कोरोना काल : उज्ज्वला के लाभुक सिलेंडर के उठाव में पड़े शिथिल
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आरा। हमारे प्रतिनिधि
कोरोना काल में जहां एक तरफ ऑक्सीजन लेवल को कंट्रोल करने का संदेश दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरह उज्ज्वला योजना के लाभुक फिर चूल्हे के धुएं की ओर लौटने को मजबूर है। उज्ज्वला योजना के लाभुक सिलेंडर उठाव में शिथल पड़ गये हैं। सिलेंडर का उठाव नहीं करने वालों की संख्या तो पहले कुछ कम थी, लेकिन हाल के दिनों में इसमें काफी वृद्धि हुई है। आज स्थिति यह है कि जिले में लगभग 40 फीसदी लाभुक सिलेंडर का उठाव नहीं कर रहे हैं। कहीं कोरोना लॉक डाउन तो कोई महंगाई की मार से बेहाल होने के कारण सिलेंडर का उठाव नहीं कर रहा है। वैसे कुछ लाभुक ऐसे भी हैं, जिन्होंने कनेक्शन तो ले लिया है, लेकिन सिलेंडर का उठाव ही नहीं करना चाहते हैं। ऐसे लाभुकों को चूल्हा ही रास आ रहा है। भोजपुर जिले में उज्जवला योजना के लगभग 70 हजार लाभुक हैं। वैसे तो लॉक डाउन के बाद आईओसीएल ने उज्ज्वला योजना के सिलेंडरों के उठाव का आकलन अभी नहीं किया है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि 40 प्रतिशत से अधिक लाभुक सिलेंडर का उठाव नहीं कर रहे हैं। वैसे लॉक डाउन के पहले यह आंकड़ा कुछ कम था।
उठाव नहीं करने वाले ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा
जगदीशपुर। जगदीशपुर अनुमंडल में उज्ज्वला योजना के 40 से 60 प्रतिशत लाभुक सिलेंडर का उठाव नहीं कर रहे हैं। अनुमंडल में विभिन्न कंपनियों की आठ गैस एजेंसियां कार्यरत हैं। अलग - अलग क्षेत्र व ऐजेंसी का अलग - अलग प्रतिशत है। यह प्रतिशत अनुमंडल के नगर क्षेत्र में नहीं लेने वालों का ग्रामीण क्षेत्र की अपेक्षा कम है। पूरे अनुमंडल क्षेत्र में उज्ज्वला योजना के लगभग 15 हजार लाभार्थी हैं। गैस का कम उठाव के मामले में जागरूकता का अभाव, होम डिलवेरी न होना व मंहगाई सहित कई कारण हैं। पिछले साल के लॉक डाउन में तो छूट भी थी पर इस बार नहीं है। लाभुकों का कहना है कि पहले साल जहां 552 रुपये का गैस सिलेंडर मिलता था, वह आज 890 रुपये में मिल रहा है।
खर्च में कटौती के चलते सिलेंडर का नहीं हो रहा उठाव
पीरो। कोरोना संक्रमण के बीच लॉडाउन के दौरान खर्च में कटौती के चलते उज्ज्वला योजना के सिलेंडर का उठाव कम हो रहा है। एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि सिलेंडर की बढ़ती कीमत और सब्सिडी में भारी कमी के चलते असर पहले से ही था, लेकिन हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गयी। लॉकडाउन की घोषणा होते ही उज्ज्वला योजना के लाभुक लकड़ी और गोईठा के चूल्हे पर खाना बनाना शुरू कर दिया। लॉकडाउन का विस्तार होते ही उज्ज्वला योजना के सिलेंडर की खपत में भारी गिरावट आयी है। पीरो, चरपोखरी, तरारी और गड़हनी के इलाकों में काफी कमी आयी है।
उठाव नहीं करने की कहानी, लाभुकों की जुबानी
लकड़ी और उपले पर खाना बनाने के कारणों का हाल जानने के लिए हिन्दुस्तान टीम की ओर से पीरो प्रखंड के बरांव, तरारी प्रखंड के सेदहां और चरपोखरी प्रखंड के नगरी गांव का दौरा किया गया। बरांव में सत्यनारायण सिंह, मनोज सिंह और गोरख राम का कहना है कि उज्ज्वला योजना का सिलेंडर खरीदने पर अनुदान घटता गया और कीमत बढ़ती गयी। खर्च में कटौती के लिए आवश्यकता की पूर्ति को लेकर सिलेंडर की खरीदारी कम कर दी गयी। लॉकडाउन की घोषणा के बाद से तो खर्च में कटौती करने के लिए सिलेंडर का उठाव बिल्कुल ही बंद कर दिया गया। सेदहां निवासी राजीव रंजन सिंह, श्रीकांत सिंह, भोली सिंह, रमेश चैधरी, दुर्गेश चैधरी व उमाशंकर पासवान का कहना है कि कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में धुआं और धूल से स्वास्थ्य को बचाने का काम भी कठिन हो गया है। सिलेंडर से कम खर्च में लकड़ी और उपला से खाना बन जा रहा है। नगरी में बबन तिवारी, सुरेन्द्र सिंह व मनोज राय का कहना है कि घर के खर्चे की कटौती करने के लिए उज्ज्वला योजना का सिलेंडर का उठाव बंद करना पड़ा।
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