Vastu Tips :वायु कोण क्या होता है? यहां के दोष से मुक्ति कैसे पाएं?
- Vastu : वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि चार मुख्य दिशा व चार कोणीय दिशाओं में वास्तु ठीक रखने से लाइफ में पॉजिविटी बढ़ती है। वहीं, कुछ गलतियों से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
Vastu Tips for North-West Direction : वास्तु में चार मुख्य दिशा (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) के साथ कोणीय दिशाओं(आग्नेय कोण,नैऋत्य कोण,वायव्य कोण,ईशान कोण) को भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। हर एक दिशा के स्वामी ग्रह माने जाते हैं। वास्तु सलाहकार आचार्य मुकुल रस्तोगी के अनुसार, जहां पर उत्तर व पश्चिम दिशाएं मिलती हैं,उसे वायु कोण कहते हैं। इस दिशा में दोषों के निवारण के लिए कुछ खास बातों को ध्यान रखना चाहिए। मान्यता है कि वायु कोण में छोटी-छोटी गलतियां वास्तु दोष का कारण बन सकती हैं। आइए जानते हैं वायु कोण के दोषों से मुक्ति पाने के आसान वास्तु टिप्स :
वायु कोण से जुड़े वास्तु टिप्स :
वास्तु में घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में बेडरूम होना उचित नहीं माना गया है। बेडरूम को हमेशा दक्षिण दिशा में बनाएं।
वायु कोण में स्टडी रूम भी नहीं होना चाहिए। मान्यता है कि उत्तर-पश्चिम दिशा में स्टडी रूम होने से बच्चे को पढ़ाई में मन नहीं लगता है। इसलिए स्टडी टेबल हमेशा ऐसे रखें कि पढ़ते समय बच्चे का मुख पूर्व दिशा में हो।
वास्तु के अनुसार, वायु कोण में टॉयलेट का निर्माण भी अशुभ माना गया है। मान्यता है कि इसका घर के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि उत्तर-पश्चिम दिशा में टॉयलेट सीट हो, तो सीट के तीनों ओर सफेद रंग से फर्श पर पट्टी बनाएं।
वास्तु के मुताबिक, मंदिर व तिजोरी के लिए भी वायु कोण(उत्तर-पूर्व दिशा) शुभ नहीं माना गया है। इसलिए यहां मंदिर का निर्माण न करवाएं और न ही तिजोरी रखें।
वास्तु के अनुसार, वायु कोण में पानी की बोरिंग भी नहीं होनी चाहिए। कहा जाता है कि इससे जीवन में अस्थिरता बनी रह सकती है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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