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वीकेएसयू : भभुआ और बक्सर में पीजी के कुछ और विषयों की पढ़ाई के आसार

-विधान परिषद में स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधियों ने भेजा है प्रश्न उच्च शिक्षा की डिग्री से विद्यार्थी होते हैं वंचित -सीटें कम रहने से हजारों विद्यार्थियों का नहीं हो पाता है एडमिशन

Newswrap हिन्दुस्तान, आराSun, 23 Feb 2025 07:29 PM
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वीकेएसयू : भभुआ और बक्सर में पीजी के कुछ और विषयों की पढ़ाई के आसार

-विधान परिषद में स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधियों ने भेजा है प्रश्न -पीजी में सीटें कम, उच्च शिक्षा की डिग्री से विद्यार्थी होते हैं वंचित -सीटें कम रहने से हजारों विद्यार्थियों का नहीं हो पाता है एडमिशन -सभी अंगीभूत कॉलेजों में नहीं होती है पीजी पाठ्यक्रम की पढ़ाई आरा, निज प्रतिनिधि। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के एसवीपी कॉलेज भभुआ और एमवी कॉलेज बक्सर में पीजी स्तर पर सभी पाठ्यक्रमों की पढ़ाई जल्द शुरू हो सकती है। इस दिशा में स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने प्रश्न करते हुए सरकार को पत्राचार किया है। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों जगहों पर कुछ पीजी कोर्स शुरू करने की अनुमति सरकार से मिल सकती है। विधान परिषद में पीजी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए प्रश्न पूछे गये हैं। बता दें कि भभुआ और बक्सर में पीजी स्तर पर सभी विषयों की पढ़ाई नहीं होने से वहां के छात्र-छात्राओं को आरा में आकर पढ़ाई करनी पड़ती है। आने-जाने में ही विद्यार्थियों का पूरा समय लग जाता है। आइसा, अभाविप सहित कुछ अन्य छात्र संगठन भी कई बार सभी कॉलेजों में पीजी कोर्स शुरू करने की मांग कर चुके हैं, बाबजूद अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। पीजी की पढ़ाई वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पीजी विभागों के अलावा नौ कॉलेजों में ही होती है। इनमें भी सभी विषयों की पढ़ाई नहीं होती है। भभुआ की बात करें तो एसवीपी कॉलेज में विज्ञान में सिर्फ रसायन शास्त्र और कला में इतिहास और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई होती है। वहीं बक्सर में भी इतिहास, राजनीति विज्ञान, हिन्दी और मनोविज्ञान की सिर्फ पढ़ाई होती है। हर वर्ष विद्यार्थी एडमिशन से हो जाते हैं वंचित हर वर्ष हजारों विद्यार्थी पीजी में एडमिशन से वंचित हो जा रहे हैं। मांग के बावजूद सभी अंगीभूत कॉलेजों में पीजी पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है। स्थिति यह है कि पीजी में सीटों की कमी के कारण विज्ञान, कॉमर्स और कला संकाय के हजारों विद्यार्थियों का एडमिशन नहीं हो पाता है। विवि और कॉलेजों में संचालित पीजी में न तो सीटें बढ़ रही हैं और न ही कॉलेजों में कई विषयों के पीजी विभाग खुल रहे हैं। इस तरह हजारों विद्यार्थी जो उच्च शिक्षा के तहत पीजी की डिग्री लेने की इच्छा रखते हैं, उनका सपना पूरा नहीं हो पाता है। उन्हें स्नातक की डिग्री हासिल कर ही उच्च शिक्षा में संतोष करना पड़ता है। मांगा गया था प्रस्ताव,पहल नहीं बता दें कि शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष प्रस्ताव भी मांगा था, लेकिन कोई पहल नहीं हो सकी। शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के आलोक में छात्र कल्याण कार्यालय