कोविड वार्ड में एमबीबीएस डॉक्टरों की लगी ड्यूटी
-सिविल सर्जन ने गुरुवार से लागू करायी नई रोस्टर ड्यूटी जासज ज जसज ज ज जसजज जजसज ज जसजज ज ज...
हिन्दुस्तान प्रतिनिधि ,
पिछले कुछ समय से सिर्फ आयुष चिकित्सकों के भरोसे चल रहे आरा सदर हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में अब एलोपैथी डॉक्टर भी इलाज करने लगे। इसके पूर्व आयुष चिकित्सक कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों का इलाज कर रहे थे। यह व्यवस्था एक मई से चल रही थी। आपके प्रिय अखबार हिन्दुस्तान ने छह मई के अंक में-आयुष डॉक्टरों के भरोसे कोविड वार्ड, शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद नया रोस्टर जारी किया गया है, जो छह मई से अगले आदेश तक लागू रहेगा। इसमें सभी एलोपैथिक डॉक्टरों की ही ड्यूटी लगाई गई है। जारी रोस्टर के अनुसार ही डॉक्टरों ने गुरुवार से कोविड वार्ड में ड्यूटी शुरू कर दी है। इससे मरीजों को राहत मिली है। मालूम हो कि सदर अस्पताल के कोविड वार्ड में यूनानी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक पद्धति से पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों की ड्यूटी लगा दी गई थी। इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था। मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर भी आयुष चिकित्सक इलाज नहीं कर पाते थे। कई बार तो उनके सामने ही मरीज इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर जाते थे।
सीएस बोले- ड्यूटी से गायब रहने पर वेतन बंद
सिविल सर्जन सह अधीक्षक डॉक्टर एलपी झा ने छह मई से नया रोस्टर जारी किया है, जो अगले आदेश तक लागू रहेगा। कोविड वार्ड के लिए जारी रोस्टर के अनुसार ड्यूटी नहीं करने पर डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है। अपने आदेश में सिविल सर्जन ने कहा है कि ड्यूटी से गायब पाए जाने पर वेतन बंद कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। सभी डॉक्टरों से ड्यूटी समय पर उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। साथ ही यह आदेश दिया गया है कि जब तक प्रतिस्थानी ड्यूटी पर उपस्थित नहीं होते हैं, तब तक डॉक्टर अपना कार्यस्थल नहीं छोड़ेंगे। किसी भी तरह का हंगामा होने पर सारी जवाबदेही संबंधित डॉक्टर की होगी।
कोरोना संक्रमण को ले छुट्टी पर गये डॉक्टरों की लगी ड्यूटी
कथित तौर पर कोरोना संक्रमण के नाम पर ड्यूटी से गायब रहने वाले डॉक्टरों करी ही कोविड वार्ड में ड्यूटी लगा दी गई है। जिला प्रशासन की सख्ती के बाद कई डॉक्टरों ने बुधवार को ज्वाइन किया था। इन डॉक्टरों से स्पष्टीकरण की भी मांग की गई थी। इन्होंने अपना स्पष्टीकरण सिविल सर्जन को सौंप दिया है। इसके बाद सिविल सर्जन ने ड्यूटी ज्वाइन करने वाले डॉक्टरों की कोविड वार्ड में ड्यूटी लगा दी है। इसे ले आरा सदर अस्पताल में गुरुवार को तरह-तरह की चर्चा होती रही। कुछ लोगों ने इसे दंड भी बताया।
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आदेश के बाद भी मनमानी कर रहे एम्बुलेंस चालक
पड़ताल
-टेंडर जारी करने के बाद भी टर्न अप नहीं हुए चालक
-प्रशासन ने तय कर रखा है 10 किमी का 15 सौ भाड़ा
