कौन थीं श्री कृष्णा की बहन? महाभारत से जुड़ा है रक्षा बंधन का इतिहास
Happy Raksha Bandhan: भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का त्यौहार सदियों से चला आ रहा है। भाई की कलाई पर राखी बांधने की ये परंपरा काफी पुरानी है, जिसका उल्लेख महाभारत की गाथा में भी मिलता है।
Happy Raksha Bandhan: भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का त्यौहार सदियों से चला आ रहा है। भाई की कलाई पर राखी बांधने की परंपरा काफी पुरानी है, जिसका उल्लेख महाभारत की गाथा में भी मिलता है। राखी का यह त्यौहार हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तिथि की पूर्णिमा के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं, इस साल अगस्त महीने में 30 और 31 तारीख को रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन के इतिहास से जुड़ी कई प्रचलित कहानियां हैं। आईए जानते हैं रक्षा बंधन की एक ऐसी ही खास कहानी, जो भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है-
श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी-
रक्षा बंधन का मूल इतिहास पुरातन भारत में बसता है और यह कहानी महाभारत के एक अद्वितीय किस्से से जुड़ी हुयी है। महाभारत के अनुसार, एक बार सुदर्शन चक्र से चोट लग जाने पर भगवान कृष्ण जी की उंगली से खून निकलने लगा। इसी बीच द्रौपदी, जो पूरी घटना देख रही थीं उन्होंने बहते खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी का थोड़ा सा हिस्सा फाड़ा और प्रभु श्री कृष्ण की उंगली को उससे बांध दिया, जिससे खून रुक गया। इससे खुश होकर, प्रभु श्री कृष्ण ने आवश्यकता पड़ने पर द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया था। वहीं, शतरंज के जुएं में हार जाने के बाद, द्रौपदी के चीरहरण के दौरान जब द्रौपदी ने श्री कृष्ण जी को याद किया तो उन्होंने रक्षा करने का अपना वचन निभाया और द्रौपदी के मान-सम्मान को बचाया।
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