संपन्नता के बाद भी धनडीहा धूल-धूसरित, योजनाओं का नहीं मिला लाभ
कोरोना के चलते पंचायत चुनाव स्थगित होने के बाद भी गांवों में सरगर्मी बनी हुई है। चौपालों पर गांव के विकास कार्य होने व न होने को ले चर्चा हो रही है। कोईलवर प्रखंड की धनडीहा पंचायत में पिछले पांच साल...
कोईलवर। एक संवाददाता
भोजपुर के प्रवेश द्वार का पहला गांव धनडीहा सोन नदी के तट पर स्थित होने के कारण स्वास्थ्यवर्द्धक तो है मगर बालू के व्यवसाय ने गांव ही नहीं, पूरी पंचायत को धूल-धूसरित कर दिया है। फोर लेन व टू लेन को समेटती धनडीहा पंचायत का प्रमुख व्यवसाय बालू और आलू है, जो यहां के लोगों को समृद्ध बनाए रखा है। विगत पांच वर्ष के कार्यकाल में धनडीहा पंचायत में नाली-गली निर्माण के साथ पंचायत में थोड़ा विकास तो दिखा है, अलबत्ता कृषि क्षेत्र में कोई खास काम नहीं होने से गांवों की शत-प्रतिशत आबादी वाले कृषकों की हालत संतोषजनक नहीं रही। कोईलवर प्रखंड मुख्यालय का सबसे सटा पहला गांव धनडीहा ही है, जो आलाधिकारियों का भी पसंदीदा रहा है। पंचायत में चार गांवों धनडीहा, फरहंगपुर, करजा व कुबेरचक गांवों के 15 वार्डों को मिला पंचायत का निर्माण किया गया है। वहां 80 प्रतिशत नाली-गली योजना तो 90 प्रतिशत नल-जल कार्य पूरा कर लिए जाने की बात बताई गई है। फिर भी सभी वार्डों में सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल सका है।
पंचायत भवन
पंचायती राज विभाग की ओर से जिले की हर पंचायत में पंचायत सरकार भवन बनाये जाने का आदेश मिला, मगर सरकारी जमीन के अभाव में उक्त भवन नहीं बन पाया और पुराना भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा है। किसी तरह काम निपटाये जाते रहे हैं। पंचायत भवन में आरटीपीएस केंद्र की स्थापना होती तो किसानों को इसके तहत सभी सेवाएं मिल पातीं। ग्रामीण जनता को प्रखंड कार्यालयों में रसीद कटाने, जन्म व मृत्यु प्रमाण-पत्र, आवासीय प्रमाण-पत्र, वृद्धा पेंशन सहित अन्य योजनाओं का लाभ पंचायत सरकार भवनों में ही आरटीपीएस काउंटर से मिलता। इसके लिए आज अंचल व प्रखंड कार्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है।
सड़क
धनडीहा पंचायत में हर ओर से जाने के लिए सड़क मौजूद है। पटना-आरा फोरलेन, आरा-छपरा फोरलेन के साथ साथ कोईलवर-चांदी-नासरीगंज व आरा जिला मुख्यालय से सीधे तौर पर यह पंचायत जुड़ी है। पंचायत के चारों गांवों में नाली-गली का 60 प्रतिशत कार्य करा लिए जाने का दावा किया गया है। वार्ड एक, दो व आठ में रुपये की कमी के कारण काम रुका पड़ा है। सभी गांव मुख्य सड़क से लिंक हैं, जहां आवागमन की कोई परेशानी नहीं है।
नल-जल
पंचायत में कई वार्डों में नल-जल का काम लगभग समाप्ति की कगार पर है। स्ट्रक्चर लगाये जाने के बाद भी कई वार्डों में टंकी नहीं लगाई गई है, जिससे यह सुविधा बेहतर ढंग से नहीं मिल पा रही। कई घरों में घरेलू कनेक्शन किए जाने बाकी हैं। कुछ वार्डों में रुपये उपलब्ध करा दिए गए हैं तो कहीं रुपये के अभाव में काम नहीं हुए हैं। हालांकि जल संरक्षण का पाठ आम ग्रामीणों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को पढ़ाए जाने की जरूरत है।
स्वास्थ्य
पंचायत की लगभग 15 हजार आबादी वाली पंचायत में स्वास्थ्य सेवा हेतु बेहतर व्यवस्था है पर समयानुसार स्वास्थ्य की देखभाल करने वालों की कमी है। प्रखंड के सबसे करीब होने के कारण स्थानीय लोग अस्पताल पहुंच स्वास्थ्य लाभ लेने में संकोच नहीं करते। गांव व पंचायत में टीकाकरण के दौरान एएनएम की मौजूदगी ग्रामीणों द्वारा बताई जाती है।
