आचार्य चाणक्य की ये 10 बातें हमेशा रखें याद, कष्ट होंगे दूर
- Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य के अनुसार, जीवन को सुखमय बनाने और सभी तरह के संकटों और समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। इससे व्यक्ति अपनी अच्छी समझ से चुनौतियों को दूर कर सकेगा।
Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन के सभी कष्टों और चुनौतियों से बाहर निकलने के लिए कई समाधान बताए हैं। सफलता पाने और खुशहाल जीवन के लिए आचार्य चाणक्य द्वारा बताए गए नियमों का पालन करना बेहद जरूरू माना जाता है। चाणक्य के अनुसार, अगर आप दैनिक जीवन में कुछ बातों का ख्याल रखते हैं, तो इससे आपको जीवन को समझने की समझ और जीवन में आगे बढ़ने की ललक रहेगी। इससे आप जीवन में आने वाली सभी विपत्तियों को अपनी सूझ-बूझ से टाल सकेंगे। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य द्वारा बताए गए कुछ खास बातें...
आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई 10 महत्वपूर्ण बातें
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जैसे बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। वैसे ही निरंतर एकत्रित करते रहने से धन, विद्या और धर्म की प्राप्ति होती है।
बुद्धिमान व्यक्ति को भोजन की प्राप्ति को लेकर अधिक चिंता नहीं करना चाहिए। उसे केवल धर्म-कर्म के कार्यों के संबंध में चिंतन करना चाहिए। कर्तव्यों का पालन करने वालों की इच्छाओं की पूर्ति प्रकृति करती है।
चाणक्य नीति के अनुसार, जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे क्षमता से अधिक धन खर्च करता है। निर्बल से लड़ाई-झगड़ा करने में रुचि रखता है। वह जल्दी ही नष्ट हो जाता है। इसलिए इन कामों से दूरी बनाएं।
मीठे वचन बोलना, दान-पुण्य और धर्म-कर्म के कार्य में लगे रहना, मित्रों से भेद-भाव न रखना, गुरु का सम्मान करना, आचरण में पवित्रता और सीखने की इच्छा होना, रूप में सौंदर्य और प्रभु में भक्ति रखना इत्यादि सज्जन पुरुषों के गुण माने जाते हैं।
चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति दूसरों की स्त्रियों का सम्मान करता है। दूसरों के धन को हड़पने की इच्छा नहीं रखता है। सभी प्राणियों के साथ वैसा ही आचरण करता है, जैसा वह स्वंय के साथ व्यवहार किए जाने की इच्छा रखता है। ऐसे व्यक्ति को ही बुद्धिमान कहा जाता है और इस प्रकार का आचरण ही श्रेष्ठ माना जाता है।
चाणक्य कहते हैं कि समझदार व्यक्ति को हमेशान इन बातों पर विचार करना चाहिए कि मेरा समय कैसा है? मेरे मित्र कितने हैं? जिस स्थान पर रहता हूं, वह कैसा है? मेरी आय और व्यय कितना है? मैं कौन हूं और मैं क्या करने में समर्थ हूं?
आचार्य के अनुसार, मनुष्य जब तक जीवित रहता है, उसे तब तक पुण्य के कार्य करना चाहिए, क्योंकि इसी से उसका कल्याण होगा। मनुष्य देह त्याग देने के बाद वह कुछ भी नहीं कर सकता है।
संकट प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आते हैं,लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति को संकट और विपदा से तब तक नहीं डरना चाहिए, जब तक वे सिर पर न आ जाएं। दूख आने पर व्यक्ति को पूरी शक्ति लगाकर दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, विद्या की प्राप्ति निरंतर अभ्यास से होती है। उत्तम गुण और स्वभाव से ही कुल का गौरव और यश स्थिर रहता है। व्यक्ति के गुणों से ही श्रेष्ण पुरुष की पहचान होती है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति अच्छे गुणों, नम्र व्यवहार और सुशीलता से अपने जीवन के सभी कष्ट दूर करता है, क्योंकि सभी व्यक्ति सद्गुणी और सुशील व्यक्ति को आगे बढ़ाने की इच्छा रखते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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