Hindi Newsऑटो न्यूज़EV makers will have to give 3 year warranty on batteries

मोदी सरकार की नई स्कीम का असर, EV कंपनियां बैटरी पर देंगी 3 साल की वारंटी; ग्राहकों को ₹50000 की सब्सिडी

  • मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्री ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) शुरू की है। इस योजाना का फायदा अप्रैल से जुलाई 2024 तक दिया जाएगा।

Narendra Jijhontiya लाइव हिन्दुस्तानFri, 15 March 2024 03:06 AM
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मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्री ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) शुरू की है। इस योजाना का फायदा अप्रैल से जुलाई 2024 तक दिया जाएगा। इसके लिए सरकार 500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस योजना के चलते इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरर बैटरी के लिए 3 साल की वारंटी दे रही हैं। उनका उद्देश्य ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देना है। मैन्युफैक्चरर को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बैटरियों की बिक्री के बाद सर्विस के लिए एक बढ़िया ईकोसिस्टम हो।

किसी भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी की लागत गाड़ी की कुल लागत का करीब 40% हिस्सा होती है। भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, EMPS के तहत लाभ प्राप्त करने वाले ईवी मैन्युफैक्चरर को योजना के तहत पात्र मॉडलों के लिए हाई लेवल का लोकलाइजेशन सुनिश्चित करना होगा। इस योजना के लिए पात्र होने के लिए टू-व्हीलर के लिए 3 साल या 20,000 किलोमीटर की वारंटी और थ्री-व्हीलर के लिए 80,000 किलोमीटर की वारंटी अनिवार्य है।

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इस योजना के तहत हर टू-व्हीलर के लिए 10,000 रुपए की मदद की जाएगी। इसका उद्देश्य लगभग 3.3 लाख टू-व्हीलर्स के लिए मदद करना है। छोटे थ्री-व्हीलर (ई-रिक्शा और ई-कार्ट) की खरीद के लिए 25,000 रुपए तक की मदद दी जाएगी। ऐसे 41,000 से अधिक व्हीकल को शामिल किया जाएगा। बड़ा थ्री-व्हीलर व्हीकल खरीदने पर 50,000 रुपए की वित्तीय मदद दी जाएगी। फेम-2 के तहत सब्सिडी 31 मार्च 2024 तक या धन उपलब्ध होने तक बेचे जाने वाले ई-व्हीकल के लिए पात्र होगी।

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इससे पहले भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने नवाचार को प्रोत्साहित करने और ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मिलकर काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए कुल 19.87 करोड़ रुपए के अनुदान और उद्योग भागीदारों के अतिरिक्त 4.78 करोड़ रुपए के योगदान के साथ कुल परियोजना लागत 24.66 करोड़ रुपए है।

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