संदेश : अस्पताल परिसर में खाट पर तड़पते मरीज ने दम तोड़ा
- इलाज और एंबुलेंस के लिए गिड़गिड़ाते रहे परिजन जसज ज जसजज ज जजसज ज जसजज जजसजज ज जसज ज ज ज...
संदेश। भोजपुर के संदेश रेफरल अस्पताल परिसर में रविवार की दोपहर एक मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। उसके परिजनों की ओर से इलाज करने के लिए अस्पताल कर्मियों से बार-बार विनती किये जाने पर भी उनका दिल नहीं पसीजा। किसी डॉक्टर ने इलाज करना उचित नहीं समझा। यहां तक कि उसे अस्पताल के अंदर बेड पर भी नहीं ले जाया गया। लिहाजा मरीज ने अपनी खाट पर ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। वहीं उसके परिजन चीखते-चिल्लाते रहे। इलाज नहीं होने पर आरा सदर अस्पताल में ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की गई, लेकिन उनको एंबुलेंस भी नसीब नहीं हो सकी। अस्पताल के गार्ड ने बताया कि एक ही एंबुलेंस है, जिसका उपयोग वैक्सीनेशन के लिए किया जा रहा है। मृतक संदेश गांव निवासी राम अवतार चौधरी का पुत्र कृष्णा चौधरी था। परिजनों ने बताया गया कि लगभग 20 दिन पहले उनकी तबीयत खराब हो गई थी। इलाज के लिए बिहटा स्थित एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया था। वहां से बाद में पीएमसीएच, पटना रेफर कर दिया गया। वहां इलाज के बाद सेहत में सुधार होने पर 22 अप्रैल को घर लाया गया। रविवार की सुबह से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। सांस लेने में तकलीफ होने लगी। तबीयत ज्यादा बिगड़ते देख परिजनों की ओर से आनन-फानन में खाट पर लादकर संदेश रेफरल अस्पताल लाया गया। वहां आने के बाद कोई डॉक्टर न मरीज को देखने आया और न ही उसे अस्पताल में भर्ती किया। उसे खाट पर ही अपने हाल में छोड़ दिया। परिजनों की ओर से बार-बार आग्रह करने पर एक डॉक्टर ने कुछ दवाएं लिख दी, लेकिन तब तक मरीज की स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि वह दवा खाने की स्थिति में नहीं था। उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी। परिजनों नेअस्पताल प्रभारी के आवास के पास जाकर बार-बार आग्रह किया कि उसे भर्ती कराकर ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाए। लेकिन, अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर नदारद मिले। वहीं आक्समिक सेवा में तैनात डॉक्टर ने भी मरीज को देखना मुनासिब नहीं समझा। अस्पताल के गार्ड ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है।
खाट पर तड़पता रहा मरीज, नहीं आये कर्मी
मरीज अस्पताल परिसर में खाट पर तड़पता रहा। उसके अगल-बगल बैठकर परिजन चीखते-चिल्लाते रहे। लेकिन, ड्यूटी पर तैनात अस्पताल के सभी कर्मी केवल दूर से खड़े होकर तमाशा देखते रहे। उसे अस्पताल के अंदर तक नहीं ले जाया गया। अंततः सबके सामने मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड दिया। इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार से सम्पर्क करने पर बात नहीं हो पाई। बताया गया कि वे शनिवार से ही अस्पताल में नहीं हैं। घर गए हैं। उनका सरकारी नंबर बंद बता रहा है, जबकि प्राइवेट नम्बर पर फोन नहीं रिसीव किया।
क्या कहते हैं अधिकारी
अस्पताल प्रबंधक शिवशंकर प्रसाद ने बताया कि वे खुद विगत कुछ दिनों से कोरोना पॉजिटिव हैं। विगत दस दिनों से अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। एक एंबुलेंस है जो वैक्सीनेशन कैंप में रामासाढ़ गया था। एंबुलेंस में भी ऑक्सीजन नहीं है। शनिवार को ऑक्सीजन रिफलिंग के लिए एंबुलेंस आरा गई थी, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिल पाया।
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