नन हिट एंड रन मामलों की सुनवाई अब रोहतास में होगी
-पटना में भीड़ की वजह से मामलों की सुनवाई और मुआवजा मिलने में होती थी देर शाहाबाद के चारों जिलों के लिए

-पटना में भीड़ की वजह से मामलों की सुनवाई और मुआवजा मिलने में होती थी देर -शाहाबाद के चारों जिलों के लिए रोहतास के डालमियानगर में खोला गया ट्रिब्युनल कोर्ट आरा, एक संवाददाता। भोजपुर के लोगों की सड़क हादसों में मौत होने के बाद अब उनके परिजनों को मुआवजा मिलने में कुछ आसानी हो सकती है। नन हिट एंड रन के मामलों की सुनवाई के लिए पटना की बजाय अब रोहतास के डालमियानगर में ट्रिब्युनल कोर्ट खोल दिया गया है। इससे अब महीनों मुआवजे के लिए पटना का चक्कर लगाने के राहत मिल सकती है। मुआवजा देने के लिए सरकार के नियमों में बदलाव के बाद अप्रैल 2019 से यह प्रक्रिया शुरू हुई थी। पहले पटना में कोर्ट होने की वजह से वहां शाहाबाद समेत कई जिलों की नन हिट एंड रन के मामलों की सुनवाई होती थी। ऐसे में अधिक दिनों तक लोगों को अपने केस की सुनवाई होने का इंतजार करना पड़ता था। अब भोजपुर समेत शाहाबाद के चारों जिलों की सुनवाई रोहतास के नए दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण केन्द्र में होगी। यहां महज चार ही जिलों के मामले आएंगे। ऐसे में लंबे समय तक इंतजार करने से राहत मिल सकती है। बता दें कि नन हिट एंड रन के मामले में परिवहन विभाग को केवल यांत्रिक जांच रिपोर्ट देनी होती है। बाकी के सभी कार्य संबंधित थाना की ओर से ही की जाती है। थाना की ओर से ही सभी कागजातों के साथ पोर्टल पर आवेदन करना होता है। नन हिट एंड रन में ऐसे मामले आते हैं, जिस दुर्घटना में वाहन किसी व्यक्ति को धक्का मारने के बाद पकड़ लिये जाते हैं। उनको जब्त कर लिया जाता है और मृतक अथवा घायल व्यक्ति को प्रावाधान के अनुसार मुआवजा की राशि उस वाहन के इंश्योरेंस कंपनी से दिलवाई जाती है। इसमें पांच लाख रुपये तक का मुआवजा देने का प्रावधान है, हालांकि मुआवजे की राशि ट्रिब्यूनल कोर्ट की ओर से सुनवाई में ही तय होती है। हिट एंड रन के मामलों में अब भी लगाने होंगे चक्कर सड़क दुर्घटना में किसी व्यक्ति की धक्का मार भाग जाने वाले मामले हिट एंड रन के तहत आते हैं और वैसे दुर्घटना में मौत होने पर मृतक के आश्रित को मुआवजे की राशि जीआईसी कंपनी मुंबई की ओर से ही मिलेगी। ऐसे मामले जिला परिवहन विभाग की ओर से जीआईसी कंपनी को भेजा जाता है। वहां से लाभुक के खाते पर दो लाख रुपये की राशि मुआवजे के रूप में भेजी जाती है। इसके लिए मृतक के परिजन परिवहन विभाग को अपने सभी जरूरी कागजात के साथ आवेदन करना पड़ता है। फिलहाल जिले के अधिकतर सड़क हादसे में मृतकों के हिट एंड रन के मामले पेंडिंग हैं।
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