बिजली
पंचायत के हर गांव में बिजली की बेहतर व्यवस्था है, जहां बिजली की आंखमिचौली नहीं के बराबर है। पंचायत में कई बड़े पॉल्ट्री फॉर्म, अंडा फॉर्म, पेवर ब्लॉक मशीन कार्यरत हैं, जो बिजली से चलते हैं। आजादी के लंबे समय बाद तक बिजली से महरूम रहने वाले लोग अब गांवों में भी निर्बाध रह रही बिजली ने हर सुविधा मुहैया कर रखी है।
सिंचाई के साधन
कुछ वर्षों पूर्व सोन नदी के किनारे बसे गांवों में लिफ्टिंग रिवर योजना चालू की गई थी। लघु सिंचाई परियोजना के तहत नावों पर मशीन लगा कछार पर हजारों एकड़ खेत की पटवन होती थी और लोग मनमाफिक सोन नदी में उत्तर से दक्षिण दिशा में नाव के सहारे बोरिंग व मशीन ले जा सकते थे और पटवन कर सकते थे। पर अब वैसी व्यवस्था नहीं रही और किसान खेती की जगह बालू ढुलाई के लिए घाट से सड़क तक रास्ता बना जीवकोपार्जन करने लगे। पंचायत में छह सरकारी नलकूप हैं, जिसमें धनडीहा में तीन व फरहंगपुर में दो नलकूप हैं, जिसमे एक में निजी मशीन लगा पटवन की जाती है। विभाग द्वारा राशि निर्गत नहीं किए जाने से कार्य नहीं हुआ है। लोग निजी तौर पर खेती व पटवन करते हैं।
रोजगार के अवसर
कोरोना काल के दौरान धनडीहा पंचायत में महानगरों में लंबे समय से काम कर रहे कई श्रमिक वापस लौट गए तो पंचायत प्रतिनिधियो ने जुगाड़ टेक्नोलॉजी लगा कइयों को रोजगार भी दिलाई।उप प्रमुख ललन कुमार की माने तो सौ दिन काम करनेवाले मजदूरों को तीन तीन हज़ार रुपए श्रम विभाग से दिलाए गए।कुछ लोगों को पंचायत स्तर पर मनरेगा के काम मिला तो कुछ ने गांव के लोगों के साथ कृषि में ही हाथ आजमाया और खेती कर साल भर खाने को अनाज उपजाने में सफल रहे।
नाली-गली
नाली गली का काम रह गया अधूरा
इस पंचायत के सभी वार्डों में सात निश्चय, चौदहवीं व पंचम वित्त की सरकारी योजनओं के तहत नाली-गली का काम 75 प्रतिशत हो चुका है।फरहंगपुर वार्ड 11 से 15 तक पीसीसी कार्य पूरा करने की बात बताई गई जबकि बाकी बचे कई वार्ड में नाली गली का काम अधूरा पड़ा है। कई जगहों पर पैसों के अभाव में कार्य रुका पड़ा है।
प्रखंड : कोईलवर
पंचायत : धनडीहा
गांव : धनडीहा, फरहंगपुर, करजा, कुबेरचक
मतदाता- 7,500
जनसंख्या-15,000
अपने कार्यकाल में सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ ग्रामीणों तक पहुचाने में मदद की और मुखिया मद का पूरी तरह सदुपयोग कर पंचायत में विकास कार्य पर ध्यान दिया। कोरोना काल मे साबुन और सेनेटाइजर वितरण से लेकर विकास के हर पहलुओं पर ध्यान रहा।
संजय कुमार सिंह, मुखिया
पंचायत में विकास कार्य बेहतर ढंग से हो सकते थे, जो नहीं हो पाये । कई कार्य आम जनता के हित में नहीं हुए हैं। जमीन स्तर पर विकास कार्य नहीं दिख रहे या फिर पंचायत के लिए और बेहतर कार्यों पर ध्यान नहीं दिया गया और जनता पूरे पांच साल हाथ मलती रही।
धीरेंद्र प्रताप सिंह, प्रतिद्वंद्वी
उपलब्धियां
-नाली-गली व नल-जल योजना 70 प्रतिशत पूरी। 150 इंदिरा आवास पूर्ण व छह सौ का प्रस्ताव। छठ घाट का निर्माण।
-107 सोख्ता, छह बायो गैस व 32 पशु शेड का निर्माण। छह मंदिरों में पेवर ब्लॉक समेत 12 पीसीसी पूर्ण।
नाकामियां
-कई वार्डों में टंकी नहीं लगने से नल जल योजना फ्लॉप। पिछड़े इलाके में पीसीसी नहीं। शौचालय बने बिना ही ओडीएफ घोषित।
-बरसात के पानी की निकासी का कार्य नहीं। कृषि की सुविधा हेतु नलकूप व करहे पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
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