Hindi Newsधर्म न्यूज़Vivekananda Jayanti 2025 When Swami Vivekananda did not ask for anything in return for prayers from Mother Kali

विवेकानंद जयंती 2025: जब विवेकानंद ने मां काली से प्रार्थना के बदले कुछ नहीं मांगा

  • विवेकानंद जयंती 12 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। विवेकानंद जयंती के खास मौके पर पढ़ें उनसे जुड़ी ये रोचक कथा-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, सद्गुरुTue, 7 Jan 2025 01:01 PM
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Vivekananda Jayanti 2025: विवेकानंद के जीवन में एक बहुत अद्भुत घटना घटी। एक बार उनकी मां बहुत बीमार थीं और मृत्युशैय्या पर थीं। विवेकानंद के पास पैसे नहीं थे कि वह अपनी मां के लिए दवा और खाना ला सकें। यह सोचकर उन्हें अपने पर बहुत गुस्सा आया कि वह अपनी बीमार मां का ध्यान भी नहीं रख सकते। विवेकानंद जैसे इनसान को जब गुस्सा आता है, तो वह अलग तरह का होता है। वह रामकृष्ण के पास गए। वह कहीं और नहीं जा सकते थे। उन्होंने रामकृष्ण से कहा, ‘इन सारी फालतू चीजों, इस आध्यात्मिकता से मुझे क्या लाभ है। अगर मेरे पास कोई नौकरी होती तो मैं काम करता और अपनी मां का खयाल रख पाता। मैं उसे भोजन दे पाता। उसके लिए दवाई ला पाता। उसे आराम पहुंचा सकता था। इस आध्यात्मिकता से मुझे क्या फायदा हुआ?’

रामकृष्ण काली के उपासक थे। उनके घर में काली का मंदिर था। वह बोले, ‘क्या तुम्हारी मां को दवा और भोजन की जरूरत है? जो भी तुम्हें चाहिए, वह तुम मां से क्यों नहीं मांगते?’ विवेकानंद को यह सुझाव पसंद आया और वह मंदिर में गए।

एक घंटे बाद जब वह बाहर आए तो रामकृष्ण ने पूछा, ‘क्या तुमने मां से अपनी मां के लिए भोजन, पैसा और बाकी चीजें मांगीं?’ विवेकानंद ने जवाब दिया, ‘नहीं, मैं भूल गया।’ रामकृष्ण बोले, ‘फिर से अंदर जाओ और मांगो।’ विवेकानंद फिर से मंदिर गए और चार घंटे बाद वापस लौटे। रामकृष्ण ने उनसे पूछा, ‘क्या तुमने मां से मांगा?’ विवेकानंद बोले, ‘नहीं, मैं भूल गया।’

रामकृष्ण फिर से बोले, ‘फिर अंदर जाओ।’ विवेकानंद लगभग आठ घंटे बाद बाहर आए। रामकृष्ण ने पूछा, ‘क्या तुमने मां से वे चीजें मांगीं?’ विवेकानंद बोले, ‘नहीं, अब मैं नहीं मांगूंगा। मुझे मांगने की जरूरत नहीं है।’ रामकृष्ण ने जवाब दिया, ‘यह अच्छी बात है। अगर आज तुमने मंदिर में कुछ मांग लिया होता, तो यह तुम्हारे और मेरे रिश्ते का आखिरी दिन होता। मैं तुम्हारा चेहरा फिर कभी नहीं देखता, क्योंकि कुछ मांगने वाला मूर्ख यह नहीं जानता कि जीवन क्या है। मांगने वाला मूर्ख जीवन के मूल सिद्धांतों को नहीं समझता।’

प्रार्थना एक तरह का गुण है। अगर आप प्रार्थनापूर्ण बन जाते हैं, तो यह होने का एक शानदार तरीका है। लेकिन यदि आप इस उम्मीद से प्रार्थना कर रहे हैं कि इसके बदले आपको कुछ मिलेगा, तो यह आपके लिए कारगर नहीं होता।

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