गड़हनी : आरा-सासाराम मुख्य सड़क पर जलजमाव
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गड़हनी। एक संवाददाता
रुक-रुक कर हुई बारिश के बाद गड़हनी नया बाजार स्टेट बैंक के समीप आरा-सासाराम मुख्य मार्ग पर जलजमाव हो गया हैं। जलजमाव से स्टेट बैंक से सटे सैकड़ों लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। जलजमाव का मुख्य कारण सड़क के किनारे नाला का नहीं होना है। आम जन का कहना है कि सड़क के किनारे दोनों साइड में नाला का निर्माण हो जाता तो सड़क पर पानी का जलजमाव नहीं होता। नई सड़क के निर्माण के बाद से हल्की बारिश होने पर भी यह समस्या निरंतर उत्पन्न हाो रही है। सड़क पर पानी लगने की शिकायत जिला लोक शिकायत निवारण कोषांग में ग्रामीण विकास केशरी इस साल कर चुके हैं लेकिन अब तक शिकायत का निवारण नहीं किया गया है। जलजमाव को ले लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। डॉ पीएन सिंह का कहना है कि सड़क पर जलजमाव को ले अगर तत्काल ठोस कदम नहीं उठाया गया तो सड़क बर्बाद हो जाएगी और गड़हनी से सटे गांव के लोगों को बाजार करने में काफी फजीहत झेलनी पड़ सकती है। वहीं गड़हनी के हृदयस्थल पुराने बाजार में ही शादी-विवाह के सारे सामान मिलते हैं। यहां भी जलजमाव इस कदर था कि साइकिल व मोटरसाइकिल को छोड़ दें तो पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। स्थानीय निवासी रामबाबू गुप्ता की मानें तो बाजार में चलने के लिए सड़क की ढलाई तो कर दी गई है, लेकिन सड़क किनारे नाली जाम होने के कारण काफी जलजमाव हो जाता है। अगर नाले का निर्माण पुनः ढंग से कर दिया जाए तो यह विकट समस्या खत्म हो जाएगी। बता दें कि गड़हनी पुरानी बाजार में सोहन साह के घर से लेकर महावीर मंदिर तक थोड़े बरसात में ही जलजमाव हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नाले की सफाई समय-समय पर हो जाता तो जलजमाव नहीं होता। हल्की बारिश में भी लोगों को चलना दूभर हो जाता है।
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कोईलवर : पंद्रह वर्षों में भी नपं की नहीं बदली सूरत
फोटो 5-कोईलवर नगर पंचायत क्षेत्र में जलजमाव।
6-कोईलवर के वार्ड दो से चार में जाने वाले रास्ते पर जलजमाव।
कोईलवर। एक संवाददाता
पहली बारिश ने ही कोईलवर नगर पंचायत की साफ-सफाई की व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। जिस पानी की निकासी के लिए गली और नाली के निर्माण में पिछले 15 वर्षों में अब तक लाखों रुपये फूंके जा चुके हैं, वहां सड़क पर पसरे पानी व बजबजाते कीचड़ स्थानीय प्रतिनिधियों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। कई जगहों पर नाली के आधे-अधूरे कार्य के कारण भी जलजमाव हो रहा है। कोईलवर नगर पंचायत के वार्ड दो और वार्ड चार के इलाके में तो नाले का पानी व कीचड़ सड़क पर पसर गया है, जिससे होकर लोग आने-जाने को विवश हैं। लाख प्रयासों के बावजूद आज तक जलजमाव से निजात दिलाने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। स्थानीय लोगों की मानें तो हर घर नल के जल के आधे-अधूरे कार्यों ने भी परेशानी बढ़ाई है। गलियों के अंदर बिछे पाइप में जगह-जगह लीकेज की वजह से पानी भी नालियों के माध्यम से गड्ढे में पहुंच रहा है। स्थानीय लोग भी लापरवाही में नल खुला छोड़ दे रहे हैं। कई वार्डों में ठेकेदार की ओर से पाइप लाइन के अंतिम छोर पर पानी निकालने के लिए प्वाइंट छोड़ दिया गया है, जिससे हजारों लीटर पानी रोज बर्बाद होकर गड्ढे तक पहुंच रहा है और नाली के पानी के साथ सड़क पर पसर कर गंदगी को बढ़ावा दे रहा है।
ज्यादातर वार्डों के नालों से पानी सड़क पर
स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर पंचायत के वार्ड दो व चार में बड़ा सा मैदान व सरकारी गड्ढा हुआ करता था। घरों के बढ़ते निर्माण व बदलते परिवेश के बीच जगह घटती गई और गड्ढे की संरचना भी छोटी हो गई। नतीजतन पानी सड़क पर आने लगा। आसपास के लोगों का कहना है कि वार्ड संख्या दो से सात तक के अधिकतर घरों का पानी इसी ओर आता है। लिहाजा नालियों का पानी सड़क पर आ जाता है। भारी बारिश के कारण हुए जलजमाव से लोगों का गुजरना मुश्किल हो गया है।
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नोट-जगह मिलने पर
बालू की ढुलाई ने मखदुमपुर-बिंदगावां पथ को किया बर्बाद
कोईलवर। एक संवाददाता
मखदुमपुर-बिंदगावां पथ को बालू की ढुलाई ने बर्बाद कर दिया है। ट्रैक्टरों के अंधाधुंध परिचालन ने सड़क का नामोनिशान मिटा दिया है। पटना व सारण जिलों को नाव के सहारे जोड़ने वाले पथ की हालत बालू के अंधाधुंध परिचालन से इतनी बदतर हो गई थी कि धूल से गांव नहीं दिख रहा था। लोगों ने मुख्य रास्ते को छोड़ एक गांव से दूसरे गांव जाने का वैकल्पिक मार्ग चुना था। बारिश ने फूहा बांध के छलका से लेकर कन्या विद्यालय, मध्य विद्यालय फूंहा, कुर्मीटोला सेमरा, सेमरा बाजार से लेकर बिंदगावां छलका सहित बन्धुछपरा व सबलपुर में बांध की सड़कों पर पड़े गड्ढे तालाब का रूप ले चुके हैं और बांध बर्बाद हो गया है। ग्रामीण बताते हैं कि सेमरा, बिंदगावां, विसुनपुर, बन्धुछपरा में बारात आने-जाने के लिए बबुरा से नहर के किनारे कच्चे रास्तों का प्रयोग हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कोरोना काल से पहले बच्चे पढ़ाई हेतु बाहर जाते थे पर अब उन्हें हादसे के डर से अभिभावकों ने उनकी पढ़ाई बंद कर दी है। सोन नदी को पार कर पटना जाने के लिए बिन्दगावां घाट तक लोग चले जाते थे जो आज पैदल चलने के लिए मजबूर हैं। यह स्थिति तब है, जब बिंदगावां से पटना की दूरी महज 27 किलोमीटर ही है। प्रशासन देखता रहा, पुलिस वसूली करती रही और धंधेबाजों ने पूरी सड़क उखाड़ दी।
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