मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव से तेलहनी फसल प्रभावित
सरसों फसल पर लाही का प्रकोप बढ़ने से किसान परेशान आशंका: लाही किट के
सरसों फसल पर लाही का प्रकोप बढ़ने से किसान परेशान आशंका: लाही किट के प्रकोप से सरसों की उपज होगी प्रभावित होगी
क्या कहते हैं किसान, क्या कहते हैं किसान सलाहकार
भरगामा । निज संवाददाता
मौसम में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव का असर अब तेलहनी फसलों पर भी पड़ने लगा है। कभी अधिक ठंड तो कभी हल्की गर्म मौसम होने के कारण इसका सबसे ज्यादा असर सरसों की फसल पर पड़ा है। सरसों की फसल पर इन दिनों लाही का प्रकोप काफी बढ़ गया है जिससे किसान काफी चिंतित हैं। किसानों का कहना है कि लाही किट के प्रकोप से सरसों की उपज प्रभावित होगी और खेती में काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। किसानों ने बताया कि लाही का कीट काफी छोटा-छोटा होता है । जो सरसों फसलों की कोमल कलियों , पुष्प और विकसित हो रहे फलियों के अंदर घुस करके रस चूस लेता हैं जिसे पौधों को मिलने वाला पोषक तत्व अवरुद्ध हो जाता है। इससे कलियां विकसित नहीं हो पाती है जिससे सरसों फसल की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। किसानों ने बताया कि उन लोगों के सरसों फसल में शुरुआती दौर में लाही का प्रकोप नहीं था लेकिन इधर मौसम के उतार चढ़ाव व तापमान में गिरावट होते ही खेतों में लगे सरसों के फसलों पर लाही किट का प्रकोप बढ़ने लगा है जिससे क्षेत्र के तिलहन उत्पादन करने वाले किसानों को चेहरे पर काफी परेशानी झलक रहा है।
अधिकांश किसान करते हैं तेलहनी फसल की खेती:
यंू तो क्षेत्र के सभी गांवों में किसानों ने सरसों फसल की खेती तेलहनी फसल के रूप में करते हैं। गेहूं की बुआई के साथ किसान अपनी खेतों सरसों फसल की खेती करते हैं। हालांकि विगत कुछ दिन पहले तक इस क्षेत्र में किसानों के द्वारा बहुत अधिक रकबा में सरसों व सूरजमुखी जैसे तेलहनी फसलों की खेती की जाती थी, परंतु क्षेत्र में किसानों का झुकाव मक्का की खेती की ओर अधिक होने के चलते सरसों फसल की खेती का रकबा थोड़ा घट गया है। परंतु क्षेत्र में खेती किसानी करने वाले अधिकांश किसान अपनी कुछ न कुछ खेतों में अभी भी सरसों के फसल की खेती करते हैं। ऊपज हो जाने के बाद किसान इसका तेल निकलवा कर अपना उपयोग भी करते हैं और बांकी बचे को नगदी फसल के रूप में बेचते हैं। इसकी मूल अधिक रहने के चलते इसको किसानों को इससे अच्छा आमदनी भी हो जाता है।
क्या कहते हैं किसान:
क्षेत्र के तेलहनी उत्पादक किसान शेखपुरा निवासी मुन्ना यादव, रविंद्र यादव शंकरपुर के आशीष सिंह सोलंकी , सोकेला के दिनेश मेहता सहित कृषक अमर सिंह चौहान, रघुनंदन मंडल, मिथिलेश राय, अनिल सिंह, सुमन सिंह, सुनील झा आदि क्षेत्र के दर्जनों के किसानों ने बताया कि पिछले दिनों तापमान में गिरावट होते ही क्षेत्र में सरसों के फसल पर लाही किट का प्रकोप बढ़ने लगा है। इससे सरसों के उपज में 20% तक कमी हो सकती है। इन किसानों का कहना है कि कीड़ा से निजात पाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव तो कर रहे हैं बावजूद लाही कीटों पर कोई खास असर नहीं हो रहा हैं। किसानों का कहना है कि मौसम में आए बदलाव के कारण से सरसों के फसल पर लाही कीड़ा का प्रभाव तेजी से हो रहा है । अगर समय रहते इसकी रोकथाम नहीं हुई तो किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दोपहर में करें दवा का छिड़काव:
किसान सलाहकार राज किशोर यादव ने बताया कि सरसों के फसल में एक जनवरी बाद से फरवरी बीच लाही का प्रकोप सरसों फसल पर आने की आशंका रहती है। वर्तमान में तापमान मे गिरावट से कीड़े अधिक हो गए हैं। इसके लिए किसानों को दवा का छिड़काव करना चाहिये। उन्होंने बताया कि कीटनाशक का छिड़काव दोपहर में करने से इसका बेहतर परिणाम मिलता है।
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