0 स्टार रेटिंग वाली कारों में भी अब 6 एयरबैग, लेकिन आपके लिए कितनी सेफ? NCAP टेस्ट का इंतजार
- कारों में सेफ्टी के लिहाज से अब कंपनियां 6 एयरबैग को स्टैंडर्ड करती जा रही हैं। यानी किसी भी मॉडल के सभी ट्रिम या वैरिएंट में 6 एयरबैग मिलेंगे। हुंडई ने पहले जहां अपनी पूरी लाइनअप में 6 एयरबैग को जोड़ा था।

कारों में सेफ्टी के लिहाज से अब कंपनियां 6 एयरबैग को स्टैंडर्ड करती जा रही हैं। यानी किसी भी मॉडल के सभी ट्रिम या वैरिएंट में 6 एयरबैग मिलेंगे। हुंडई ने पहले जहां अपनी पूरी लाइनअप में 6 एयरबैग को जोड़ा था। तो अब देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने भी अपनी सभी कारों में 6 एयरबैग लगा दिए हैं। कंपनी की एंट्री लेवल और देश की सबसे सस्ती कार ऑल्टो K10 भी 6 एयरबैग से लैस हो चुकी है। अब सवाल ये उठता है कि क्या 6 एयरबैग लगाने से ये कार सेफ हो रही हैं। या फिर सिर्फ ग्राहकों को खींचने के लिए कंपनियां इन कारों में 6 एयरबैग लगा रही हैं।
दरअसल, साल 2022 से देश की सभी कारों में 6 एयरबैग देने का नियम लागू किया जाना था, लेकिन फिर इसे एक साल के लिए टाल दिया गया था। बाद में ये नियम 1 अक्टूबर, 2023 से लागू किया जाना था। हालांकि, अब एक बार फिर पैसेंजर को एयरबैग से मिलने वाली सुरक्षा टाल दी गई थी। तब इस टाइमलाइन को सरकार ने ही आगे बढ़ा दिया था। तब केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि कारों के लिए 6 एयरबैग नियम को अनिवार्य नहीं किया जाएगा।
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खास बात ये है कि तब मारुति के चेयरमैन आर सी भार्गव ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि 6 एयरबैग्स के नियम को लागू करने के फैसले से छोटी हैचबैक कारों की कीमतें तो बढ़ जाएंगे, लेकिन इससे रोड एक्सीडेंट के मुद्दे से निपटने में मदद नहीं मिलेगी। रोड एक्सीडेंट में मरने वाले लोगों को लेकर कुछ और सोचना होगा। कंपनी कॉम्पैक्ट कार सेलिंग से कोई लाभ नहीं कमाती हैं। उन्होंने कहा था कि 6 एयरबैग्स लगाने से एंट्री-लेवल कार में 60 हजार रुपए तक की बढ़ोतरी हो जाएगी, जो किसी भी एंट्री लेवल कार के लिए बड़ा मार्जिन है।
उन्होंने कहा था कि जिन मॉडल में चार एयरबैग दिए जाएंगे उनके कई स्ट्रक्चरल चेंजेस करने होंगे। साइड एयरबैग फ्रंट सीट के पीछे की तरफ बी-पिलर के ऊपर कर्टेन एयरबैग होंगे। जिन कारों में अभी सिर्फ 2 एयरबैग आते हैं उन्हें इस तरह के स्ट्रक्चरल चेंजेस से गुजरने होंगे। इसके लिए एक्स्ट्रा निवेश भी करना होगा। जबकि 6 एयरबैग प्रीमियम कारों में समझ आते हैं। जिन कारों की कीमत 5 लाख से कम है उनकी कॉस्ट बढ़ जाएगी। अभी एंट्री लेवल कार में सिर्फ 2 एयरबैग जोड़ने पर ही 30 हजार रुपए का खर्च आ रहा है।

3 साल पहले तक जो मारुति छोटी कारों में 6 एयरबैग देने का विरोध कर रही थी, उसने अचाकन ही अपने पूरे पोर्टफोलियो को 6 एयरबैग स्टैंडर्ड कर दिया। यानी अब कंपनी ने उस कीमत की भी परवाह नहीं की जिससे मिडिल क्लास का बजट बिगड़ सकता है। हालांकि, आपको ये जानकर हैरत होती की पहले मारुति कार में 6 एयरबैग का खर्च 60 हजार रुपए बता रही थी, उसने इस काम को बेहद कम कीमत में किया है। उदाहरण के तौर पर मारुति ऑल्टो की पुरानी कीमत 3.99 लाख रुपए थी, वो 6 एयरबैग लगने के बाद सिर्फ 24 हजार रुपए का अंतर आया है। यानी अब इसकी नई कीमत 4.23 लाख रुपए है।

