फैक्ट्री के नाम पर मवेशी तस्करी का बंगलादेश कनेक्शन
अररिया जिले में मवेशी तस्करी का एक सशक्त संगठन सक्रिय है, जो यूपी से असम और बांग्लादेश में मवेशियों की आपूर्ति कर रहा है। हाल ही में पुलिस ने 200 तस्करी के मवेशियों को पकड़ा। तस्करी में स्थानीय युवक...
धड़ल्ले से ढ़ोया जाता है कंटेनर पर लदे तस्करी के मवेशी का खेप फोरलेन के रास्ते यूपी से असम व बंगलादेश में होती है मवेशी की आपूर्ति
सिमराही से किशनगंज के बीच पूरे अररिया जिला में मवेशी तस्करी का है सशक्त संगठन
फारबिसगंज, नरपतगंज सहित अररिया के कई युवक इस गौरख धंधे में है शामिल
फारबिसगंज, निज संवाददाता।
विगत दिनों हिन्दुस्तान की ओर से अभियान चलाया गया था कि किस तरह फैक्ट्री के नाम पर फोरलेन के सहारे मवेशी की तस्करी परवान चढ़ा हुआ है । किस तरह यूपी से बांग्लादेश तक होती है मवेशियों की आपूर्ति रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले तक ढ़ोया जाता है । कंटेनर पर लदी तस्करी के मवेशी का खेप फोरलेन के सहारे यूपी से असम तथा बांग्लादेश में होती है आपूर्ति । इस मामले में खासकर फोरलेन से जुड़े प्राय: थाना मैनेज होने की बात भी कही जाती रही है। वैसे तो तस्करी से जुड़े पशुओं की बरामदगी की कई मामले भी सामने आए हैं मगर बड़े पैमाने पर किस तरह से पशुओं की तस्करी होती है और कंटेनर में ठूंस ठूंस कर इन पशुओं को ले जाकर पशु क्रूरता अधिनियम का धज्जियां उड़ाई जाती है इसका नजारा रविवार को तब मिला जब बिहार सरकार के पशु कल्याण बोर्ड के सदस्यों द्वारा पुलिस के सहयोग से तीन-तीन कंटेनर को पकड़ा गया जिससे करीब 200 तस्करी के मवेशियों को जब्त किया गया है । सूत्रों की मानें तो सुपौल के सिमराही से किशनगंज के बीच पूरे अररिया जिला में मवेशी तस्करी का सशक्त संगठन प्रभावी है । खासकर नरपतगंज एवं फारबिसगंज सहित अररिया के बड़ी संख्या में युवक इस तस्करी में शामिल है । इस संबंध में नाम नहीं छापने की शर्त पर कारोबारी से जुड़े युवक की मानें तो इन दिनों सिर्फ भैंस की तस्करी हो रही है। बताया कि किस तरह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और खलीलाबाद से मवेशी की तस्करी शुरू होती है। इस बीच वाहन एवं मवेशियों को सुपौल जिला के सिमराही सहित कई अन्य अड्डा पर स्टोर किया जाता है । फिर कंटेनर एक-एक करके खुलती है। यह भी बताया कि 80 फ़ीसदी कंटेनर उत्तर प्रदेश के नंबर, शेष बिहार के नंबर की होती है। यह बात अलग है कि रविवार को पकड़ाए मवेशी से लगे तीनों वाहन बिहार नंबर के ही है।
बच्चा का प्रावधान नहीं तो फैक्ट्री का कैसे ?
बताया जाता है कि जब भी तस्करी का मवेशी पुलिस द्वारा पकड़ी जाती है तो उस मवेशी पर मांस फैक्ट्री अपना दावा करती है। मगर सवाल बड़ा है कि किसी भी मांस फैक्ट्री में पशुओं के बच्चों का वध करने का कोई प्रावधान नहीं है । ऐसा होने पर फैक्ट्री की लाइसेंस तुरंत रद्द होने का प्रावधान है और इस बात की पुष्टि मांस फैक्ट्री के मालिक भी करते हैं। तो फिर जब तस्करी के कंटेनर से पशुओं के बच्चे की जब्ती होती है तो फिर उस पशुओं के खेत पर कोई मांस फैक्ट्री दावा कैसे कर सकता है और अगर इस तरह का दावा करता है तो फिर पुलिस को इस पर गंभीरता पूर्वक कार्रवाई भी करनी चाहिए।
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