Hindi Newsबिहार न्यूज़आराRoad drain-street works done but not drained by Mahadalit settlements

सड़क, नाली-गली के कार्य हुए पर महादलित बस्तियों से जलनिकासी नहीं

भोजपुर के उदवंतनगर प्रखंड की एड़ौरा पंचायत में बीते पांच वर्षों में विकास के कई कार्य किये गये हैं। सड़क, नाली-गली के कार्य हुए पर महादलित बस्तियों में विकास कार्य नहीं दिख रहा। रास्तों पर जलजमाव की...

Newswrap हिन्दुस्तान, आराSun, 18 April 2021 04:20 PM
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उदवंतनगर। एक संवाददाता

भोजपुर के उदवंतनगर प्रखंड की एड़ौरा पंचायत गड़हनी व जगदीशपुर प्रखंडों की सीमावर्ती है। पंचायत में एड़ौरा गांव सहित इन्द्रपुरा, मोरथ, श्रीरामपुर, बीरमपुर, खिरीटांड़, डेम्हां, पूर्वी डेम्हां व बसौरी गांव हैं। पिछले पांच वर्षों में इन गांवों में नाली-गली समेत विकास के कई कार्य किये गये हैं। लेकिन, महादलित बस्तियों में गली-नाली का निर्माण कार्य नहीं होने से गंदगी का अंबार और रास्ते पर जलजमाव देखा जा रहा है। एड़ौरा गांव में वर्षों से लंबित सड़क निर्माण के कार्य पूरा किया गया और पूर्वी डेम्हां में करहा की सफाई का कार्य कराया गया। पंचायत के चार-पांच वार्डों को छोड़ नल-जल योजना अधूरी है। सिंचाई के समुचित साधन नहीं होने से किसानों को हर साल नुकसान होता है। पंचायत में एकमात्र बिरमपुर गांव में उच्च विद्यालय तो बना है, लेकिन उसमें अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। इससे विद्यार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा।

पंचायत भवन-

पंचायत सरकार भवन का कार्य अधूरा

एड़ौरा गांव से सटे पंचायत सरकार भवन बनने कार्य करीब छह माह पूर्व शुरू हुआ था। पैसे के अभाव में धीमी गति से कार्य चलने के कारण अभी कार्य अधूरा पड़ा है। लिहाजा पंचायत के लोग प्रखंड मुख्यालय पर ही अपना कार्य कराने के लिए जाने को मजबूर हैं।

सिंचाई के साधन-

-सिंचाई के साधन नहीं होने से किसानों को नुकसान

एड़ौरा पंचायत में सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने से हर साल किसानों को सुखाड़ की मार झेलनी पड़ती है। किसान डीजल-किरोसीन के पम्पसेट के भरोसे ही खेती करते हैं। नहर में अंतिम छोर तक कभी-कभार ही पानी आता है। बाधर में बिजली व्यवस्था की जरूरत है। एड़ौरा आहर की सफाई भी सही ढंग से नहीं हुई थी।

सड़क-

-एड़ौरा समेत कई गांवों में सड़क का कार्य पूरा किया गया, लेकिन इन्द्रपुरा गांव अब भी सड़क विहीन है। इस गांव में अब तक सड़क का निर्माण नहीं हो सका है। गांव के लोगों को बरसात के दिनों में परेशानी होती है। लोग पगडंडियों के सहारे ही गांव जाते-आते हैं। बाकी गांवों में सड़कें बनी हैं, लेकिन अभी कई सड़कें जर्जर अवस्था में हैं।

बिजली-

एड़ौरा पंचायत के सभी गांवों में बिजली आपूर्ति होती है। कुछ गांवों में हर घर तक बिजली के तार-पोल नहीं पहुंचे हैं। तार जर्जर होने से निर्बाध बिजली की आपूर्ति में बाधा आती है। गर्मी के दिनों में ज्यादा परेशानी होती है।

नल-जल-

एड़ौरा पंचायत के आधे से ज्यादा वार्डों में नल-जल योजना अधूरी पड़ी है। बोरिंग चालू कर दिये गये हैं लेकिन पाइप व टंकी नहीं लगे हैं। कुछ वार्डों में योजना चालू होने के बाद फिर से बंद पड़ी है। राशि के अभाव के कारण योजना दम तोड़ती नजर आ रही है।

नाली-गली-

एड़ौरा पंचायत में नाली-गली का कार्य हुआ है पर महादलित बस्तियों में नाली निर्माण नहीं होने से गलियों में जलजमाव देखा जा रहा है। कुछ गलियां पक्की हुईं लेकिन कुछ कार्य अधूरे ही हैं। राशि के अभाव में भी कार्य पूरा नहीं हो सका है। इससे लोगों की समस्या जस-की- तस बनी हुई है।

अस्पताल-

एड़ौरा पंचायत में वैसे तो दो स्वास्थ्य उप केन्द्र हैं, लेकिन दोनों ही अक्सर बंद रहते हैं। कभी-कभार विशेष टीकाकरण अभियान को लेकर केन्द्र पर एएनएम पहुंचती हैं और कुछ देर बाद ताले लटक जाते हैं।

रोजगार-

-मनरेगा से भी रोजगार नहीं, लोग पलायन को मजबूर

एड़ौरा पंचायत में रोजगार के साधन नहीं होने से ज्यादातर लोगों को दूसरे शहरों की ओर पलायन करना मजबूरी बन गई है। कुछ को कभी-कभार मनरेगा से काम मिला लेकिन नहीं के बराबर। ऐसे में लोग शहरों की ओर काम की तलाश में निकल जाते हैं या खेती-गृहस्थी पर निर्भर रहते हैं। मनरेगा से जरूरतमंदों को रोजगार मिलना चाहिये पर नहीं मिलता है। इसलिए लॉकडाउन के बाद प्रवासी लौट गये और अब एक बार फिर वापस आ रहे हैं।

उपलब्धियां-

-पंचायत में काफी दिनों से पंचायत सरकार भवन नहीं बना था। जमीन उपलब्ध कराकर पंचायत सरकार भवन बनाने का कार्य शुरू कराया गया।

-पंचायत के एड़ौरा गांव में वर्षों से लंबित सड़क निर्माण के कार्य पूरा किया गया और पूर्वी डेम्हां में करहा की सफाई का कार्य कराया गया।

नाकामियां-

-नल-जल योजना का कार्य अधूरा। कुछ वार्डों में नल-जल योजना को चालू तो किया गया लेकिन मानक के अनुरूप कार्य नहीं होने से योजना ठप पड़ गई।

-नाली-गली योजना भी पंचायत में विफल होती दिख रही। पंचायत की महादलित बस्तियों में पीसीसी कार्य नहीं हुआ। इससे रास्ते पर जलजमाव की समस्या बरकरार रह गई।

कोट

पंचायत के सभी गांवों में विकास कार्य पूरा करने का प्रयास किया गया है। पांच साल का कार्य दिख भी रहा है, लेकिन राशि के अभाव में नल-जल व नाली-गली के काम अधूरे रह गये हैं।

कलावती देवी, मुखिया

पंचायत की महादलित बस्तियों में विकास कार्य नहीं हुए हैं। नाली-गली का निर्माण नहीं होने से रास्ते पर गंदगी व जलजमाव की समस्या है। आवास येजना का लाभ जरूरतमंदों को नहीं दिया गया है। नल-जल योजना में मानक के अनुसार कार्य नहीं हुए हैं।

राम बचन सिंह, पूर्व मुखिया

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