक्षी वृंदावन के जंगल में ही रहती थी।एक दिन सामा के भाई चकेवा को पता चला जो मेरी बहन को चुगला ने चुगल्पन कर के श्राप दिलवा दिया तो वो भी उसी दिन तपस्या में बैठ गया और भगवान को प्रसन्न किया। फिर भगवान ने वर मांगने को कहा तो वे अपनी बहन को वापस मांग की। इसलिए इस पर्व को भाई बहन के प्रेम और स्नेह के रूप में मनाया जाता है। हरेक बहन अपने भाई की दीर्घायु की कामना करती हैं।

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