बाल संत की अगुवाई में शहर में निकली भव्य प्रभातफेरी
फारबिसगंज में नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के आठवें दिन बालसंत श्री हरि दास जी महाराज की अगुवाई में प्रभातफेरी निकाली गई। भक्तों ने जयकारे और भजन गाते हुए कथा स्थल की ओर बढ़ते हुए सुंदर स्वागत किया।...
शुद्ध मन से याद करने से खुश हो जाते हैं भगवान: बालसंत जयकारों व भजन-कीर्त्तन से माहौल बना भक्तिमय
श्रीराम कथा महोत्सव के आठवें दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब
फारबिसगंज, एक संवाददाता।
सनातन सत्संग समिति द्वारा शहर के छुआपट्टी स्थित तपेश्वर गुप्ता के गोला में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के आठवें दिन शुक्रवार को बालसंत श्री हरि दास जी महाराज के नेतृत्व में प्रभातफेरी निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल हुए। इस मौके पर कथास्थल से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ श्री राम जयकारे तथा भजन गाते हुए भक्तगण राजेन्द्र चौक,सदर रोड,जैन धर्मशाला गली,काली मंदिर चौक, पटेल चौक, अस्पताल रोड, पुस्तकालय रोड, मानिकचंद्र रोड़ होते हुए कथा स्थल पहुंचकर समाप्त हुई। इस दौरान बालसंत के स्वागत के लिए सभी जगह रंगोली और दीप जलाए गए थे, खासकर जैन धर्मशाला गली और मानिकचंद्र रोड में प्रभातफेरी का अभूतपूर्व स्वागत निवासियों द्वारा पुष्प वर्षा कर की गई। इधर श्री कथा के आठवें दिन बालसंत महाराज ने अपने धार्मिक प्रवचन में कहा कि जब श्रीराम जी को वनवास हो गया, तो जैसे ही भरत जी को सारी घटना की जानकारी हुई तो वे अपने माता कैकेई पर आक्रोशित हो दु:खी हो गये और अयोध्या वासियों के साथ मिलकर श्रीराम जी को वापस लाने चल दिए। श्रीराम जी से भरत जी का मिलन का प्रसंग सभी श्रोताओं को भाव-विभोर कर गया। काफी विचार के पश्चात जब श्रीराम जी ने भरत जी से कहा कि माता पिता की आज्ञा,इच्छा का पालन करना हर पुत्र का परम कर्तव्य है। मैं उनकी इच्छा पुर्ति के बाद जब आऊंगा तो सब सम्हाल लुंगा, तब तक भरत भाई तुम अयोध्यावासियों का ख्याल रखना। तब जाकर भरत जी माने और श्रीराम जी की पादुका मांग कर वापस दु:खी मन से अयोध्या लौट आए।
बाल संत ने कहा कि श्रीराम जी ने कहा कि जीना उसी का सार्थक है, जिसके जीने से अनेकों का जीवन सुखमय हो जाय। जीवन में सब कुछ दुबारा मिल सकता है, एक भाई ही दुबारा नहीं मिलता। बालसंत श्री हरि दास जी ने कहा कि पृथ्वी पर विचरण करने वाले सभी मनुष्य एक दूसरे से कुछ न कुछ चाहते रहते हैं, हर संबंध में स्वार्थ लिप्त हो चुका है। एक भगवान ही हैं जो बिना किसी सेवा के सिर्फ शुद्ध मन से याद करने से खुश हो जाते हैं। संसारिक चीजों को बुद्धि से जान सकते हैं लेकिन भगवान को बुद्धि से नहीं जाना जा सकता, भगवान को जानने के लिए आस्था के साथ साथ समर्पण की आवश्यकता होती है। बालसंत ने यह भी उपदेश दिया कि कपड़ों के पहनावे से मनुष्य के चरित्र, मानसिकता का परिचय मिलता है। इस लिए अपने बच्चों को पश्चिमी सभ्यता के कपड़ों से दूर रख भारतीय पहनावा को अपना कर शुद्ध संस्कार भरने का कार्य करें। इस मौके पर आयोजन समिति के हेमू बोथरा, पूनम पाण्डिया, मदन मोहन कनौजिया, संजय अग्रवाल, पप्पू फिटकरीवाला, विजय लखोटिया, संतोष साह, आकाश, पार्षद मनोज सिंह ने सामुहिक रूप से प्रभातफेरी का संचालन किया।
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