लॉकडाउन: दूध उत्पादक किसानों की कमर टूटने से संकट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था
लॉकडाउन के कारण एक और जहां लोगों के व्यवसाय की हालत खस्ताहाल हो गई है। वहीं दूसरी ओर किसानों के साथ ही डेयरी व्यवसाय पर भी आर्थिक संकट मंडराने लगा है। संकट के समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे...
लॉकडाउन के कारण एक और जहां लोगों के व्यवसाय की हालत खस्ताहाल हो गई है। वहीं दूसरी ओर किसानों के साथ ही डेयरी व्यवसाय पर भी आर्थिक संकट मंडराने लगा है। संकट के समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे दुग्ध उत्पादन की खस्ता होती हालत ने चिंता बढ़ा दी है। लॉकडाउन के कारण बाजार पूरी तरह बंद रहने के कारण दूध की सप्लाई भी बंद हो गई है। ज्यादातर दूध मिठाई की दुकानों, चाय की दुकानों और शहर में घरों में सप्लाई होता है। लॉकडाउन के चलते सब बंद है। ऐसे में हर दिन दूध बच रहा है। नरपतगंज के पंचगछिया चौक स्थित बल्क मिल्क कूलिंग इकाई में नरपतगंज, भरगामा, फारबिसगंज, बथनाहा आदि के दुग्ध उत्पादक समिति द्वारा प्रतिदिन करीब पांच हजार लीटर दूध लिया जाता था। लेकिन अब महज दो हजार लीटर दूध लिया जा रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले डेरी उद्योग इस लॉकडाउन के कारण पूरी तरह संकट में घिरा हुआ है। किसान अपने भरोसे जीने को मजबूर दिख रहे हैं। अगर जल्द ही इन लोगों को सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं हुई तो कितने दूध उत्पादक किसान भूखे मरने को विवश हो जाएंगे। नरपतगंज के दुग्ध उत्पादक किसान सुरेंद्र उर्फ ननकी यादव ने बताया कि उनके पास करीब 25 से ज्यादा की संख्या में गाय और भैंस है। ज्यादातर दूध का खपत होटलों में होता था लेकिन होटल बंद होने के कारण अब जानवरों को चारा भी अपने घर से खिलाना पड़ रहा है। अगर जल्द ही और संकट खत्म नहीं हुआ तो मवेशी बेचने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
क्या कहते हैं सुधा डेयरी के क्षेत्रीय प्रबंधक: पूर्णिया प्रक्षेत्र के सुधा डेयरी के क्षेत्रीय प्रबंधक दिनेश सिंह ने बताया कि लॉगडाउन के कारण दुग्ध उत्पादक समिति से दूध लगातार किया जा रहा है। आंशिक रूप से फर्क पड़ा है। बाजार में दूध की सप्लाई भी लगातार की जा रही है उन्होंने बताया कि जो डेहरी उत्पादक बाजारों में अपना दूध बेचते थे। उन पर इस लॉकडाउन का प्रतिकूल असर पड़ा है।
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