अच्छी बातों को जीवन में उतारने से मिलता है लाभ
- युवक ने कहा कि वह श्रावस्ती रहता है। उसका जवाब सुनकर तथागत ने फिर पूछा कि वह यहां आता कैसे है? युवक ने कहा कि वह कभी पैदल आता है तो कभी उसे किसी सवारी का साधन मिल जाता है, जिसके सहारे वह यहां तक पहुंच जाता है।

महात्मा बुद्ध का प्रवचन सुनने एक युवक प्रतिदिन आता था। कई दिनों तक प्रवचन सुनने के बाद युवक को लगा कि वह लगातार प्रवचन सुनने आ रहा है लेकिन इसके बावजूद उसके जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है। जैसा वह पहले था, वैसा ही वह अब है। इसका क्या कारण है। बहुत सोचने के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचा कि उसे इस संबंध में बुद्ध से चर्चा करनी चाहिए।
यह सब सोचकर वह युवक अगले दिन बुद्ध के पास गया और अपनी शंका के बारे में बताते हुए कहा कि वह रोज उनके प्रवचन सुनने आता है लेकिन इसके बावजूद उसके जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया है। आखिर इसका क्या कारण है कि उसे उनके प्रवचनों को कोई लाभ क्यों नहीं मिल रहा है।
तथागत उस युवक की बात बहुत शांत भाव से सुनते रहे। जब वह युवक अपनी बात कह कर चुप हुआ तो बुद्ध कुछ क्षण मौन रहे। फिर उन्होंने मुस्कराते हुए उस युवक से पूछा कि वह कहां रहता है?
युवक ने कहा कि वह श्रावस्ती रहता है। उसका जवाब सुनकर तथागत ने फिर पूछा कि वह यहां आता कैसे है? युवक ने कहा कि वह कभी पैदल आता है तो कभी उसे किसी सवारी का साधन मिल जाता है, जिसके सहारे वह यहां तक पहुंच जाता है।
बुद्ध ने फिर उस युवक से पूछा कि वह यहां से अपने घर जाता कैसे है? युवक ने बुद्ध से कहा कि जैसे वह यहां आता है, उसी प्रकार वह यहां से जाता है। बुद्ध ने मुस्कराते हुए उस युवक से पूछा कि क्या वह यहां बैठे-बैठे अपने घर नहीं जा सकता?
बुद्ध का प्रश्न सुनकर युवक ने कहा कि यह कैसे संभव है? चले बिना, ‘मैं यहां बैठे-बैठे अपने घर कैसे जा सकता हूं। अपने घर तो मुझे चलकर ही जाना होगा। बिना कोई प्रयास किए, मैं अपने घर कैसे जा सकता हूं और न ही आपके पास यहां आ सकता हूं।’
तथागत ने मुस्कराते हुए उस युवक से कहा कि तुम्हारे प्रश्न का उत्तर तुमने स्वयं ही दे दिया है। सिर्फ सत्संग सुनने से कोई लाभ नहीं मिलता, जब तक तुम सत्संग में कही गई बातों को अपने जीवन में नहीं उतारते, अपने आचरण में नहीं उतारते। अगर तुम्हें भी सत्संग का लाभ चाहिए तो उसमें कही गई बातों को अपने आचरण में, अपने जीवन में उतारना होगा, तभी तुम्हारे जीवन में बदलाव आएगा। बुद्ध की ज्ञानभरी बातों से युवक को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था। अब उसके चेहरे पर संतोष के भाव थे।
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