जोगबनी से नेपाल तक सामा चकेवा पर्व की धूम
भारत-नेपाल सीमा पर जोगबनी और विराटनगर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सामा चकेवा पर्व की धूम मची है। महिलाएं और युवतियां इस पर्व के लिए तैयारी कर रही हैं, जो भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। मिट्टी से...
जोगबनी, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित जोगबनी से लेकर नेपाल के विराटनगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कार्तिक पूर्णिमा को मनाए जाने वाले सामा चकेवा पर्व को लेकर धूम मची है। महिलाएं व युवतियां द्वारा इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है। सामा चकेवा भाई बहन के स्नेह का पर्व है। छठ पर्व से ही मिट्टी से कई तरह की मूर्तियां बनाने के साथ शाम में लोकगीत गाये जाने लगे है। मिथिला के इस क्षेत्र में भातृ द्वितीया, रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के प्रेम स्नेह का प्रतीक लोक पर्व सामा चकेवा मनाया जाता है। छठ के दिन से मिट्टी से सामा चकेवा सहित अन्य प्रतिमाएं बनाकर इसकी शुरुआत की जाती है। सामा, चकेवा, टिहुली, कचबचिया, चिरौंता, हंस, सत भैंया, चुगला, बृंदावन, पेटार, ढोलकिया सहित कई अन्य छोटी-छोटी प्रतिमाएं बनायी जाती है। देवोत्थान एकादशी की रात से प्रत्येक आंगन में नियमित रूप से महिलाएं पहले समदाउन, ब्राह्मण गोसाउनि, भजन सहित अन्य गीत गाकर बनायी गयी मूर्तियों को ओस चटाती है। कार्तिक पूर्णिमा की रात मिट्टी के बने पेटार में सन्देश स्वरूप दही-चूरा भर सभी बहनें सामा चकेवा को अपने-अपने भाई के ठेहुना से फोड़वा कर श्रद्धा पूर्वक अपने खोइछा में लेती है। इस पर्व की तैयारी जोर शोर से चल रही है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।