Hindi Newsबिहार न्यूज़अररियाDysfunctional Addiction Rehabilitation Center in Araria No Patients Admitted

अब तक कुल 40 लोग ही हुए भर्ती, पता नहीं कितने हुए नशा मुक्त

अररिया के सदर अस्पताल में स्थित नशा मुक्ति केंद्र अब केवल नाम का रह गया है। नई बिल्डिंग में न तो कोई जगह आवंटित की गई है और न ही स्टॉफ की नियुक्ति हुई है। अस्पताल प्रबंधक और साइकोलॉजिस्ट के बयानों में...

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाMon, 25 Nov 2024 11:17 PM
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अररिया, संवाददाता सदर अस्पताल स्थित जिस नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना को लेकर ढिंढोरा पीटा गया था वो अब केवल नाम भर का रह गया है। क्योंकि न तो नई बिल्डिंग में उसके केंद्र के लिए कोई जगह आवंटित की गई है और न अलग से स्टॉफ की नियुक्ति की गई है। आलम ये है कि पुराने ही भवन में नशा मुक्ति केंद्र नाम का स्थान तो है, लेकिन बरसों से कोई रोगी भर्ती नहीं हुआ है।

इस संबंध में सदर अस्पताल प्रबंधक और सदर अस्पताल में पदस्थापित साइकोलॉजिस्ट का बयान भी विरोधाभासी है।

नशा मुक्ति केंद्र के बाबत पूछे जाने पर अस्पताल प्रबंधक विकास कुमार कहते हैं कि सारी व्यवस्था है। आठ बेड भी लगे हुए हैं लेकिन नशा की लत से पीड़ित ऐसा कोई रोगी नहीं आता जो भर्ती होना चाहता हो। उन्होंने कहा कि एक साइकोलॉजिस्ट भी पदस्थापित हैं। वहीं पूछने पर साइकोलॉजिस्ट शुभम कुमार ने बताया कि वो क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट नहीं हैं। न ही साइकैट्रिस्ट हैं। उनकी पोस्टिंग दअरसल तंबाकू लत की मुक्ति के लिए हुई है। इस सिलसिले में काफी काम हो भी रहा है। कई स्कूलों और अन्य स्थानों पर भी नशामुक्ति को लेकर जागरूकता अभियान चलता रहता है। नशा मुक्ति दिवस पर मंगलवार को शपथ ग्रहण कार्यक्रम भी है। वहीं नशा मुक्ति केंद्र के बाबत उन्होंने बताया कि नई बिल्डिंग में कोई विशेष स्थान आवंटित नहीं हुआ है। उन्होंने ये भी कहा कि नशा मुक्ति केंद्र के व्यवस्थित संचालन के लिए साइकैट्रिस्ट, कंसल्टेंट, नर्स, वार्ड बॉय सहित आठ से दस स्टॉफ चाहिए। कोई नहीं है । पहले जब मरीज भर्ती किए जाते थे तो सदर अस्पताल के स्टॉफ से ही काम चलाया जाता था। अब तो इनडोर पेसेंट है ही नहीं। हालांकि उन्होंने ये जरूर स्वीकारा कि ओपीडी में रोजाना कुछ न कुछ मरीज पहुंचते हैं। अधिक संख्या स्मैक के लत वालों की होती है। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में स्मैक और कोडीन जैसे लत के शिकार लगभग 500 लोग ओपीडी में दिखा चुके हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे जो रोगी अस्पताल पहुंचते हैं उन्हें वे ओपीडी में उपलब्ध सामान्य डाक्टर के पास ले जा कर उपचार शुरू करवा देते हैं। अब कितने लोग नशे की लत से बाहर निकल चुके हैं ये कहना मुश्किल है।

40 लोगों के नशे की लत से निकलने का दावा:

साइकोलॉजिस्ट शुभम कुमार बताया गया कि 40 के करीब लोग नशे की लत से निकल चुके हैं। उन्होंने ये भी बताया कि नशा मुक्ति वार्ड में कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। बिजली वायरिंग विशेष प्रकार की होती है। वार्ड में झूलने या लटकने के लिए किसी प्रकार की सामग्री नहीं होनी चाहिए। मरीज तभी भर्ती किया जाएगा जब उसके साथ एक अटेंडेंट भी हो। किसी अनहोनी को रोकने के लिए इन सारे नियमों का पालन जरूरी है।

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