ने कॉलेजों को आधारभूत संरचना सहित अन्य बिंदुओं पर साक्ष्य के साथ प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा था। विभाग और कॉलेजों ने प्रस्ताव भी उपलब्ध करा दिया है, लेकिन कोई सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया है। मालूम हो कि स्नातक उत्तीर्ण विद्यार्थियों की संख्या अधिक और सीटें कम होने से हर वर्ष पीजी में दाखिले से हजारों विद्यार्थी वंचित हो जा रहे रहे हैं। कला, वाणिज्य और विज्ञान के कई प्रमुख विषयों में सीटें कम होने से आवेदन करने वाले सभी विद्यार्थियों का एडमिशन भी नहीं हो पाता है। सीट वृद्धि भी नहीं हुई मालूम हो कि शिक्षा विभाग के पत्र के आलोक में विभाग और कॉलेजों से शिक्षकों की संख्या, विद्यार्थियों के नामांकन और उत्तीर्णता की स्थिति, आधारभूत संरचना की स्थिति और प्रायोगिक विषयों में प्रयोगशाला की स्थिति की जानकारी मांगी थी। अगर सीट वृद्धि होती है तो अधिकतर विद्यार्थियों का दाखिला पीजी में हो सकता है। नौ कॉलेजों में होती है पढ़ाई विवि स्तर पर 20 पीजी विभाग और नौ अंगीभूत कॉलेजों में पीजी स्तर पर विभिन्न विषयों की पढाई अभी हो रही है। मालूम हो कि मुख्यालय अंतर्गत सिर्फ महाराजा, जैन, एसबी और महिला कॉलेज में पीजी पढ़ाई होती है। इनमें भी कॉलेजों में कुछ विषयों की ही पढ़ाई होती है। जगजीवन कॉलेज में तो पीजी के किसी विषय की पढ़ाई नहीं होती है। आरा मुख्यालय में गणित व रसायन शास्त्र विषय की पढ़ाई सिर्फ महाराजा कॉलेज, जैन कॉलेज और विवि में होती है, जबकि भौतिकी की पढ़ाई सिर्फ विवि मुख्यालय और एचडी जैन कॉलेज में ही होती आ रही है। इसके अलावा कॉमर्स की पढ़ाई चारों जिलों में सिर्फ विवि और एचडी जैन कॉलेज में की जाती है। रोहतास जिले में एसपी जैन कॉलेज, बिक्रमगंज के एएस कॉलेज, जेएलएन कॉलेज डेहरी आन सोन, बक्सर के एमवी कॉलेज और भभुआ के एसवीपी कॉलेज में पीजी की पढ़ाई होती है। हालांकि इन जगहों पर सभी विषय संचालित नहीं हैं। स्नातक में हर वर्ष 75 हजार से अधिक विद्यार्थी होते हैं उत्तीर्ण बता दें कि स्नातक में हर वर्ष 75 हजार से अधिक विद्यार्थी उत्तीर्ण होते हैं। इनमें महज 5998 सीटों पर ही विद्यार्थियों का एडमिशन होता है। इधर, सीटें कम रहने के कारण अधिकतर विद्यार्थी पीजी में दाखिले को आवेदन भी नहीं कर पाते हैं। साथ ही जो विद्यार्थी करते हैं, उनमें भी सभी का एडमिशन नहीं होता है। बता दें कि इस बार पात्रता परीक्षा के आधार पर दाखिला लिया गया। इनमें 5400 विद्यार्थियों का ही दाखिला विभिन्न विषयों में हुआ। कई विषयों में सीटें रिक्त भी रह गयी थीं। हालांकि प्रमुख विषयों में सीटें नहीं बची थीं। मालूम हो कि स्नातक में हर वर्ष सीट बढ़ती है, क्योंकि हर वर्ष नये कॉलेज खुलते हैं और वहां एडमिशन होता है। लेकिन, पीजी में स्थिति अलग है। पीजी में पिछले कई वर्षों से सीटें ज्यों की त्यों निर्धारित हैं। विवि में रेगुलर पाठ्यक्रम में दाखिला नहीं होने पर सैकड़ों विद्यार्थी इग्नू, नालंदा खुला विवि सहित अन्य दूरस्थ केंद्रों में दाखिला करा पीजी करते हैं। एसपी जैन कॉलेज के प्राचार्य ने दिया प्रस्ताव एसपी जैन कॉलेज सासाराम के प्राचार्य डॉ नवीन कुमार ने भी वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय को पीजी स्तर पर भौतिकी की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। वहीं श्री शंकर कॉलेज सासाराम में भूगोल की पढ़ाई शुरू करने की मांग उठाई है ।

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