Hindi Newsधर्म न्यूज़World largest Krishna temple: You should know the specialty of this temple being built in the country at a cost of 800 crores - Astrology in Hindi

Janmashtami Special: दुनिया का सबसे बड़ा कृष्ण मंदिर, आप जान लें 800 करोड़ की लागत से देश में बन रहे इस मंदिर की खासियत

Krishna Janmashtami Special: कोलकाता में दुनियाका सबसे बड़ा कृष्ण मंदिर बन रहा है। साल 2023 तक मंदिर का काम 80 प्रतिशत पूरा हो जाएगा। जिसके बाद इसे भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 19 Aug 2022 08:46 AM
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World's Largest Lord Krishna Mandir: कान्हा भक्तों की गिनती करना संभव नहीं है। देश से लेकर विदेशों तक भगवान श्रीकृष्ण के भव्य व विशाल मंदिर हैं। जन्मस्थली मथुरा में भी भगवान श्रीकृष्ण के हजारों-लाखों मंदिर हैं। खास बात यह है कि पश्चिम बंगाल में दुनिया का सबसे बड़ा कृष्ण मंदिर बन रहा है। 6 लाख स्क्वायर फीट से भी ज्यादा क्षेत्र में बनाए जा रहे मंदिर का खर्च करीब 800 करोड़ बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि 2023 तक मंदिर का 80 प्रतिशत काम पूरा करने के बाद इसके कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे।

इस्कॉन बनवा रहा मंदिर-

इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ कृष्णा कॉन्सियशनेस यानी इस्कॉन (ISKCON) की ओर से इस मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह मंदिर नदिया जिले के मायापुर में बन रहा है। कोलकाता से इसकी दूरी करीब 130 किलोमीटर है। 2009 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था और 2023 तक काम लगभग पूरा किया जा सकता है।

मंदिर की खास बातें-

1. मंदिर में कुल 7 फ्लोर हैं। मंदिर का कीर्तन हॉल 1.5 एकड़ में फैला है। जहां एक बार में 10 हजार भक्त भजन-कीर्तन कर सकते हैं।
2. जिस फ्लोर पर पुजारी पूजा की तैयारी करेंगे वो 2.5 एकड़ में बना है। मंदिर के सामने 45 एकड़ का गार्डन भी बनाया गया है। मंदिर का गुंबद दुनिया के दूसरे किसी बड़े मंदिर के गुंबद से कहीं बड़ा है। मंदिर की ऊंचाई 350 फीट और मंदिर के गुंबद का व्यास 177 मीटर है।

विदेशों से आए हैं मार्बल-

मंदिर की भव्यता व सुंदरता को ध्यान में रखा जा रहा है। दुनिया के अलग-अलग देशों से मार्बल मंगवाए गए हैं। 

क्यों हो सकता है दुनिया का खास मंदिर-

इस्कॉन की ओर से मंदिर के गुंबद को इस तरह से बनाया गया है कि भक्तों को दुनिया की जानकारी प्राप्त हो सके। जैसे दुनिया किसने, कब और क्यों बनाई। इसके पीछे का कारण क्या था। इसलिए इसे वैदिक तारामंडल भी कहा जा रहा है।
 

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