Hindi Newsधर्म न्यूज़vighnaraja sankashti chaturthi 2024 date puja vidhi moon rise time

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, नोट कर लें चंद्रोदय टाइम और शुभ मुहूर्त

  • हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है है। इस दिन विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की जाती है। इस साल 21 सितंबर 2024 को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 21 Sep 2024 11:03 AM
share Share

हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है है। इस दिन विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की जाती है। इस साल 21 सितंबर 2024 को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से ही होती है। भगवान गणेश को प्रसन्न करना काफी आसान होता है। अपने भक्तों से भगवान गणेश बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। आइए जानते हैं विघ्नराज संकष्टी व्रत शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट-

मुहूर्त- 

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 20, 2024 को 09:15 पी एम बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त - सितम्बर 21, 2024 को 06:13 पी एम बजे

संकष्टी के दिन चन्द्रोदय - 08:29 पी एम

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा- विधि

सुबह स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

जो भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं वो व्रत का संकल्प लें।

भगवान गणेश जी का गंगा जल से अभिषेक करें। 

भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।

भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें। 

भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

भगवान गणेश का ध्यान करें।

गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।

इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है। 

शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें।

भगवान गणेश की आरती जरूर करें।

पूजा सामग्री लिस्ट

भगवान गणेश की प्रतिमा

लाल कपड़ा

दूर्वा

जनेऊ

कलश

नारियल

पंचामृत

पंचमेवा

गंगाजल

रोली

मौली लाल

 

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री लिस्ट

भगवान गणेश की प्रतिमा

लाल कपड़ा

दूर्वा

जनेऊ

कलश

नारियल

पंचामृत

पंचमेवा

गंगाजल

रोली

मौली लाल

 

अगला लेखऐप पर पढ़ें