Hindi Newsऑटो न्यूज़One in three cars sold in top Indian cities is an automatic

ना गियर का झंझट, ना बंद होने की टेंशन... मैनुअल कारों को छोड़, अब ग्राहकों को ज्यादा पसंद आ रही ऑटोमैटिक कारें

  • देश के ग्राहकों का कार खरीदने का मिजाज समय के साथ बदलता रहता है। अब ग्राहकों को कार में ज्यादा लग्जरी फीचर्स के साथ सनरूफ जैसा फीचर्स काफी पसंद आ रहा है।

Narendra Jijhontiya लाइव हिन्दुस्तानMon, 14 Oct 2024 05:26 PM
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देश के ग्राहकों का कार खरीदने का मिजाज समय के साथ बदलता रहता है। अब ग्राहकों को कार में ज्यादा लग्जरी फीचर्स के साथ सनरूफ जैसा फीचर्स काफी पसंद आ रहा है। वहीं, नई रिपोर्ट के मुताबिक, अब मैनुअल कारों की तुलना में ऑटोमैटिक कार लोगों को ज्यादा पसंद आ रही हैं। देश में पिछले कुछ सालों में ऑटोमैटिक कारों की मांग तेजी से बढ़ी है। ऑटोमैटिक कारों को चलाना आसान होता है। इनका इंजन ड्राइविंग के दौरान मुश्किल परिस्थितों में बंद नहीं होता, जिसके चलते ग्राहक इनकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इनकी ज्यादा कीमत होने से भी ग्राहकों को फर्क नहीं पड़ रहा।

10% मार्केट हिस्सेदारी बढ़ गई
रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में गाड़ियों की कुल बिक्री में ऑटोमैटिक की हिस्सेदारी 16% थी, जो अब बढ़कर 26% हो गई है। यातायात दबाव वाले शहरों में ऐसी कारों की मांग काफी बढ़ रही है, जो रुक-रुक कर ड्राइविंग की परेशानी को थोड़ा कम करती हैं। जैटो डायनेमिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, 20 बड़े शहरों में बेची जा रही हर 3 गाड़ियों में से एक ऑटोमैटिक होती है। इन्हें प्रीमियम सेगमेंट में रखा जाता है।

2 लाख रुपए तक ज्यादा महंगी कार
इनकी कीमत भी मैनुअल गियरबॉक्स के साथ आने वाली गाड़ियों की तुलना में 60,000 से 2 लाख रुपए तक ज्यादा होती है। बढ़ी हुई मांग की वजह से ही मारुति सुजुकी, टोयोटा, महिंद्रा, टाटा, हुंडई और निसान जैसी कंपनियों ने अपनी गाड़ी के 83 मॉडल ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में लॉन्च किए हैं। मारुति ने अपनी सबसे सस्ती यानी एंट्री लेवल ऑल्टो K10 में भी ऑटोमैटिक का ऑप्शन दिया है। मारुति इस सेगमेंट में भी लीडर बनी हुई है।

मैनुअल की तुलना में माइलेज ज्यादा
इन गाड़ी की सबसे बड़ी खासियत यही होती है कि इनमें गियर बदलने की जरूरत नहीं होती। इन्हे केवल ब्रेक और फिर एक्सीलेटर के उपयोग से चला सकते हैं। ऑटोमैटिक कार से ट्रैफिक जाम के दौरान ड्राइविंग में समस्या कम आती है और बार-बार गियर नहीं बदलने से ये गाड़ियां माइलेज भी ज्यादा देती हैं। होंडा जैसी कुछ कंपनियां CVT ट्रांसमिशन भी पेश करती हैं। ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में क्लच होता है, जबकि CVT में सेंसर क्लच का काम करते हैं। ऑटोमैटिक कारों का माइलेज भी ज्यादा होता है।

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