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सावन में कब है Pradosh, रक्षा बंधन, गुरू पूर्णिमा, मंगला गौरी व्रत, नोट करें डेट

  • Pradosh, Raksha Bandhan, Guru Purnima, Mangala Gauri Vrat in Sawan : भगवान शिव का प्रिय माह सावन में भक्तों द्वारा मंदिरों में पार्थिव, शिवलिंग निर्माण, महामृत्युंजय मंत्र का जाप सहित कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यह सोमवार से आरंभ होगा और इसी दिन समाप्त होगा।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्‍दुस्तान टीम, बागपतTue, 16 July 2024 01:01 AM
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Pradosh, Raksha Bandhan, Guru Purnima, Mangala Gauri Vrat in Sawan : श्रद्धालुओं के लिए पवित्र सावन माह इस साल खास रहेगा। श्रद्धालु शिव मंदिरों में अपने आराध्य के दर्शन कर उनका जलाभिषेक, श्रृंगार एवं महाआरती करते हैं। भगवान शिव का प्रिय माह सावन में भक्तों द्वारा मंदिरों में पार्थिव, शिवलिंग निर्माण, महामृत्युंजय मंत्र का जाप सहित कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यह सोमवार से आरंभ होगा और इसी दिन समाप्त होगा। सावन में पांच सोमवार पड़ेंगे। शिव मंदिरों में पूजा-अनुष्ठान के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही है, और शीघ्र ही कावड़ यात्राएं भी शुरू होगी।

सनातन धर्म में सावन का विशेष महत्व है। पंचवटी मंदिर के पुजारी कुंदन भारद्वाज में बताया श्रवण का पहला सोमवार सिद्धि योग श्रवण नक्षत्र में 22 जुलाई को पड़ेगा। इसके साथ ही सावन माह शुरू हो जाएगा। दूसरा सोमवार 29 को, तीसरा 5 अगस्त को, चौथा 12 को और पांचवा 19 अगस्त को पड़ेगा। 19 को रक्षाबंधन पर मानेगा। पवित्र सावन का पहला प्रदोष एक अगस्त को और दूसरा प्रदोष 17 अगस्त को रहेगा। 

कब है मंगला गौरी व्रत?

पंडित सीताराम केसरी ने बताया सावन माह में प्रत्येक मंगलवार को महिलाएं मां पार्वती की आराधना कर मंगला गोरी का व्रत रखती है। इससे सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस बार चार मंगला गौरी व्रत पड़ेंगे।

गुरु पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग

गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को श्रद्धा से मनाई जाएगी। पर्व पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा कर उनसे आशीष प्राप्त करेंगे। आचार्य संदीप शास्त्री ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, पर उत्तराशाड़ नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी, और चातुर्मास शुरू हो जाएंगे। भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके साथ ही विवाह कार्य रुक जाएंगे, जो फिर देवोत्थान एकादशी से शुरू होंगे। चातुर्मास में संत महात्मा एक स्थान पर रहकर स्वाध्याय एवं साधना करते हैं।

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