शरद पूर्णिमा के दिन किन बातों का रखें खास ख्याल,जानें कैसे करते हैं देवी लक्ष्मी की पूजा
इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आती है।
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू अपने वाहन उल्लू की सभा पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आती है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने को बेहद खास माना जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
क्यों मनाई जाती है शरद पूर्णिमा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक साहूकार की 2 बेटियां थी। दोनों बेटियों ने पूर्णिमा का व्रत रखा। बड़ी बेटी ने पूरे विधि विधान से व्रत का पालन कर उसे पूरा किया। वहीं छोटी बेटी ने व्रत को अधूरा छोड़ दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि छोटी बेटी की हर संतान पैदा होने के कुछ समय बाद ही मर जाती थी। तब उसने ब्राह्मणों से इसके पीछे की वजह पूछी - उन्होंने कहा, हे कन्या तुमने पूर्णिमा का व्रत अधूरा छोड़ा दिया था। जिसकी वजह से तुम्हारी सभी संतान मृत्यु को प्राप्त हो रही है। यदि तुम पूरे विधि- विधान से शरद पूर्णिमा का व्रत करती हो तो तुम्हारी कोई भी संतान मृत्यु को प्राप्त नहीं होगी। जिसके बाद उस कन्या ने पूरे विधि विधान के साथ पूर्णिमा का व्रत किया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आती है इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
1. शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए।
2. इस दिन मेन गेट को खोलकर रखें ताकि घर के बाहर रोशनी आती रहे और माता को घर भीतर आ सकें।
3.शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर स चांदनी रात में रख देने से कहा जाता है कि इससे उस खीर में अमृत की वर्षा होती है।
4.शरद पूर्णिमा के दिन घर की सफाई अच्छे से करने चाहिए।
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