आरा। हिन्दुस्तान प्रतिनिधि
प्रशासन के आदेश के बाद भी एंबुलेंस चालकों की मनमानी नहीं रुक रही है। वे अपनी मनमानी पर अब भी कायम हैं। इससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने एम्बुलेंस का किराया प्रथम 10 किलोमीटर तक 15 सौ रुपये निर्धारित किया है। 10 किलोमीटर के बाद वाहनों का किराया प्रति किलोमीटर 30 रुपये निर्धारित किया गया है। रात में भी दिन के सामान ही किराया लेने के लिए कहा गया था। विशेष परिस्थिति में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का अधिकार व निजी व सार्वजनिक वाहन को एंबुलेंस का दर्जा देने के लिए सिविल सर्जन या उनके द्वारा नामित पदाधिकारी को शक्ति प्रदत्त किया गया है। साथ ही वाहन में आवश्यक चिकित्सकीय यंत्र, उपकरणों व सुविधाओं के संबंध में अस्पताल प्रशासन की ओर से लिए गए निर्णय का अनुपालन करना एंबुलेंस वाहन के स्वामियों के लिए बाध्यकारी होगा। इसके बावजूद एम्बुलेंस चालक मनमानी करने पर उतारू हैं। गुरुवार को जदयू नेता विश्वनाथ सिंह ने बताया कि आरा से बखोरापुर के लिए एम्बुलेंस चालक ने 15 हजार रुपये भाड़ा मांगा। यह चिंतनीय है। प्रशासन भाड़ा तय करने के अलावा कार्रवाई भी करे।
लोगों ने पूछा-कहां करें शिकायत
जिला प्रशासन के अलावा राज्य सरकार ने भी निजी एम्बुलेंस चालकों के लिए किराया निर्धारित कर दिया है। लेकिन, इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। सदर अस्पताल के बाहर एम्बुलेंस वाले से मोल-तोल कर रहे जगदीशपुर प्रखंड के अरुण सिंह ने बताया कि एम्बुलेंस वाले की मनमानी के खिलाफ कहां शिकायत दर्ज कराई जाये। इसके लिए प्रशासन ने कोई नम्बर नहीं जारी किया है। वहीं शाहपुर के मनोज कुमार ने बताया कि जब एम्बुलेंस वाले प्रशासन की ओर से निर्धारित दर से अधिक रेट मांग कर रहे हैं तो क्या उस समय सरकार का रेट चार्ट दिखाया जाये। या इमरजेंसी में मरीज को जल्दी अस्पताल पहुंचाए।
जिले में 28 सरकारी एम्बुलेंस कार्यरत
जिला प्रशासन ने निजी वाहनों को भी एंबुलेंस सेवा के रूप में किराया पर रखने का निर्णय लिया है, लेकिन दो बार टेंडर निकाले जाने के बाद भी कोई निजी एजेंसी टर्न अप नहीं हो रहा है। सदर अस्पताल में एक ही शव वाहन है। इसी के सहारे कोरोना और नॉन कोरोना मरीजों की मौत के बाद डेड बॉडी घाटों तक पहुंचाया जा रहा है। पूरे जिले के सरकारी अस्पतालों के लिए 28 एम्बुलेंस हैं। सदर अस्पताल में फिलहाल पांच एम्बुलेंस कार्यरत हैं और दो अतिरिक्त एम्बुलेंस को मरीजों की सुविधाओं के लिए लाया गया है। इसके बाद भी एम्बुलेंस की कमी महसूस की जा रही है। जिला स्वास्थ्य समिति का लेखा प्रबंधक रंजीत कुमार ने बताया कि 102 नंबर डायल कर कोई भी सरकारी एंबुलेंस का लाभ ले सकता है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। सरकारी एंबुलेंस सिर्फ सरकारी संस्थानों में रेफर होने की स्थिति में पहुंचाता है। जगदीशपुर अनुमंडलीय अस्पताल के लिए एक शव वाहन की तैयारी की जा रही है ताकि कोविड के मरीजों की मौत होने पर शव को अंतिम संस्कार के लिए पहुंचाया जा सके।
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