कमजोर बच्चों में कुपोषित दूर करने का सरकारी प्रयास अब तक हवा-हवाई
रानीगंज प्रखंड के चिरवाहा रेहिका महादलित टोला में कुपोषण की समस्या गंभीर हो गई है। सितंबर में पांच बच्चों की संदिग्ध मौत के बाद आईसीडीएस जांच में 15 से अधिक बच्चे कुपोषित पाए गए। गांव में आंगनबाड़ी...
रानीगंज प्रखंड के चिरवाहा रेहिका महादलित टोला का मामला सितंबर माह में ईसीडीएस की जांच में मिले थे डेढ़ दर्जन से अधिक कुपोषित बच्चे
सितंबर महीने में ही इस गांव में पांच बच्चों की हुई थी संदिग्ध मौत, कुपोषण प्रमुख कारण
गांव में बन रहा है अस्पताल, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र पर ध्यान नहीं
गांव की 80 प्रतिशत आबादी को आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा नहीं
रानीगंज, एक संवाददाता।
रानीगंज प्रखंड के मझुवा पूरब पंचायत के चिरवाहा रेहिका महादलित टोला में बीते अगस्त व सितंबर महीने में एक के बाद एक पांच बच्चों की मौत के बाद प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गांव के बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए कई तरह के दावे किए गए लेकिन अबतक इस गांव के बच्चों को कुपोषण से मुक्ति नहीं मिल सकी है। हालांकि इस गांव में महीनों तक स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में कैंप करती रही। लेकिन बच्चों में कुपोषण को दूर करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो सकी।
दरअसल बीते सितंबर माह में गांव में जब बीमारी से बच्चों की मौत हो रही थी तब आईसीडीएस की जांच में एक दर्जन से अधिक बच्चों में कुपोषण पाया गया था। इनमें चार बच्चों में तो अति कुपोषण के लक्षण थे। आईसीडीएस की जांच में भी इस गांव में 11 बच्चों में कुपोषण के और चार बच्चों में अतिकुपोषण के लक्षण मिले थे। कुपोषित बच्चों में एक साल से लेकर दस साल तक के बच्चे शामिल थे। जांच में मझुवा पूरब पंचायत के वार्ड संख्या 11 के भारती कुमारी उम्र डेढ़ साल, अनुराग कुमार उम्र ढाई वर्ष, रिचा कुमारी उम्र दो वर्ष, संतोषी कुमारी उम्र एक वर्ष, रिंकी कुमारी उम्र दो वर्ष, सपना कुमारी उम्र डेढ़ वर्ष, गौरव कुमार उम्र तीन वर्ष, प्रियंका कुमारी उम्र चार वर्ष, संजना कुमारी उम्र पांच वर्ष, कार्तिक कुमार उम्र दस साल के बच्चे कुपोषण के शिकार मिले थे। जबकि इसी वार्ड के बुधनी कुमारी उम्र चार वर्ष, देवकी कुमारी, प्रिंस कुमार उम्र ढाई साल, और डेढ़ साल के अंकुश कुमार अति कुपोषण के शिकार थे। इन बच्चों का उम्र में हिसाब से शरीर का वजन और लंबाई में काफी अंतर मिला था।
गांव में बन रहा उपस्वास्थ्य केंद्र, पर आंगनबाड़ी पर ध्यान नहीं:
मझुवा पूरब पंचायत का वार्ड 11 नदी के दो हिस्सों में बंटा है। इस वार्ड के एक हिस्से में पूरे वार्ड की करीब 80 प्रतिशत आबादी बसती है। जबकि नदी के दूसरे भाग में मात्र बीस प्रतिशत आबादी है। हैरत की बात यह है कि इस 20 प्रतिशत आबादी में ही आंगनबाड़ी केंद्र है। जबकि 80 प्रतिशत की आबादी वाले लोग आंगनबाड़ी की सुविधा से वंचित है। जिस कारण यहां के बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे है। यहां की गर्भवती महिलाओं को भी पोषण नहीं मिल पाता है।
जांच टीम ने आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की कही थी बात:
बता दें कि दो माह पहले राज्य सर्वेक्षण इकाई की टीम व डब्ल्यूएचओ की टीम ने गांव में संयुक्त रूप से जांच की थी। जांच में कुपोषण एक बड़ी समस्या मिली थी। टीम द्वारा गांव के बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की बात कही गयी थी। लेकिन इस गांव में कुछ दिन पहले से एक उपस्वास्थ्य केंद्र बन रहा है। यानी बच्चे बीमार होंगे तो उनका इलाज होगा लेकिन इस दिशा में पहल नहीं किया गया की यदि कुपोषण दूर हो जाता है तो बच्चे बीमार ही नहीं होंगे।
बोले अधिकारी:
अररिया सदर एसडीओ अनिकेत कुमार ने बताया कि आंगनबाड़ी को लेकर सीडीपीओ से बात करनी होगी। यहां पर प्रमुख स्तर से आंगनबाड़ी की बात हो रही थी। इस मामले को अपने स्तर से देखेंगे।
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