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Tulsi Vivah Kahani: वृंदा कैसे बनीं तुलसी? पढ़ें तुलसी-शालिग्राम की पौराणिक कथा

  • Shaligram aur tulsi vivah ki katha: आज देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह कराने की परंपरा है। जानें तुलसी शालिग्राम विवाह कथा-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 12 Nov 2024 07:00 AM
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Tulsi Vivah Katha: देवउठनी एकादशी इस वर्ष 12 नवंबर 2024 यानी आज है। मान्यता है कि श्रीहरि विष्णु इस दिन योगनिद्रा से जागते हैं। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से चातुर्मास समाप्त होते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है। इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ कराया जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जानें कैसे हुआ वृंदा कैसे तुलसी बनीं और शालिग्राम संग विवाह की कैसे शुरू हुई परंपरा-

वृंदा बन गई तुलसी, हुआ शालिग्राम संग विवाह-

महावीर पंचांग के संपादक पं. रामेश्वरनाथ ओझा के अनुसार श्रीहरि की भक्त वृंदा का जन्म राक्षस कुल में हुआ था। उनका विवाह दानवराज जलंधर से हुआ। एक बार देवताओं-दानवों में युद्ध हुआ। जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने उसकी जीत के लिए अनुष्ठान किया। व्रत के प्रभाव से देवता जलंधर को न जीत सके और विष्णुजी के पास गए। वह अपनी भक्त वृंदा से छल को राजी नहीं हुए। नहीं कर सकता। देवताओं के दबाव में भगवान ने जलंधर का रूप धर वृंदा के महल में पहुंचे। वृंदा का ही संकल्प टूटा, देवताओं ने जलंधर को मार दिया। वास्तविकता जान वृंदा ने भगवान को श्राप दिया। इससे वह पत्थर के हो गए। देवता हाहाकार करने लगे। तब वृंदा ने भगवान को पहले जैसा कर सती हो गई। उनकी राख से एक पौधा निकला तब भगवान विष्णु ने उसे तुलसी नाम दिया। इसके बाद तुलसी और शालिग्राम हरिप्रबोधनि एकादशी पर विवाह की परंपरा शुरू हो गई।

नवंबर व दिसंबर के विवाह मुहूर्त-

22, 27, 28 नवंबर के अलावा दिसंबर माह में 2,5,6,8,10 और 11 दिसंबर को भी तेज लगन तेज है। ज्योतिषाचार्य श्रीवल्लभ पाठक ने बताया कि देवोत्थान एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस बार अच्छी लगन है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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