Hindi NewsBihar NewsAraria NewsDecline of Sugarcane Cultivation in Raniganj After Closure of Sugar Mill

गन्ने की खेती से विमुख हो रहे हैं रानीगंज प्रखंड के किसान

रानीगंज के बनमनखी प्रखंड में चीनी मिल बंद होने के बाद गन्ने की खेती में भारी कमी आई है। किसान अब धान, गेहूं और मक्का जैसी अन्य फसलें उगाने को मजबूर हैं। यहां की उपजाऊ मिट्टी के बावजूद गन्ने की...

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाThu, 19 Dec 2024 12:37 AM
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रानीगंज। रानीगंज से जुड़े सीमावर्ती प्रखंड बनमनखी में चीनी मिल बंद होने के बाद से ही यहां से धीरे-धीरे गन्ने की मिठास ही गायब हो गयी। लोग अपने खेतों में गन्ना की जगह धान- गेहूं, मक्का सहित अन्य दूसरी फसल लगाने को बाध्य हो रहे हैं। हालांकि रानीगंज के खरसायी, धामा, परिहारी आदि पंचायतों के एकाध किसान गन्ने की थोड़ी बहुत खेती करते हैं। लेकिन उनकी हालत अच्छी नहीं है। किसान बताते है कि गन्ने खरीददारी करने वाला कोई नहीं है। जबकि यहां की मिट्टी गन्ने उत्पादन के लिए काफी उपजाऊ (मुफीद) मानी जाती है। यदि हालत ऐसी रही तो क्षेत्रवासियों के लिये गन्ने के रस का स्वाद गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। कभी बड़े पैमाने पर होती थी गन्ने की खेती: जानकार बताते हैं कि अररिया आरएस, धामा, बसैटी, पहुंसरा, परिहारी, कोशकापुर, सहित जिले के विभिन्न गांव में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती थी। अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह से किसान अपने गन्ने की पेराई कर गुड़ बनाना शुरू कर देते थे। यह कार्य मार्च तक चलता था। 1990 के दशक में अररिया आरएस, धामा, बसेटी, पहुंसरा, सहित अन्य कई पंचायतों में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती थी। नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह से किसान अपने गन्ने की पेराई कर गुड़ बनाना शुरू कर देते थे। अररिया आरएस का मंडी कभी गुड़ की मिठास की सौंधी सुगंध से महकता रहता था। रानीगंज रेफ़रल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रोहित कुमार ने बताया कि गन्ना सेहत के लिए काफी उपयोगी है। खासकर दंत संबंधी बीमारी के लिए रामबाण है।

बनमनखी मिल में होती थी गन्ने की अधिक खपत: जिले के किसानों की तरक्की और युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से 1960 के दशक में करीब करोड़ो की लागत से बनमनखी चीनी मिल बना था। यह चीनी मिल भारत की सबसे बड़ी चीनी मिल में एक था। मिल की क्षमता प्रतिदिन हजारों कुंटल चीनी उत्पादन की थी। सरकारी उदासीनता के कारण बनमनखी का चीनी मिल साल 1997 में बंद हो गयी। जो दोबारा अबतक चालू नहीं हो सका।

गन्ना का उत्पादन करने वाले किसान बोले: पहुंसरा पंचायत के किसान शंकर सिंह बताया कि सालों पहले उसने एक एकड़ खेत में गन्ने की फसल लगायी है। पहले वह बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते थे। परंतु खरीदार नहीं रहने के कारण अब गन्ने की खेती बंद कर मक्के, गेंहू आदि लगाते हैं। वहीं धामा गांव के किसान अफजल हुसैन ने बताया कि अब किसान कुछ जमीन में अपनी जरूरत के लिए गन्ने की खेती करते थे।

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