अब सवाल ये भी उठता है कि क्या कंपनी इन कारों में जिन एयरबैग का इस्तेमाल कर रही है, वो कार को कितना सेफ बना रहे हैं। दरअसल, अभी इन छोटी कारो की NCAP क्रैश टेस्ट रेटिंग सामने नहीं आई है। वहीं, पुरानी NCAP रेटिंग इनकी काफी खराब रही है। एक लिहाज से ये कार किसी के लिए भी सेफ नहीं हैं। आपको इस बात का पता इनकी पुरानी क्रैश टेस्ट रेटिंग से भी लग जाएगा। हालांकि, मारुति की न्यू डिजायर को ग्लोबल NCAP में 5-स्टार रेटिंग मिली है। ये इस रेटिंग को पाने वाली कंपनी की पहली कार भी है। ऐसे में इनकी नई NCAP रेटिंग का इतंजार भी है।
देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में छोटी SUVs की डिमांड में तेजी देखने को मिली है। खासकर, टाटा पंच और हुंडई एक्टर ने ज्यादातर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। इसकी वजह वजह इनकी कीमतें रही हैं। दरअसल, इन दोनों SUV को 5.99 लाख की एक्स-शोरूम प्राइस के साथ लॉन्च किया गया था। यानी ये स्विफ्ट, वैगनआर जैसी कारों कीमत के लिहाज से बेहतर नजर आईं। वहीं, अब मारुति फ्रोंक्स ने भी इस सेगमेंट को डोमिनेट किया था। फ्रोंक्स फरवरी में देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार भी रही है। इन SUVs की कीमत और सेफ्टी ने इन्हें छोटी हैचबैक से ज्यादा पॉपुलर बना दिया।

मारुति के लिए कारों में 6 एयरबैग देने की एक वजह इनकी सेल्स को बढ़ाना हो सकती है। दरअसल, कंपनी के कुछ मॉडल की सेल्स लंबे समय से एक पॉइंट पर आकर रुक गई है। वहीं, कई महीने इनमें गिरावट भी देखने को मिली है। ऐसे में 6 एयरबैग आने से हो सकता है कि इनकी सेल्स में भी इजाफा हो जाए। हालांकि, ग्राहकों को 6 एयरबैग की सेफ्टी कितनी पसंद आ रही है इसका फैसला आने वाली कुछ महीनों में इनकी सेल्स से होगा। साथ ही, भारत NCAP या कोई अन्य NCAP की सेफ्टी रेटिंग भी इनका फ्यूचर तय करेंगे। जहां तक सेफ्टी की बात है तो एकदम नई ADAS टेक्नोलॉजी पर भी चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
ADAS टेक्नोलॉजी से जुड़ी रिसर्च
एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) टेक्नोलॉजी के अंदर कई अलग-अलग सेफ्टी फीचर्स मिलते हैं। कई कंपनियां लेवल 2 ADAS भी पेश कर चुकी हैं। ये एक्स्ट्रा सेफ्टी के लिए रडार-बेस्ड सेंसर का उपयोग करता है। हालांकि, यूरोपीय ट्रांसपोर्ट रिसर्च रिव्यू (European Transport Research Review) की स्टडी में ये बात सामने आई है कि इस टेक्नोलॉजी से एक्सीडेंट में इजाफा हुआ है। शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में बताया है कि न सिर्फ क्रूज कंट्रोल फंक्शन बल्कि अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल फीचर ने भी पैसेंजर सुरक्षा से समझौता किया है। यह देखा गया कि क्रूज कंट्रोल ने दुर्घटना दर को 12% बढ़ाकर लोगों के जीवन को जोखिम में डाला है। वहीं, अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल ने यात्रियों के जीवन को 1.8% तक खतरे में डाला है। हालांकि, एक अन्य स्टडी में कहा गया है कि इससे दुर्घटनाओं का जोखिम 8% बढ़ जाता है।
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