Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष व्रत कब है? जानें डेट, पूजन मुहूर्त, विधि, महत्व व व्रत पारण समय
- Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव व माता पार्वती की अराधना के लिए प्रदोष व्रत का दिन बहुत शुभ माना गया है। जानें सितंबर में पहला रवि प्रदोष व्रत कब है, पूजन का मुहूर्त, व्रत विधि व कैसे बना रवि प्रदोष व्रत का संयोग-
Ravi Pradosh Vrat Date 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव व माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, एक कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष में। इस समय भादपद्र मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है। भादपद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। जानें भाद्रपद मास में कब रखा जाएगा प्रदोष, पूजन मुहूर्त व पूजा विधि-
रवि प्रदोष व्रत कब है- भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी 15 सितंबर को शाम 06 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होगी और 16 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। रवि प्रदोष व्रत 15 सितंबर 2024 को रखा जाएगा।
रवि प्रदोष व्रत पूजन मुहूर्त- द्रिक पंचांग के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव व माता पार्वती के पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 08 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
रवि प्रदोष व्रत का महत्व- मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है। कार्यों में सफलता हासिल होती है।
रवि प्रदोष व्रत का कैसे बना संयोग- शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत का संयोग दिन के अनुसार बनता है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार के दिन भौम प्रदोष व्रत, बुधवार को बुध प्रदोष व्रत, गुरुवार के दिन गुरु प्रदोष व्रत, शुक्रवार को शुक्र प्रदोष व्रत, शनिवार के दिन शनि प्रदोष व्रत और रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहते है। ऐसे में 15 सितंबर 2024 को रविवार है, इसलिए रवि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि- प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। भगवान शिव, माता पार्वती व गणेश जी की प्रतिमा के सामने दीपक प्रज्वलित करें। व्रत का संकल्प लें। भगवान को धूप, दीप, भोग, अक्षत व फल आदि अर्पित करें। आरती करें। शाम को आरती के बाद प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
रवि प्रदोष व्रत पारण का समय- हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जा सकता है। ऐसे में रवि प्रदोष व्रत का पारण अगले दिन यानी 16 सितंबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 06 मिनट के बाद किया जा सकेगा।
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