सूर्य मंदिर तट पर चबूतरा व छठ घाट बना पर हर वार्ड में नहीं पहुंचा नल का जल
ज ज ज ज ज ज ज ज जज ज त त तत ततात ततात त त ज जउज ज जउज ज जज ज एतत तए तत त त त तएत त
गड़हनी। एक संवाददाता
काउप पंचायत में काउप, पथार, मथुरापुर, बालबांध, धंधौली और देवढ़ी गांव शामिल हैं। इसमें कुल 14 वार्ड हैं। पिछले पांच सालों में विकास के कई कार्य हुए हैं तो कुछ कार्य अधूरे भी पड़े हैं। अधिकतर वार्डों में नल-जल व नाली-गली के साथ कई कार्य हुए, लेकिन कुछ वार्ड ऐसे भी हैं जहां न तो नल का जल टपका और न ही नाली-गली का निर्माण हो पाया। यहां गलियां खोद कर छोड़ दी गई हैं। इससे संबंधित वार्डों के लोगों में नाराजगी भी है। पंचायत में कुल 500 लोगों को आवास योजना की सुविधा दी गई है। मनरेगा के तहत बनास नदी सूर्य मंदिर तट पर लगभग छह लाख का चबूतरा व छठ घाट का निर्माण कराया गया है। इससे लोक आस्था का महापर्व छठ करने में व्रतियों व अन्य श्रद्धालुओं को सहूलियत होती है। कोरोना काल में मुखिया जरूरतमंदों के संपर्क में रहीं, लेकिन प्रवासियों को रोजगार की दिशा में मनरेगा के अलावा कोई ठोस पहल नहीं की गई।
सड़क:
पंचायत के सभी गांवों को सड़कों के माध्यम से गड़हनी मुख्य मार्ग से जोड़ा गया है। हालांकि कुछ मार्ग मरम्मत के अभाव में बदहाल हो गये हैं, जिससे पंचायत वासियों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के साथ सभी टोलों को भी सड़क मार्ग से जोड़ा गया है।
बिजली:
गड़हनी पवार ग्रिड से मिलने वाली बिजली पंचायत के हर टोला व मोहल्ले तक पहुंचाई गई है। हर घर को बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। पंचायत वासियों को 18 से 20 घंटे से अधिक बिजली मिलती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिये अलग से ट्रांसफार्मर नहीं लगाये गये हैं, जिससे बार-बार फ्यूज उड़ने व तार जलने की समस्या बनी रहती है।
नल जल:
पंचायत के छह गांवों के कुल 14 वार्डों में नल जल का काम 60 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। सबसे बड़ी बात है कि कुछ वार्डों में नल-जल योजना का लाभ भी नहीं मिला और रास्ते भी खराब हो गये। पाइप बिछाने के लिए गली व सड़क की खुदाई की गई। नल-जल पूरा हुआ नहीं और गली भी खराब हो गई। हालांकि मुखिया अधिकतर वार्डों में नल-जल का कार्य करा लेने का दावा करती हैं।
अस्पताल:
पंचायत में उप स्वास्थ्य केंद्र किराये के मकान में चलता है। हालांकि गंभीर समस्याओं को ले पंचायत वासियों को इलाज के लिए प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गड़हनी का चक्कर लगाना पड़ता है। 2018 में पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन पंचायत के लोग अब भी स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं हैं।
पंचायत भवन : जमीन होने पर भी नहीं बना पंचायत सरकार भवन
पंचायत में जमीन उपलब्ध रहते हुए भी पंचायत सरकार भवन नहीं बन पाया है। नब्बे के दशक मे पूर्व मुखिया महादेव प्रसाद गुप्ता के कार्यकाल में एक पंचायत भवन का निर्माण कराया गया था। लोगों का कहना है कि समुचित रखरखाव नहीं होने के कारण वह वीरान पड़ा है। पंचायत सरकार भवन के अभाव में पंचायत प्रतिनिधियों की आपसी बैठक भी यत्र-तत्र की जाती है।
सिंचाई के साधन : बनास नदी है सिंचाई का बेहतर साधन
काउप पंचायत में सिंचाई का बेहतर साधन बनास नदी है। कुरमुरी रजवाहा से सिंचाई की भी बेहतर व्यवस्था है। हालांकि पंचायत के अंतिम छोर पर पथार, काउप, मथुरापुर, सोहरी गांवों में पानी की थोड़ी समस्या है। बालबांध में आहर से सिंचाई की जाती है। इससे सिंचाई में सहूलियत है। हालांकि एक भी राजकीय नलकूप को दुरुस्त नहीं कराया गया है, जिससे परेशानी होती है।
रोजगार के अवसर : रोजगार मिलने के बाद भी नहीं रुका पलायन
पिछले साल लॉक डाउन के दौरान पंचायत में ही रोजगार देने की व्यवस्था की गई। पांच सौ से ज्यादा लोगों का जॉब कार्ड बनवाया गया। वहीं मनरेगा के तहत भी लोगों को काम मिला। कुछ लोग खेती से जुड़ गए। लॉकडाउन खत्म होने पर जिनके पास खेती योग्य भूमि नहीं थी या पैसे की तंगी थी, वैसे लोग रोजगार के लिए फिर से दूसरे राज्य में पलायन कर गए। पंचायत से पलायन करने वालों की संख्या दो सौ से ज्यादा है।
नाली गली : कुछ वार्ड रह गये अछूते
सात निश्चय योजना के तहत नाली-गली का पक्कीकरण 80 प्रतिशत तक हो चुका है। नाली-गली का निर्माण होने से ग्रामीणों को जलजमाव की समस्या से निजात मिल गई है। वैसे कुछ वार्ड इस योजना से वंचित भी रह गये हैं। साथ ही मुखिया ने चौदहवें, पंचम व पंद्रहवें वित्त आयोग से नाली, पीसीसी ढलाई समेत अन्य कार्यों के लिए लगभग एक करोड़ रुपये खर्च कर पंचायत का विकास किया है।
--------------
क्या कहते हैं मुखिया
सरकार से प्राप्त राशि का पूरा उपयोग विकास कार्यों पर किया गया है। नल-जल व पक्कीकरण का कार्य 80 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। छोटे-छोटे कुछ कार्य बच गए हैं, जिन्हें भी योजनाओं में डाला जा चुका है।
कलावती देवी, मुखिया
क्या कहते हैं प्रतिद्वंद्वी
पूरे पंचायत के केवल वार्ड सं तीन में नल-जल चालू है। अन्य जगह कहीं भी नल-जल योजना के तहत पानी नहीं मिल रहा है। सड़क की मरम्मत नहीं होने से आवागमन भी बाधित है। पंचायत में 50 प्रतिशत कार्य ही हुआ है।
अरुण कुमार राय, भावी उम्मीदवार
उपलब्धियां:
-काउप पंचायत के छह गांवों के कुल 14 वार्डों में नल-जल व गली-नाली पक्कीकरण का कार्य 80 फीसदी तक पूरा कर लिया गया है।
-पंचायत के लगभग सभी वार्डों में नाली-गली का पक्कीकरण कार्य पूर्ण हो गया है। नाली-गली का निर्माण होने से जलजमाव की समस्या दूर हो गई है।
-कोरोना काल में मुखिया घर-घर पहुंचकर लोगों के दुख-दर्द में हुई थीं शामिल। हरसंभव लोगों को की थी मदद।
नाकामियां:
-पंचायत में अभी तक पंचायत सरकार भवन नहीं बना। एक भी सार्वजनिक या सामुदायिक शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया।
-पंचायत में एक भी सरकारी बंद पड़े नलकूप को दुरुस्त नहीं किया गया। इसकी वजह से सिंचाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
-खुले में शौच से मुक्ति नहीं मिल पायी है। 20 प्रतिशत लोगों के बीच अब तक नल जल योजना के तहत पानी नहीं पहुंच पाया है। आहर-पोखर की उड़ाही भी नहीं की गई है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।